सोलर पैनल के 5 सबसे बड़े झूठ, Solar Panels लगाने से पहले आपको ये बातें पता होनी चाहिए

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आज के समय में सोलर पैनल एक शानदार तकनीक है जो आपके घर को बिजली प्रदान करने के लिए सूर्य की ऊर्जा का उपयोग करती है। बढ़ती हुई बिजली की मांग और ऊर्जा संसाधनों की कमी ने लोगों को वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की ओर देखने के लिए मजबूर किया है। लेकिन, सोलर पैनल के बारे में कई भ्रांतियां और झूठ भी फैले हुए हैं, जो लोगों को इस तकनीक को अपनाने से रोक सकते हैं। इस लेख में, हम सोलर पैनल से जुड़े कुछ सबसे बड़े झूठों का खुलासा करेंगे और सच क्या है, यह बताएंगे।

सोलर पैनल के 5 सबसे बड़े झूठ, Solar Panels लगाने से पहले आपको ये बातें पता होनी चाहिए

यहां 5 सबसे बड़े झूठ और सच्चाई के बारे में बताया गया है

1. सोलर पैनल केवल धूप में ही काम करते हैं?

सोलर पैनल्स के बारे में पहली आम गलतफहमी यह है कि वे केवल सूरज की सीधी रोशनी में ही कार्य करते हैं और बारिश या बादल छाए रहने पर उत्पादन नहीं करते। हालाँकि, यह धारणा पूरी तरह से गलत है। आधुनिक सोलर पैनल्स, विशेष रूप से 2021 के बाद से विकसित किए गए, बादलों की मौजूदगी में भी ऊर्जा का उत्पादन कर सकते हैं। इन पैनल्स में उन्नत हाफ-कट टेक्नोलॉजी और अन्य नवीन विशेषताएँ होती हैं जो विभिन्न प्रकार के मौसमी परिवर्तनों में भी कार्यक्षमता बनाए रखते हैं।

2. कम धूप में सोलर पैनल्स की कार्य क्षमता कम हो जाती हैं?

एक आम गलतफहमी यह है कि सोलर पैनल्स केवल तेज धूप में ही अधिकतम ऊर्जा उत्पन्न करते हैं और बादल छाए रहने या बारिश के दौरान उनकी कार्यक्षमता बहुत कम हो जाती है। हालांकि, आधुनिक सोलर पैनल्स तकनीकी प्रगति के कारण इन परिस्थितियों में भी ऊर्जा उत्पन्न कर सकते हैं। वास्तव में, पैनल्स का तापमान उनके प्रदर्शन को अधिक प्रभावित करता है। जब पैनल का तापमान बढ़ता है, तो उसकी कार्यक्षमता में कमी आती है। यह इसलिए होता है क्योंकि अधिक तापमान पर, पैनल्स द्वारा अवशोषित ऊर्जा का एक बड़ा हिस्सा गर्मी के रूप में खो जाता है, जिससे उनकी ऊर्जा उत्पादन क्षमता कम हो जाती है।

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बाइफेशियल सोलर पैनल्स दोनों तरफ से सूर्य की रोशनी अवशोषित करने में सक्षम होते हैं, जिससे वे सामान्य पैनल्स की तुलना में अधिक ऊर्जा उत्पन्न कर सकते हैं। यह विशेषता उन्हें विभिन्न मौसमी परिस्थितियों में अधिक कुशल बनाती है। इन पैनल्स में सेल्स के बीच थोड़ी जगह होती है, जिससे प्रकाश की बेहतर उपयोगिता होती है और पैनल का तापमान अधिक नहीं बढ़ता।

सोलर पैनल्स की स्थापना करते समय उनकी संरचना और स्थापना की ऊँचाई पर विशेष ध्यान देना महत्वपूर्ण है। जीरो स्ट्रक्चर पर पैनल्स लगाने से उनका तापमान अधिक बढ़ सकता है, जिससे उनकी कार्यक्षमता में कमी आती है। इसलिए, पैनल्स को जमीन या छत से 2 से 2.5 फीट की ऊँचाई पर स्थापित करना चाहिए। यह उन्हें अधिकतम ऊर्जा उत्पन्न करने में सक्षम बनाता है।

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3. सोलर पैनल के लिए बिजली की जरूरत होती है?

सोलर पैनल सिस्टम्स के बारे में तीसरी गलत धारणा है कि वे केवल बिजली होने पर ही कार्य करते हैं। यह समझना महत्वपूर्ण है कि सोलर पैनल सिस्टम्स दो प्रकार के होते हैं: ऑन-ग्रिड और ऑफ-ग्रिड। ऑन-ग्रिड सिस्टम्स वास्तव में ग्रिड की उपलब्धता पर निर्भर करते हैं, लेकिन ऑफ-ग्रिड सिस्टम्स ऐसे नहीं हैं। ऑफ-ग्रिड सिस्टम्स बिजली की उपलब्धता के बिना भी कार्य कर सकते हैं, जिससे वे दूरदराज के क्षेत्रों में भी उपयोगी होते हैं जहाँ ग्रिड सप्लाई उपलब्ध नहीं होती।

