सोलर पावर प्लांट: टाइप, टेक्नोलॉजी और सोलर पावर सिस्टम के बारे में कम्प्लीट डिटेल

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सोलर पावर प्लांट (Solar Power Plant) में सूरज की रौशनी की सहायता से विद्युत ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है। इस कार्य को करने के लिए संयत्र में बहुत अधिक मात्रा में सोलर सेल से निर्मित सोलर पैनलों को इनस्टॉल करते हैं। प्लांट में एक सोलर पैनल 250 से 350 वाट तक विद्युत का निर्माण करने की क्षमता रखता है।

इस प्रकार से पैनलों के द्वारा प्लांट में एक बड़ी सोलर सीरीज बना दी जाती है जिनकी सहायता से वहां पर भरपूर मात्रा में विद्युत उत्पादित होती है। सोलर प्लांट से उत्पादित बिजली को ऑन साइट ही इस्तेमाल कर सकते हैं अथवा इसको ग्रिड में सप्लाई करके उपयोगकर्ता को दे सकते हैं। सोलर पावर प्लांट में बिजली उत्पादन प्रोसेस इकोफ्रैंडली होती है और इससे किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं होता है।

Solar Power Plant - सोलर पावर प्लांट: टाइप, टेक्नोलॉजी एवं अन्य जानकारियाँ
Solar Power Plant – सोलर पावर प्लांट

सोलर एनर्जी

यह सूर्य से निकलने वाली ऊष्मा ऊर्जा है। इस ऊष्मा को सोलर तंत्र के द्वारा इलेक्ट्रिसिटी में बदल सकते हैं। इस प्रकार से आज के समय में फोटोवोल्टाइक पैनल, सोलर हीटर, सिलिकॉन इत्यादि का प्रयोग हो रहा है।

सोलर पावर सिस्टम

सोलर पावर एक ऐसा तंत्र है जो कि सूरज की रौशनी को इलेक्ट्रिक एनर्जी में बदल देता है। इसमें सोलर पैनल, सोलर बैटरी, सोलर इन्वर्टर एवं सोलर स्टैंड का सेट होता है। ये सभी उपकरण बैलेंसिंग ऑफ सिस्टम (BOS) के लिए आवश्यक होते हैं।

सोलर पॉवर प्लांट

सोलर पावर प्लांट एक ऐसी सुविधा है जिससे सूर्य की सोलर एनर्जी को इलेक्ट्रिसिटी में बदलने का काम होता है। समय बिजली की तरह ही सोलर प्लांट की इलेक्ट्रिसिटी को भी सभी प्रकार के बिजली के कार्यों में सीधा या ग्रिड के माध्यम से इस्तेमाल कर सकते हैं। इन तीनों के यूटिलिटी ग्रिड से सम्बन्ध में भी अंतर रहता है। ऑनग्रिड यूटिलिटी ग्रिड के साथ कार्य करता है जबकि ऑफग्रिड ऐसा नहीं करता है। जबकि हाईब्रिड आंशिक रूप से उसमें निर्भरता रखता है।

सोलर पावर प्लांट के टाइप

सोलर पावर की ओर आकर्षित होने वाले लोगो को सबसे पहले पावर प्लांट के प्रकार को चुनना चाहिए। क्योंकि एक यही तथ्य है जो प्लांट के फायदे को प्रभावित करता है। सोलर पावर प्लांट सामान्यता 3 प्रकार में होते हैं-

  • ऑन-ग्रिड सोलर पावर सिस्टम – बचत + ग्रिड निर्यात
  • ऑफ-ग्रिड सोलर पावर सिस्टम – बचत + बैकअप
  • हाईब्रिड सोलर पावर सिस्टम – ऑनग्रिड + ऑफ़ग्रिड

