MPPT सोलर चार्ज कंट्रोलर की व्याख्या

सोलर चार्ज कंट्रोलर सोलर सिस्टम में प्रयोग किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण उपकरण है। MPPT सोलर चार्ज कंट्रोलर आधुनिक तकनीक का चार्ज कंट्रोलर होता है।

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सोलर पैनल सूर्य से आने वाले प्रकाश के द्वारा बिजली का उत्पादन करने का कार्य करता है, सोलर पैनल बनने वाली बिजली एक समान रूप से प्राप्त नहीं होती है, यदि सोलर पैनल से बैटरी में सीधे ही बिजली भेजी जाए तो ऐसे में बैटरी खराब हो जाती है, इसलिए सोलर पैनल द्वारा बनने वाली बिजली को नियंत्रित कर के सोलर चार्ज कन्ट्रोलर का प्रयोग किया जाता है। इस लेख के द्वारा हम आपको MPPT सोलर चार्ज कंट्रोलर (MPPT Solar Charge Controller) से जुड़ी पूरी जानकारी प्रदान करेंगे।

MPPT सोलर चार्ज कंट्रोलर की व्याख्या
MPPT सोलर चार्ज कंट्रोलर

सोलर चार्ज कंट्रोलर क्या है?

सोलर पैनल एवं बैटरी के बीच जोड़े जाने वाला एक उपकरण सोलर चार्ज कन्ट्रोलर है, इसे सोलर रेगुलेटर भी कहा जाता है। सोलर चार्ज कन्ट्रोलर द्वारा बैटरी की चार्जिंग प्रक्रिया में अनियमित रूप से आने वाली बिजली को कंट्रोल किया जाता है। सोलर चार्ज कंट्रोलर का प्राथमिक कार्य सोलर सिस्टम में लगी बैटरी को ओवरचार्ज न होने देना है। जिस से सोलर सिस्टम को सुरक्षित रखा जा सकता है। सोलर पैनल के द्वारा बिजली को दिष्ट धारा DC के रूप में निर्मित किया जाता है, जिसे बैटरी में स्टोर करने से पहले एक समान रूप से सोलर चार्ज कंट्रोलर द्वारा नियंत्रित किया जाता है। सोलर चार्ज कंट्रोलर के कनेक्शन कैसे करें

मुख्य रूप से PWM (Pulse Width Modulation) एवं MPPT (Maximum Power Point Tracking) तकनीक के सोलर चार्ज कंट्रोलर का प्रयोग सोलर सिस्टम में किया जाता है। सोलर चार्ज कंट्रोलर का प्रयोग कम क्षमता के सभी ऑफग्रिड सोलर सिस्टम में किया जाता है। आज के समय में प्रयोग किए जाने वाले सोलर चार्ज कन्ट्रोलर सिस्टम को ठीक से एवं कुशलता से चार्ज करने के साथ अनेक सुविधाएं प्रदान करते हैं, जिस से सोलर सिस्टम को सुरक्षित बनाया जा सकता है। साथ ही ऐसे कंट्रोलर में लाइट सिस्टम के लिए प्रयोग किए जाने वाली DC लोड आउटपुट की सुविधा भी रहती है।

सोलर चार्ज कन्ट्रोलर की रेटिंग

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सोलर चार्ज कंट्रोलर की रेटिंग को अधिकतम इनपुट वोल्टेज एवं अधिकतम चार्ज करंट के अनुसार प्राप्त किया जाता है, सोलर चार्ज कंट्रोलर में यदि दो प्रकार की रेटिंग होती है। इनमें से चार्जिंग करंट को एम्पियर (A) में एवं अधिकत वोल्टेज (V) को वोल्ट में प्रदर्शित किया जाता है। सोलर चार्ज कंट्रोलर की रेटिंग के अनुसार ही उसे सही क्षमता के सोलर पैनल से जोड़ा जा सकता है। सामान्यतः सोलर पैनल सीरीज में जोड़े जाते हैं। सोलर सिस्टम में जितने अधिक सोलर पैनल सीरीज में जुड़े होते हैं, सिस्टम में स्ट्रिंग वोल्टेज उतना ही अधिक होता है।

