जानिए क्या है सोलर पार्क स्कीम, कितनी मिलती है मदद

भारत की नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता बढ़ने से आर्थिक लाभ के साथ ही पर्यावरणीय लाभ भी होता है। इसके लिए सरकार द्वारा योजनाएं जारी की गई हैं।

Published By News Desk

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आज के समय में सौर ऊर्जा का तेजी से बढ़ रहा है, सौर ऊर्जा के प्रयोग से जीवाश्म ईंधन की निर्भरता को खत्म किया जा सकता है, जिस से प्रदूषण को कम किया जा सकता है। सरकार द्वारा भी सौर ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा प्रदान करने के लिए अनेक योजनाएं संचालित की जा रही है। ऐसा करने से पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सकता है।

साथ ही देश की नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता में वृद्धि की जा सकती है। इस लेख के माध्यम से हम आपको सोलर पार्क स्कीम (Solar Park Scheme) जानकारी प्रदान करेंगे। जिस से आप सोलर पैनल की स्थापना कर सकते हैं। एवं देश की नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता को बढ़ाने में सहयोग कर सकते हैं।

जानिए क्या है सोलर पार्क स्कीम, कितनी मिलती है मदद
सोलर पार्क स्कीम

सोलर पार्क स्कीम क्या है?

भारत की सौर ऊर्जा की क्षमता लगभग 5,000 ट्रिलियन kWh है। देश के अधिकतर भाग से प्रतिदिन 4 kWh से 7 kWh प्रति वर्ग मीटर बिजली प्राप्त होती है। देश की नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता को बढ़ाने के लिए निरंतर ही प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए नागरिकों को सोलर सिस्टम स्थापित करने के लिए सब्सिडी योजनाओं के माध्यम से प्रोत्साहित किया जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा सौर ऊर्जा के विकास के लिए घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसके लिए PLI (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव), सोलर पार्क स्कीम प्रकार की योजनाएं जारी की गई हैं। योजना की क्षमता 2017 को 20,000 मेगावाट से बढ़ाकर 40,000 मेगावाट कर दी गई।

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वर्ष 2023 में देश के 12 राज्यों में 37,490 मेगावाट की कुल क्षमता वाले 50 सोलर पार्क की स्वीकृति सरकार द्वारा दी गई, केंद्र सरकार द्वारा इस यजन को 2026 तक के वित्तीय वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है। इस योजना में प्रयोग होने वाले सोलर उपकरणों के निर्माण करने के लिए देश के अनेक स्थानों में आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है। देश के अनेक राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में सोलर पार्क को स्थापित करने वाली सोलर पार्क स्कीम को दिसंबर 2014 में शुरू किया गया था। ऐसे स्थान में सामान्य इंफ्रा फैसिलिटीज जैसे ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर, सड़क, पानी, वॉचर ड्रेनेज, कम्यूनिकेशन नेटवर्क को विकसित किया जाता है।

सोलर पार्क स्कीम कैसे काम करती है?

केंद्र सरकार की इस योजना को संचालित करने के लिए ऊर्जा मंत्रालय द्वारा DPR (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार किया की जाती है, जिसके लिए 25 लाख रुपये प्रति सोलर पार्क की CFA (सेंट्रल फाइनेंशियल असिस्टेंस) प्रदान की जाती है। साथ ही योजना के अंतर्गत निर्धारित किए गए लक्ष्यों को प्राप्त करने पर 20 लाख रुपये प्रति मेगा वाल तक की केन्द्रीय वित्तीय सहायता या ग्रिड-कनेक्टिविटी की कीमत के 30% में से जो भी कम होता है, उसे भी सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है। इस प्रकार योजना में सोलर पार्क स्थापित किए जाते हैं। जिनके द्वारा देश की सोलर ऊर्जा को क्षमता में वृद्धि होती है।

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सोलर पार्क स्कीम की विशेषताएं

केंद्र सरकार के द्वारा सोलर पार्कों के उत्थान करने वाली इस योजना की विशेषताएं इस प्रकार है:-