ऑन-ग्रिड सोलर पावर सिस्टम

यह सोलर सिस्टम प्लांट यूटिलिटी ग्रिड द्वारा कार्यान्वित होता है। ये सोलर पीवी सिस्टम होता है जोकि यूटिलिटी पावर ग्रिड के होने पर इलेक्ट्रिसिटी बनाता है। यानी अपना काम करने में उसको ग्रिड से संयुक्त होना पड़ेगा। ये उन ग्राहकों को फायदा देता है जोकि थोड़ी लागत के द्वारा अपना बिजली बिल कम करना चाहते हैं।

ऑन-ग्रिड सोलर पावर सिस्टम का महत्व

इस सिस्टम के साथ नेट मीटरिंग का ऑप्शन है। इससे बनाने वाली अतिरिक्त इलेक्ट्रिसिटी को ग्रिड में ट्रांसफर कर देते हैं। इस प्रकार से बिजली के बिल में क्रेडिट मिलता है और बिल में कटौती होती है। इस सिस्टम में दो विभिन्न सोर्स से बिजली का इस्तेमाल हो सकता है। ये सरलता से डोमेस्टिक डिवाइस को चलाने में पर्याप्त है।

ऑन-ग्रिड सोलर पावर सिस्टम की कार्य-प्रणाली

दिन के समय जेनेरेटर की इलेक्ट्रिसिटी को एकदम इस्तेमाल कर सकते हैं। इस पावर सिस्टम को सेटअप करना आसान है और इसका मेंटिनेंस करना ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम से थोड़ा कम खर्चीला रहता है। इस प्रकार से ऑन-ग्रिड सोलर पावर प्लांट में इन्वेस्ट एक अच्छा विकल्प है।

  • यहाँ दिन के समय उत्पादित विद्युत का प्रयोग उसी समय हो सकता है अथवा मेन ग्रिड में भेज सकते हैं।
  • सोलर पैनल से अतिरिक्त विद्युत के उत्पादन में ऑटोमैटिक रूप से विद्युत ग्रिड में पहुँच जाती है।
  • विद्युत कटौती के समय निर्यात हुई विद्युत को ग्रिड से वापिस खिंचा जाता है।
  • सरकार से नेट मीटरिंग प्रणाली के अनुसार ग्रिड को भेजी हुई अतिरिक्त विद्युत पर पैसे मिलते हैं।

ऑफ-ग्रिड सोलर पावर सिस्टम

देश के उन क्षेत्रों में जहाँ पर विद्युत सेवा बहाल नहीं है वहाँ के लिए ऑफ-ग्रिड सोलर पावर तंत्र एक सही समाधान है। इस प्रकार के सिस्टम में ग्रिड की जरुरत नहीं रह जाती है और सालभर करीबन प्रत्येक दिन प्रचुर मात्रा में बिजली आपूर्ति बनी रहती है।

ऑफ-ग्रिड सोलर पावर सिस्टम का महत्व

इस सिस्टम में बैटरी बैंक प्रणाली लगी होती है और भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति प्रयोग होने वाला सिस्टम है। पैनल से बन रही पावर को स्टोर करते हैं और सूर्य के ना होने पर स्टोर पावर प्रयोग में आती है। सिस्टम से जोड़े गए लोड को बिजली सप्लाई रहती है और अतिरिक्त उत्पादित पावर ऑटोमैटिक स्टोर हो जाती है।

ऑफ-ग्रिड सोलर पावर सिस्टम की कार्य-प्रणाली

  • यह पावर सिस्टम बैटरियों को बेचने वाली उत्पादित पावर को स्टोर कर लेता है।
  • बैटरी से प्राप्त हुए DC पावर को इन्वर्टर के द्वारा AC पावर में बदलता है।
  • AC पावर विद्युत का ही एक रूप होता है जोकि डोमेस्टिक उपकरण में प्रयुक्त होता है।
  • स्टोर हुई पावर जरूरत होने पर विद्युत के रूप में प्रयुक्त होती है।