MPPT एवं PWM सोलर चार्ज कन्ट्रोलर में अंतर

MPPT सोलर चार्ज कंट्रोलर आधुनिक कंट्रोलर है। इसके द्वारा चार्जिंग दक्षता में वृद्धि, उच्च कार्य प्रदर्शन जैसे अनेकों लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। MPPT प्रकार के सोलर चार्ज कंट्रोलर PWM तकनीक से कहीं ज्यादा विकसित होते हैं। MPPT तकनीक के सोलर चार्ज कंट्रोलर द्वारा सोलर पैनल से प्राप्त होने वाली बिजली की वोल्टेज एवं करंट दोनों को ही नियंत्रित किया जाता है। जबकि PWM तकनीक के सोलर चार्ज कंट्रोलर केवल वोल्टेज को ही नियंत्रित करने का कार्य करते हैं।

MPPT तकनीक के कंट्रोलर PMW कंट्रोलर से 30% अधिक कुशलता से कार्य करते हैं। इनका प्रयोग कर एडवास सोलर सिस्टम स्थापित किया जा सकता है। PWM तकनीक के सोलर चार्ज कंट्रोलर का प्रयोग कर सोलर सिस्टम में बैटरी से डायरेक्ट कनेक्शन रखा जाता है। ऐसे सोलर चार्ज कंट्रोलर को छोटे सोलर सिस्टम या सोलर से जुड़े छोटे अनुप्रयोगों में किया जाता है। इस प्रकार के सोलर चार्ज कंट्रोलर की दक्षता क होती है। इस तकनीक के सोलर चार्ज कंट्रोलर की कीमत भी कम होती है।

MPPT सोलर चार्ज कंट्रोलर क्या है?

MPPT सोलर चार्ज कंट्रोलर जिसे Maximum Power Point Tracking भी कहा जाता है, यह एक कुशल DC-to-DC कनवर्टर होता है, इसका प्रयोग सोलर सिस्टम के पावर आउटपुट को अधिकतम करने के लिए किया जाता है। जब दिन के समय सोलर पैनल सूर्य से प्राप्त होने वाले प्रकाश से बिजली का उत्पादन करते हैं तो ऐसे में सोलर पैनल द्वारा उत्पन्न बिजली का वोल्टेज एवं करंट दोनों ही लगातार बदलते रहते हैं। MPPT सोलर पैनल का कनेक्शन

MPPT कंट्रोलर द्वारा अधिकतम बिजली को जनरेट करने के लिए पैनल वोल्टेज के माध्यम से स्वीप किया जाता है, ऐसे में अधिकतम बिजली उत्पादन करने के लिए वोल्टेज एवं करंट सही से प्राप्त होती है। MPPT कंट्रोलर के द्वारा पैनल से प्राप्त होने वाली वोल्टेज को लगातार ही ट्रैक किया जाता है, ऐसे में अधिकतम बिजली को उत्पन्न करने के लिए समायोजित किया जाता है। मौसम के खराब होने पर भी ऐसे में सोलर सिस्टम प्रभावित नहीं होता है। MPPT तकनीक का प्रयोग कर के सोलर सिस्टम की संचालन दक्षता बढ़ जाती है।

MPP (अधिकतम पावर पॉइंट) क्या होता है?

वह वर्तमान वोल्टेज जिस पर सोलर उपकरण सबसे अधिक आउटपुट जनरेट करता है, उसे ही अधिकतम पावर पॉइंट MPP कहा जाता है। वर्तमान तीव्रता (I) एवं वोल्टेज (V) को गुणा करने पर प्राप्त होने वाली अधिकतम गुणनफल के द्वारा इसे प्राप्त किया जा सकता है। MPP को बाह्य कारकों जैसे सूर्य के प्रकाश की स्थिति, उपकरण का डिजाइन एवं तापमान के द्वारा बदला जा सकता है। ऐसे कारकों से सोलर उपकरण की अधिकतम शक्ति उत्पादन को सुनिश्चित करने के लिए उपकरण के प्रतिरोध को विनियमित कर MPPT द्वारा चलाया जा सकता है।

