जानिए क्या सोलर सिस्टम काम करते हैं बिना बैटरी के? जानिए कौन सा सोलर सिस्टम बेस्ट है आपके लिए

बिना बैटरी के सोलर सिस्टम को स्थापित कर आप सरकार द्वारा डी जाने वाली सोलर सब्सिडी भी प्राप्त कर सकते हैं। इसमें ग्रिड की बिजली का प्रयोग होता है।

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नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों का प्रयोग कर के पर्यावरण को स्वच्छ एवं सुरक्षित रखा जा सकता है, ऐसे उपकरण पर्यावरण के अनुकूल कार्य करने के लिए जाने जाते हैं। सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को बिजली में बदलने के लिए सोलर पैनल का प्रयोग किया जाता है, सोलर सिस्टम को स्थापित कर के उपयोगकर्ता को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं, इसका प्रयोग कर बिजली के बिल को कम किया जा सकता है। सोलर सिस्टम को कई प्रकार से स्थापित कर सकते हैं, क्या सोलर सिस्टम काम करते हैं बिना बैटरी के? एवं कौन सा सोलर सिस्टम बेस्ट है यह जान सकते हैं।

जानिए क्या सोलर सिस्टम काम करते हैं बिना बैटरी के? जानिए कौन सा सोलर सिस्टम बेस्ट है आपके लिए
क्या सोलर सिस्टम काम करते हैं बिना बैटरी के?

सोलर सिस्टम को स्थापित करने से पहले घर में बिजली के लोड की गणना की जाती है, बिजली के लोड की गणना ग्रिड बिजली के बिल एवं इलेक्ट्रिक मीटर के द्वारा प्राप्त की जा सकती है, लोड की जानकारी होने के बाद सही क्षमता के सोलर पैनल का चयन पाने सोलर सिस्टम के लिए किया जा सकता है। सोलर सिस्टम को सही दिशा एवं सही कोण में स्थापित करने के बाद सोलर पैनल की क्षमता के अनुसार बिजली प्राप्त की जा सकती है। सोलर सिस्टम इको-फ़्रेंडली कार्य करने के लिए जाने जाते हैं। सोलर सिस्टम के द्वारा अनेक वर्षों तक बिजली का लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

क्या सोलर सिस्टम काम करते हैं बिना बैटरी के?

एक सोलर सिस्टम को मुख्यतः तीन प्रकार से स्थापित किया जाता है, ऑनग्रिड, ऑफग्रिड एवं हाइब्रिड। इनमें से ऑफग्रिड सोलर सिस्टम में बैटरियों का प्रयोग किया जाता है। हाइब्रिड सोलर सिस्टम में ग्रिड एवं बैटरी दोनों का ही प्रयोग किया जाता है। सोलर पैनल द्वारा DC दिष्ट धारा के रूप में बिजली का उत्पादन किया जाता है, जिसे बैटरियों में संग्रहीत किया जा सकता है, सोलर पैनल द्वारा असमान रूप से बिजली का उत्पादन किया जाता है, इस बिजली को नियंत्रित करने के लिए सोलर चार्ज कन्ट्रोलर का प्रयोग किया जाता है।

सोलर पैनल द्वारा बनाई जाने वाली बिजली को DC से AC में परिवर्तित करने के लिए सोलर इंवर्टर का प्रयोग किया जाता है, सोलर इंवर्टर एवं सोलर पैनल के बीच में सोलर चार्ज कन्ट्रोलर को स्थापित किया जाता है। बिना बैटरी के दो प्रकार से सोलर सिस्टम को स्थापित किया जा सकता है, जिन्हें ऑनग्रिड सोलर सिस्टम एवं ट्रांसफार्मरलेस इंवर्टर के द्वारा स्थापित करते हैं। ऐसे सिस्टम को कम कीमत में स्थापित किया जा सकता है।

ऑनग्रिड सोलर सिस्टम क्या है?

बिना बैटरी के स्थापित किए जाने वाले सोलर सिस्टम को ऑनग्रिड सोलर सिस्टम कहते हैं। सोलर बैटरियों का प्रयोग सोलर पैनल द्वारा बनाई जाने वाली बिजली को स्टोर करने मे किया जाता है, लेकिन ऑनग्रिड सोलर सिस्टम में सोलर पैनल से बनने वाली बिजली को सीधा इलेक्ट्रिक ग्रिड के साथ शेयर किया जाता है, ऐसे सिस्टम में सोलर सिस्टम एवं ग्रिड के बीच साझा होने वाली बिजली की गणना करने के लिए सिस्टम में नेट-मिटरिंग की जाती है। ऐसे सोलर सिस्टम के माध्यम से ग्रिड की बिजली का ही प्रयोग उपकरणों को चलाने के लिए किया जाता है। ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम क्या है?