सोलर पैनल सिस्टम्स मूलतः दो प्रकार के होते हैं: ऑन-ग्रिड और ऑफ-ग्रिड।

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  • ऑन-ग्रिड सिस्टम: यह सिस्टम ग्रिड से जुड़ा होता है और बिजली के नेटवर्क के साथ सीधा संवाद करता है। यह अधिक बिजली उत्पादन पर अतिरिक्त ऊर्जा को ग्रिड में वापस भेज सकता है, जिससे उपयोगकर्ता को क्रेडिट मिल सकता है।
  • ऑफ-ग्रिड सिस्टम: ये सिस्टम ग्रिड से स्वतंत्र होते हैं और आमतौर पर बैटरी स्टोरेज के साथ आते हैं ताकि उत्पादित ऊर्जा को स्टोर कर सकें। यह उन क्षेत्रों के लिए उपयोगी है जहां ग्रिड कनेक्शन उपलब्ध नहीं है।

सोलर पैनल की ऊर्जा उत्पादन क्षमता

सोलर पैनल की ऊर्जा उत्पादन क्षमता सूर्य की रोशनी की तीव्रता और उसके अवशोषण की क्षमता पर निर्भर करती है। यह धारणा कि सोलर पैनल केवल गर्म और सूर्य वाले क्षेत्रों में ही प्रभावी होते हैं, सही नहीं है। आधुनिक सोलर पैनल्स, जैसे कि हाई-एफिशिएंसी पैनल्स और बाइफेशियल पैनल्स, बादल छाए रहने और कम रोशनी वाली स्थितियों में भी ऊर्जा उत्पादन कर सकते हैं। ये पैनल्स विभिन्न मौसमी और तापमान स्थितियों में अधिकतम ऊर्जा उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन किए गए हैं।

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4. सोलर पैनल केवल अमीरों के लिए हैं?

बाजार में एक आम गलतफहमी यह है कि सोलर पैनल सिस्टम्स केवल अमीरों के लिए हैं और इनमें किए गए निवेश का रिटर्न बहुत कम है। आलोचकों का तर्क है कि एक सोलर सिस्टम पर खर्च किया गया पांच लाख रुपए का निवेश केवल मामूली मात्रा में लाभ प्रदान करता है, जिसकी वजह से इसे एक बेकार निवेश माना जाता है। इस धारणा के अनुसार, इतने पैसे को बिजली बिल में लगाना और सामान्य ग्रिड कनेक्शन का उपयोग करना अधिक समझदारी भरा कदम माना जाता है।

सोलर पैनल की वास्तविक लागत और लाभ

वास्तविकता यह है कि सोलर पैनल सिस्टम्स एक दीर्घकालिक निवेश हैं जो समय के साथ अपनी लागत की भरपाई कर देते हैं। सोलर पैनल सिस्टम का रिटर्न ऑफ इन्वेस्टमेंट (ROI) वास्तव में काफी प्रभावशाली हो सकता है, खासकर जब ऊर्जा की उच्च लागत वाले क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है। सोलर पैनल सिस्टम्स न केवल बिजली बिल में कमी लाते हैं बल्कि स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा का स्रोत भी प्रदान करते हैं।

एक अच्छी तरह से डिजाइन किए गए सोलर पैनल सिस्टम का ROI आमतौर पर 2.5 से 3.5 वर्षों के भीतर निकल आता है, खासकर यदि वाणिज्यिक या औद्योगिक उपयोग में लाया जाता है जहां ऊर्जा की खपत अधिक होती है। बिजली की लागत जितनी अधिक होगी, निवेश पर वापसी उतनी ही तेजी से होगी।

5. सोलर पैनल की क्षमता कम होती है?

बाजार में फैलाई जाने वाली पाँचवीं गलत धारणा यह है कि सोलर पैनल केवल छोटे लोड, जैसे कि पंखे और टीवी, चला सकते हैं और बड़े औद्योगिक उपकरणों या घरेलू उपकरणों के लिए पर्याप्त नहीं होते। यह पूरी तरह से गलत है। आधुनिक सोलर पैनल सिस्टम्स बड़े लोड को संभालने की क्षमता रखते हैं, चाहे वो औद्योगिक मशीनें हों, एयर कंडीशनर, या दीप फ्रीजर। यह क्षमता उपयोगकर्ता की जरूरतों के अनुसार सोलर सिस्टम के डिजाइन और आकार पर निर्भर करती है।

कम बजट में सोलर सिस्टम कैसे लगाए?

कई लोगों को यह चिंता होती है कि वे सोलर पैनल सिस्टम के लिए आवश्यक निवेश नहीं कर पाएंगे। हालांकि, सोलर पैनल तकनीक इतनी लचीली है कि यदि आपको बड़े स्केल पर सोलर सिस्टम लगवाना है, तो आप इसे चरणों में लगवा सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आपको 50 किलोवाट का सिस्टम चाहिए, तो आप पहले 15 किलोवाट लगवा सकते हैं और धीरे-धीरे इसे बढ़ा सकते हैं। यह विधि आपको बजट के अनुकूल तरीके से सोलर सिस्टम अपनाने की सुविधा देती है।

आज के समय में, सोलर पैनल प्रोजेक्ट्स के लिए विभिन्न सरकारी योजनाएं और बैंकों से लोन की सुविधा उपलब्ध है। यदि आपके पास सोलर सिस्टम लगवाने के लिए पूर्ण निवेश नहीं है, तो आप बैंक लोन का विकल्प चुन सकते हैं। बैंक आमतौर पर सोलर प्रोजेक्ट्स के लिए आसानी से लोन प्रदान करते हैं, जिससे आपको अपने सोलर सिस्टम की स्थापना में वित्तीय सहायता मिल सकती है।

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