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भारत में टॉप MPPT सोलर चार्ज कंट्रोलर

भारत में सोलर उपकरणों का एक बहुत बड़ा फैला हुआ बाजार है, यहाँ सोलर उपकरणों का निर्माण करने वाले अनेक ब्रांड बाजारों में उपलब्ध हैं। भारत में टॉप MPPT सोलर कंट्रोलर मुख्यतः इस प्रकार हैं:-

  • Smarten MPPT Solar Management Unit 30 amps, 12-24V– स्मार्टन का यह MPPT चार्ज कंट्रोलर 12 वोल्ट एवं 24 वोल्ट की वोल्टेज रेटिंग में उपलब्ध है। इस कंट्रोलर की करंट रेटिंग 30 एम्पियर है। यह चार मोड में कार्य करता है, जो bulk, absorption, float एवं equalizer हैं। इस चार्ज कंट्रोलर को LA/SMF/Tubular/Solar पर चलाया जा सकता है। इस सोलर चार्ज कंट्रोलर में सुरक्षा के साथ ही अनेक आधुनिक सुविधाएं भी प्रदान की जाती है।
  • Sukam MPPT charge controller 40 amps, 12/24/48V– Su-kam के इस MPPT सोलर चार्ज कंट्रोलर की करंट रेटिंग 40 एम्पियर है। यह सोलर चार्ज कंट्रोलर 12 वोल्ट, 24 वोल्ट एवं 48 वोल्ट तक की वोल्टेज रेटिंग में बाजार में उपलब्ध रहता है। इस चार्ज कंट्रोलर के द्वारा ओवरहीटिंग, ओवरचार्जिंग, ओवरडिस्चार्जिंग, ओवरलोड एवं शॉर्ट सर्किट की सुरक्षा प्रदान की जाती है। इसके द्वारा रिवर्स प्रोटेक्शन किया जा सकता है। इस पर 2 वर्ष की वारंटी प्रदान की जाती है।
  • फ्यूजन 4024, MPPT 40 एम्पीयर, 12-24 वोल्ट– ऑफग्रिड सोलर सिस्टम में प्रयोग होने वाला फ्यूजन 4024, 40 एम्पीयर, 12/24 वोल्ट Loom Solar द्वारा निर्मित एक MPPT सोलर चार्ज कंट्रोलर है। इसकी वोल्टेज रेटिंग 12 वोल्ट एवं 24 वोल्ट रहती है, इस कंट्रोलर की करंट रेटिंग 40 एम्पियर है। इसमें शॉर्ट-सर्किट, वोल्टेज में उतार-चढ़ाव से सुरक्षा प्रदान की जाती है, साथ ही सिस्टम में संचालित होने वाली प्रक्रियाओं की जानकारी के लिए डिस्प्ले प्रदान की गई है।
  • UTL MPPT solar charge controller– UTL सोलर उपकरणों का एक प्रसिद्ध एवं विश्वसनीय ब्रांड है। UTL द्वारा 12 वोल्ट एवं 24 वोल्ट की रेटिंग के MPPT सोलर चार्ज कंट्रोलर निर्मित किए जाते हैं। इस कंट्रोलर की करंट रेटिंग 40 एम्पियर होती है। इस सोलर चार्ज कंट्रोलर की दक्षता 95% से अधिक बताई गई है। UTL MPPT solar charge controller वजन में हल्के होते हैं, साथ ही इनके द्वारा अनेक सुरक्षा के फीचर्स उपयोगकर्ता को प्रदान किए जाते हैं।

बैटरी वोल्टेज विकल्प के साथ सोलर चार्ज कंट्रोलर का चयन कैसे करें?