ऑनग्रिड सोलर सिस्टम को लगाने के लिए सरकार द्वारा सब्सिडी प्रदान की जाती है, सब्सिडी को प्राप्त करने के बाद कम कीमत में ऐसे सोलर सिस्टम को लगाया जा सकता है। ऐसे सिस्टम में अगर ग्रिड की बिजली जाती है, तो आप किसी प्रकार के उपकरण को नहीं चला सकते हैं। ऐसे सोलर सिस्टम द्वारा बिजली के बिल को कम किया जा सकता है, साथ ही अतिरिक्त बिजली उत्पादन होने पर उपयोगकर्ता अपने बिजली वितरण डिस्कॉम को बिजली बेच भी सकते हैं। यह सिस्टम बिना बैटरी के ही स्थापित किया जा सकता है।

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ट्रांसफार्मरलेस इंवर्टर वाला सोलर सिस्टम

आज के समय में अनेक आधुनिक उपकरणों का प्रयोग कर के उपभोक्ता अपनी आवश्यकताओं को प्राप्त कर सकते हैं, ऐसे ही ट्रांसफार्मरलेस इंवर्टर इन्हीं उपकरणों में से एक उपकरण है, ऐसे इंवर्टर में ट्रांसफार्मर नहीं होता है। आज के समय में घरों में इन इंवर्टर का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है, ट्रांसफार्मर का प्रयोग वोल्टेज को बढ़ाने के लिए किया जाता है, ट्रांसफार्मरलेस इंवर्टर में कम्प्यूटरीकृत बहु-चरणीय प्रक्रिया एवं इलेक्ट्रॉनिक घटकों का प्रयोग करने इस कार्य को किया जाता है। ट्रांसफार्मरलेस इंवर्टर का प्रयोग कर के ट्रांसफार्मर की चुनौतियों का समाधान किया जा सकता है।

सोलर पैनल द्वारा सूर्य की उपस्थिति में बिजली का उत्पादन किया जाता है, लेकिन सोलर सिस्टम एक समान रूप से बिजली का निर्माण नहीं करते हैं, इनके द्वारा कभी कम तो कभी ज्यादा बिजली बनती है, ऐसी बिजली का प्रयोग सीधा करने से घरेलू उपकरण खराब हो सकते हैं, अधिक लोड लेने वाले उपकरणों को चलाते समय इंवर्टर सही से काम नहीं करता है, ऐसे में सोलर सिस्टम में सोलर चार्ज कन्ट्रोलर का प्रयोग किया जाता है, यह सिस्टम को सुरक्षित रखने के लिए अनिवार्य रूप से प्रयोग करना चाहिए। ट्रांसफार्मरलेस इंवर्टर का प्रयोग कर सामान्य ट्रांसफार्मर की आवश्यकता को खत्म किया जा सकता है।

कौन सा सोलर सिस्टम बेस्ट है?

ऑनग्रिड सोलर सिस्टम को ऐसे स्थानों के लिए बेस्ट बताया जाता है जहां बिजली की कटौती बहुत कम होती है। क्योंकि ऑनग्रिड सोलर सिस्टम में ग्रिड की बिजली का प्रयोग उपभोक्ता द्वारा किया जाता है, ऑनग्रिड सोलर सिस्टम को लगाने के लिए सरकार द्वारा प्राप्त होने वाली सब्सिडी को भी प्राप्त किया जा सकता है, ऐसे सोलर सिस्टम बिजली के बिल से उपभोक्ता को राहत प्रदान करने का कार्य करते हैं। उपरोक्त दो प्रकार के सिस्टम में से ऑनग्रिड सोलर सिस्टम बेस्ट रहता है। हालांकि ट्रांसफार्मरलेस इंवर्टर वाले सिस्टम से भी उपभोक्ता को लाभ प्राप्त होते हैं।

सोलर सिस्टम में किए जाने वाले निवेश को बुद्धिमानी का निवेश कहते हैं, क्योंकि ऐसे सिस्टम को सही से स्थापित कर एवं इसका उचित रखरखाव कर के 25 से अधिक सालों तक सोलर पैनल से बनने वाली बिजली को प्रयोग कर सकते हैं। बाजार में अनेक ब्रांड के उच्च क्षमता के आधुनिक सोलर उपकरण उपलब्ध रहते हैं, जिनका प्रयोग अपने सोलर सिस्टम में उपभोक्ता कर सकते हैं।

निष्कर्ष

बिना बैटरी के सोलर सिस्टम को कम कीमत में स्थापित किया जा सकता है, क्योंकि बैटरी की कीमत भी अधिक होती है। फिर भी यदि आपको पावर बैकअप की आवश्यकता पड़ती हो तो ऐसे में आप ऑफग्रिड सोलर सिस्टम का प्रयोग कर सकते हैं, एवं अपनी आवश्यकता के अनुसार बैटरियों को सिस्टम में जोड़ सकते हैं। सोलर सिस्टम का प्रयोग कर के जीवाश्म ईंधन की निर्भरता को पूरी तरह से समाप्त किया जा सकता है, एवं हरित भविष्य की ओर बढ़ा जा सकता है, क्योंकि सोलर सिस्टम का प्रयोग कर के पर्यावरण में मौजूद कार्बन फुटप्रिन्ट को कम किया जाता है।

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