  • सोलर पार्क वाले स्थान में सभी स्वीकृत सड़क, पानी, संचार नेटवर्क जैसी फैसिलिटीज को विकसित किया जाता है। ऐसे में सोलर प्रोजेक्ट को सही से स्थापित किया जा सकता है।
  • इस योजना के अंतर्गत देश के विभिन्न स्थानों में सोलर पार्क स्थापित किए जा रहे हैं, सोलर पार्क वाले स्थान को विकसित किया जा रहा है। देश के सभी राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश इस योजना के द्वारा लाभ प्राप्त करने के पात्र हैं।
  • सोलर पार्क की क्षमता 500 मेगावाट से अधिक होती है, इसके साथ ही कम क्षमता के छोटे सोलर पार्क भी स्थापित किए जा रहे हैं। ऐसे पार्क उन स्थानों में लगाए जाते हैं जो गैर-कृषि भूमि वाले हैं।
  • सोलर पार्कों को विकसित करने में राज्य सरकार एवं उसके विभागों, केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों एवं प्राइवेट सेक्टर का सहयोग प्राप्त किया जाता है, योजना को कार्यान्वित करने वाले विभाग को SPPD (Solar Power Park Devlopment) कहा जाता है। SPPD को चुनने के लिए 8 मोड निर्धारित किए गए हैं।

वर्ष 2026 तक भारत के सबसे बड़े सौर ऊर्जा निर्यातक बनने का लक्ष्य

भारत में सौर ऊर्जा को उत्पादित करने की संभावनाएं अधिक रहती है, क्योंकि भारत में औसतन 300 दिन तक धूप रहती है, ऐसे में 748 गीगावाट के बराबर सौर ऊर्जा का उत्पादन संभव हो सकता है। भारत सरकार द्वारा आम नागरिकों को भी सोलर सिस्टम लगाने के लिए सब्सिडी प्रदान की जाने वाली योजनाएं चलाई जा रही है। सोलर पैनल को सब्सिडी के माध्यम से कम कीमत पर स्थापित किया जा सकता है, आने वाले समय में सोलर पैनल की कीमत में कमी देखी जा सकती है। भारत का लक्ष्य वर्ष 2026 तक में सौर ऊर्जा का सबसे बड़ा निर्यातक बनना है, जिस से आर्थिक रूप से भी मजबूती प्राप्त हो सकती है।

भारत में बनाए जाने वाले सोलर उपकरणों की संख्या बढ़ रही है, आज के समय में अनेक भारतीय ब्रांड के सोलर उपकरण बाजारों में उपलब्ध रहते हैं, जिनका प्रयोग आवासीय, व्यवसायिक एवं वाणिज्यिक क्षेत्रों में किया जाता है। इसके साथ ही केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में पीएम सूर्य घर मुफ़्त बिजली योजना को शुरू किया है, जिसके द्वारा देश के 1 करोड़ परिवारों के घर की छत पर सोलर पैनल लगाए जाएंगे। सरकार द्वारा संचालित की जाने वाली योजनाओं में ऑनग्रिड सोलर सिस्टम स्थापित किए जाते है।

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निष्कर्ष

सौर ऊर्जा सूर्य से प्राप्त होने वाली असीमित ऊर्जा है, जो प्रचुर मात्रा में प्राप्त होती है, जिसका प्रयोग करने के लिए सोलर पैनल का प्रयोग किया जा सकता है। सोलर पैनल का प्रयोग कर के जीवाश्म ईंधन की निर्भरता को खत्म किया जा सकता है। सोलर पैनल के द्वारा बिना किसी प्रदूषण को उत्पन्न किए बिजली का निर्माण किया जाता है। ऐसे में पर्यावरण में उपस्थित कार्बन फुटप्रिन्ट को कम किया जा सकता है। सोलर उपकरणों के अधिक से अधिक प्रयोग से ही हरित भविष्य की कल्पना को पूरा किया जा सकता है।

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