सोलर सिस्टम में प्रयोग की जाने वाली बैटरी की वोल्टेज रेटिंग के अनुसार ही सोलर चार्ज कंट्रोलर का प्रयोग किया जाता है, यदि 12 वोल्ट या 24 वोल्ट की बैटरी का प्रयोग सोलर सिस्टम में किया गया है, तो ऐसे में 10 एम्पियर से 30 एम्पियर तक की करंट रेटिंग के 12/24 वोल्ट के सोलर चार्ज कंट्रोलर को सिस्टम में जोड़ा जाता है। सिस्टम में रेटिंग से अधिक क्षमता के उपकरणों का प्रयोग नहीं करना चाहिए, ऐसे में सोलर सिस्टम के खराब होने की पूरी संभावनाएं रहती है। यहाँ तक कि कई बार भारी नुकसान भी हो सकता है। आप सोलर सिस्टम में निम्न प्रकार से उपकरणों का प्रयोग कर सकते हैं:-

  • 260W की अधिकतम क्षमता के सोलर पैनल के साथ 12 वोल्ट की बैटरी को जोड़ने के लिए 20 एम्पियर के MPPT सोलर चार्ज कंट्रोलर का प्रयोग किया जाता है।
  • 520W की अधिकतम क्षमता के सोलर पैनल के साथ 24 वोल्ट (12V x 2) की बैटरी को जोड़ने के लिए 20 एम्पियर के MPPT सोलर चार्ज कंट्रोलर का प्रयोग किया जाता है।
  • 1040W की अधिकतम क्षमता के सोलर पैनल के साथ 48 वोल्ट (12V x 4) की बैटरी को भी जोड़ने के लिए 20 एम्पियर के MPPT सोलर चार्ज कंट्रोलर का प्रयोग किया जाता है।

नोट: सोलर सिस्टम की सुरक्षा के लिए MPPT सोलर चार्ज कंट्रोलर को अधिकतम इनपुट वोल्टेज एवं करंट की लिमिट के अंदर ही कार्य करना चाहिए। उस से अधिक वोल्टेज एवं करंट होने पर सिस्टम को भारी क्षति पहुँच सकती है।

12 वोल्ट की बैटरी की तुलना में 48 वोल्ट की बैटरी का का प्रयोग करने के लाभ

यदि सोलर सिस्टम में 48 वोल्ट की बैटरी का प्रयोग किया जाए तो ऐसे में निम्न लाभ उपयोगकर्ता प्राप्त कर सकते हैं:-

  • 48 वोल्ट के सिस्टम की तुलना में 12 वोल्ट के सिस्टम की दक्षता कम होती है, 48 वोल्टे के सिस्टम में कुशल पावर ट्रांसमिशन होता है, इसमें उच्च वोल्टेज का अर्थ बराबर पावर से कम करंट का होना होता है। ऐसे में सिस्टम में प्रतिरोधात्म नुकसान बहुत कम होता है।
  • उच्च वोल्टेज की बैटरी वाले सिस्टम में कम करंट के कारण MPPT सोलर चार्ज कंट्रोलर से अधिक सौर ऊर्जा को प्राप्त करने में सक्षम होती है।
  • उच्च वोल्टेज एवं कम धार के सभी कनेक्शनों में प्रतिरोध के कारण होना वाले ताप का प्रभाव कम होता है। ऐसे में यदि किसी प्रकार कहीं दोषपूर्ण कनेक्शन हो और प्रतिरोध बढ़े तो कम करंट के कारण कम गर्मी जनरेट होती है, ऐसा होने से ओवरहीटिंग का खतरा कम हो जाता है।
  • 48 वोल्ट के सिस्टम में परायों होने वाली बैटरी की स्थापना में छोटे आकार के वायर का प्रयोग किया जाता है। ऐसे में सोलर सिस्टम की को स्थापित करने में होने वाले खर्चे को कम किया जा सकता है।