हाईब्रिड सोलर पावर सिस्टम

इस पावर तंत्र में पहले दोनों सोलर सिस्टम के गुणों का मिश्रण होता है। इसमें बैटरियों में स्टोर पावर का इस्तेमाल होता है और बिजली के बिल में कमी होती है। ये सिस्टम कम समय में ही ज्यादा रिटर्न दे देता है। यानी कि ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम और ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम का योग ही हाईब्रिड सोलर सिस्टम है।

हाईब्रिड सोलर पावर सिस्टम का महत्व

यह बहुत ज्यादा एक्सपेंड हो सकने वाला सिस्टम है जो भविष्य में काफी प्रयोग होगा चूंकि इसमें बैटरी एवं ग्रिड दोनों का प्रयोग होता है। हाईब्रिड सिस्टम प्रयुक्त करके उपभोक्ता बिजली के कम मात्रा में प्रयोग के साथ बिजली की खपत को भी ज्यादा से ज्यादा कर सकता है। इस सिस्टम में बिल में कमी करने के साथ ही लगातार बिजली की सप्लाई रहती है।

हाईब्रिड सोलर पावर सिस्टम की कार्य-प्रणाली

  • इसमें दिन के समय विद्युत उत्पादन का काम होता है और पावर को बैट्री में स्टोर करते हैं।
  • इसमें सोलर इन्वर्टर के द्वारा उत्पादित DC को AC बदलता है।
  • जरुरत होने पर इन्वर्टर से घर एवं ग्रिड के बीच AC ट्रैक होती है।
  • इंस्टाल बैट्री के फुल होने के बाद उत्पादित पावर को ऑटोमेटिकली ग्रिड में पहुँचाया जाता है।

तीनो पावर प्लांट के बीच अंतर

ये तीनों ही पावर प्लांट एक-दूसरे से फीचर एवं क्वालिटीज़ में अलग होते हैं। हालाँकि सभी सोलर पावर का तंत्र एक ही मूल फॉर्मूले पर कार्य करता है।

कुछ अन्य टाइप के सोलर पावर प्लांट

ऊपर बताए तीनों सहित, सभी सोलर पावर प्लांट 2 उप-वर्ग में विभाजित होते हैं-

  • घर के सोलर पावर प्लांट
  • व्यवसायिक सोलर पावर प्लांट

सोलर पावर प्लांट के कार्य करने का तरीका

सोलर सेल के द्वारा होने वाले सोलर रेडिएशन को विद्युत ऊर्जा में बदला जा सकता है। सूरज के द्वारा 3 प्रकार का रेडिएशन मिलता है-

  • अल्ट्रावॉयलेट
  • विजिबल
  • इंफ्रारेड

सोलर पावर सिस्टम की कार्य-प्रणाली

एक सोलर सिस्टम ‘फोटोवोल्टिक इफ़ेक्ट’ नामक प्रिंसिपल के आधार पर कार्य करता है। विद्युत उत्पादन की शुरुआत सोलर पैनलों से होती है। इन पैनलों में मौजूद सोलर सेल्स सूरज की रौशनी को लेकर डीसी करंट में बदल देते हैं। अभी प्राप्त बिजली को डोमेस्टिक डिवाइस में इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। तो पहले इसको सोलर इन्वर्टर के द्वारा AC करंट में बदलते है। बाद में प्रयोग करने के लिए बिजली को सोलर बैटरी में स्टोर कर लेते है।

सोलर ट्रैकिंग प्रणाली

हमारी धरती पर सूरज पूर्व दिशा से निकलकर पश्चिम की ओर अस्त हो जाता है। सोलर पैनल को ऐसे संयोजित करते है कि सूरज के आने पर सूर्यकिरण पैनलों के ऊपर पड़ती है। तभी से सोलर पैनल विद्युत उत्पादन करना शुरू कर देता है। सूर्योदय के समय रौशनी की मात्रा कम होने के कारण से पैनल कम ही मात्रा में बिजली उत्पादित कर पाते हैं।