सोलर चार्ज कंट्रोलर का साइज़ चुनें

सोलर सिस्टम में सोलर चार्ज कंट्रोलर का प्रयोग करने से पहले आपको सिस्टम की पूरी जानकारी होनी चाहिए।यदि लेड एसिड बैटरियों का प्रयोग सोलर सिस्टम में किया गया हो तो ऐसे में चार्ज कंट्रोलर एम्प, रेटिंग बैटरी एम्प/घंटा (Ah) रेटिंग का 10% से 20% तक होना चाहिए। सामान्यतः बैटरी की Ah रेटिंग के 20% से 50% तक रहता है।

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यदि 100 Ah क्षमता को 12 वोल्ट के लेड एसिड बैटरी को सोलर सिस्टम में जोड़ा जाए तो ऐसे में 10 A से 20 A की करंट रेटिंग के सोलर चार्ज कंट्रोलर का प्रयोग किया जा सकता है। तेज धूप वाले मौसम में 200 वाट के सोलर पैनल को 100 Ah की बैटरी पर जोड़ने से पहले 10 एम्पियर के सोलर चार्ज कंट्रोलर द्वारा जोड़ा जाना चाहिए, क्योंकि अधिक धूप वाले मौसम पर ये पैनल 10 A की करंट को ही जनरेट करते हैं।

ऑफग्रिड सोलर सिस्टम में उपकरण

ऑफग्रिड सोलर सिस्टम में सोलर पैनल से बनने वाली बिजली को संग्रहीत कर के रखा जा सकता है, जिसके लिए सोलर सिस्टम में बैटरी का प्रयोग किया जाता है। सोलर पैनल से बनने वाली बिजली को बैटरी में जमा करने से पहले उनके बीच सोलर चार्ज कंट्रोलर का प्रयोग किया जाता है। बैटरी में जमा की गई बिजली का प्रयोग करने के लिए इंवर्टर को सोलर सिस्टम में जोड़ते हैं। बैटरी में DC के रूप में बिजली को जमा किया जाता है, इंवर्टर के द्वारा DC को AC में परिवर्तित करने का कार्य किया जाता है। ऑफग्रिड सोलर सिस्टम को ऐसे स्थान के लिए उपयुक्त कहा जाता है, जहां बिजली की कटौती अधिक होती है।

ऑफग्रिड सोलर सिस्टम स्थापित करने से पूर्व यह जानें:-

  • जिस स्थान में भी सोलर सिस्टम को स्थापित करना चाहते हैं, वहाँ के प्रतिदिन बिजली के लोड की जानकारी होनी चाहिए। जिसे बिजली के बिल या इलेक्ट्रिक मीटर से प्राप्त किया जा सकता है।
  • सोलर सिस्टम को स्थापित करने के स्थान के लोड की जानकारी होने के बाद अपनी आवश्यकता के अनुसार बैटरी का चयन करें।
  • बैटरी को चार्ज करने में कितने सोलर पैनल की आवश्यकता होगी, इसे जान कर ही सोलर पैनल का चयन करें।
  • सोलर बैटरी एवं पैनल की रेटिंग के अनुसार ही MPPT सोलर चार्ज कंट्रोलर का चयन अपने सोलर सिस्टम में करें।
  • सिस्टम में प्रयोग किए गए उपकरणों की रेटिंग के अनुरूप ही सोलर सिस्टम में ऑफग्रिड इंवर्टर का चयन करें।

लोड की जानकारी देखें

आप घर या जिस भी प्रतिष्ठान में सोलर सिस्टम स्थापित करना चाहते हैं, वहाँ प्रयोग की जाने वाली बिजली की गणना वाट-घंटे में या एम्पियर घंटे में की जा सकती है। बिजली के बिल से भी यह जानकारी प्राप्त की जा सकती है। भारत में बिजली को यूनिट में प्रदर्शित किया जाता है। यदि आपके घर बिजली का मासिक लोड 400 यूनिट से 450 यूनिट तक रहता है तो आप ऐसे में 3 किलोवाट के सोलर सिस्टम को स्थापित कर सकते हैं।