किन्तु जैसे-जैसे दिन बीतने पर सूरज की रौशनी में तेजी आती है वैसे ही सोलर पैनल भी अधिक मात्रा में सोलर पावर को अधिक मात्रा में उत्पादित करने लगते हैं। किन्तु सायं के समय में सूरज की रौशनी कम होने के कारण बिजली उत्पादन कम होने लगता है।

सोलर प्लांट में अच्छे से बिजली उत्पादन के लिए ‘सोलर ट्रैकिंग सिस्टम’ बनाया जाता है। इसका लाभ यह होता है कि ये सिस्टम सूरज को ट्रैक करेगा और सूरज के जाने की दिशा में ही पैनल की प्लेटो को घुमा देगा। इस प्रणाली से इलेक्ट्रिसिटी प्रोडक्शन में वृद्धि हो जाती है।

सौर ऊर्जा के महत्व

  • नवीकरणीय – सोलर एनर्जी एक प्रकार से नवीनीकरण संसाधन के रूप में इस्तेमाल हो सकती है।
  • साफ ऊर्जा – सोलर पावर हमारे वातावरण को नुकसान नहीं पहुंचाती है क्योकि इसके उत्पादन में प्रदूषित तत्व नहीं निर्मित होते है। ऐसे यह पर्यावरण को प्रभावित नहीं करती है।
  • उचित निवेश – शुरू में तो सोलर तकनीक की लागत अधिक होती थी किन्तु बीते सालो में इसकी लागत में कमी हुई है। अभी इसकी लागत में और कमी हो सकती है और ये अधिक किफायती हो सकेगा।
  • उत्पादन क्षमता – जिन क्षेत्रों में बिजली की कमी है वहां पर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध सोलर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा के उत्पादन में इस्तेमाल करके समस्या हल कर सकते हैं।
  • बहुउद्देश्यीय – सोलर पावर का इस्तेमला सरलता से बहुत से कार्यों जैसे – घरों में, बिज़नेस में एवं इलेक्ट्रिक गाड़ियों तक में कर सकते हैं।

सोलर पावर प्लांट क्यों जरुरी है?

  • इससे परम्परागत जीवाश्म फ्यूल पर दबाव कम होगा और पृथ्वी में जलवायु परिवर्तन भी रुकेगा।
  • ये एक साफ़-सुथरा, नवीनीकरणीय सोर्स है जिसका पारिस्थितिक पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
  • सोलर पावर की सहायता से दूरस्थ एवं ऑफ-ग्रिड क्षेत्रो में सरलता से बिजली दे सकते हैं।
  • यह पावर सोर्स में विभिन्नता लाता है जिससे एक ही पावर सोर्स पर निर्भरता समाप्त होती है।
  • सोलर पावर नवीकरणीय ऊर्जा सेक्टर में एक बेहतरीन रोज़गार का निर्माण करता है।

सोलर पावर प्लांट से जुड़े प्रश्न

सोलर एनर्जी का मौलिक अर्थ क्या है?

सूर्य के द्वारा मिलने वाली ऊष्मा रूपी ऊर्जा को सोलर एनर्जी कहते है। लोग अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सूर्य से मिली ऊर्जा का इस्तेमाल करते है। इसे विभिन्न कार्यों जैसे – कपडे सुखाना, घर गर्म रखना एवं रौशनी के लिए उपयोग करते हैं।

सोलर पावर प्लांट क्या है और कैसे कार्य करता है?

सोलर पावर प्लांट सूर्य की रौशनी, ऊष्मा एवं पराबैगनी विकिरण के द्वारा बिजली उत्पादित करके घरों एवं व्यवसाय में सप्लाई करता है।

सोलर प्लांट कितने प्रकार के है?

सोलर पावर प्लांट तीन प्रकार के हैं- ऑन-ग्रिड, ऑफ-ग्रिड एवं हाईब्रिड सोलर पावर प्लांट।

सोलर पावर प्लांट किस तकनीक पर कार्य करते है?

सोलर पावर तकनीकी के 2 मुख्य प्रकार हैं- फोटोवोल्टिक (PV) एवं सांद्रित सौर-थर्मल पावर (CSP).

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