सोलर सिस्टम में बैटरी

बैटरी की क्षमता Ah में प्रदर्शित की गई होती है, अपनी आवश्यकता एवं बजट के अनुसार सोलर सिस्टम में लेड एसिड बैटरी या लिथियम बैटरी का प्रयोग किया जा सकता है। बैटरी का चयन करने के लिए आप उदाहरण की सहायता प्राप्त कर सकते हैं, यदि प्रतिदिन बिजली का लोड 30 Ah तक रहता है, तो ऐसे में 100 Ah की लेड एसिड बैटरी या 40 Ah की लिथियम बैटरी को अपने सोलर सिस्टम में जोड़ा जा सकता है। लिथियम आयन बैटरी आधुनिक बैटरी है, इसकी कीमत अधिक होती है, लेकिन इसकी क्षमता अधिक होती है। 80 Ah की लिथियम बैटरी 200 Ah की लेड एसिड बैटरी के समान बिजली जमा करती है।

सोलर सिस्टम में सोलर पैनल

सोलर पैनल सोलर सिस्टम में सबसे महत्वपूर्ण उपकरण होता है, जिसके द्वारा ही सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में प्राप्त किया जा सकता है। यदि 200 Ah की 12 वोल्ट की बैटरी को चार्ज करने में 40 एम्पियर करंट की आवश्यकता होती हो तो ऐसे में 250 वाट के सोलर पैनल का प्रयोग किया जा सकता है। इसे I = P/V के सूत्र से प्राप्त किया या सकता है। यदि 40 एम्पियर की धारा को प्राप्त करना हो तो ऐसे में 250 वाट के 2 सोलर पैनल सिस्टम में जोड़े जा सकते हैं। सोलर पैनल में पॉलीक्रिस्टलाइन या मोनोक्रिस्टलाइन या बाइफेशियल तकनीक के सोलर पैनल को अपने सोलर सिस्टम में जोड़ा जा सकता है।

भारत में पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल को सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है, इनकी कीमत कम होती है, ऐसे सोलर पैनल की दक्षता कम होती है। मोटोक्रिस्टलाइन तकनीक के सोलर पैनल की दक्षता उच्च होती है। बाइफेशियल सोलर पैनल सबसे आधुनिक सोलर पैनल हैं, इनके द्वारा दोनों ओर से ही बिजली का उत्पादन किया जाता है। मोनोक्रिस्टलाइन एवं बाइफेशियल तकनीक के सोलर पैनल की कीमत पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल से अधिक होती है।

सोलर सिस्टम में सोलर चार्ज कंट्रोलर

जैसा कि हमारे द्वारा पहले भी यह जानकारी दी गई है कि सोलर चार्ज कंट्रोलर का चयन सोलर सिस्टम में प्रयोग होने वाले उपकरणों की रेटिंग के अनुसार करना चाहिए। यदि सोलर सिस्टम में 200 वाट के 2 सोलर पैनल एवं एक 12 वोल्ट की बैटरी हो तो ऐसे में 33 A के सोलर चार्ज कंट्रोलर का प्रयोग किया जाना चाहिए, ऐसे सोलर सिस्टम में 30 A से 35 A रेटिंग का MPPT सोलर चार्ज कंट्रोलर जोड़ा जा सकता है। सोलर सिस्टम में सही रेटिंग के सोलर चार्ज कंट्रोलर का प्रयोग कर के सभी उपकरणों की सुरक्षा निर्धारित हो जाती है, जिससे सोलर सिस्टम का प्रयोग सही से किया जा सकता है।

MPPT सोलर चार्ज कंट्रोलर की ओवरसाइज़िंग

सोलर सिस्टम को स्थापित करने के बाद बाह्य कारणों जैसे खराब मौसम, धूल या गंदगी, खराब स्थापना आदि से उसे नुकसान होता है। ऐसे में जिस स्थान में बिजली की कमी हो वहाँ अधिक बिजली उत्पादन करने के लिए सोलर सिस्टम को बढ़ाया जाता है।1 अधिकांश MPPT सोलर चार्जकंट्रोलर पर 150% ओवरसाइजिंग को संभव कहा जाता है, ऐसे में कोई नुकसान नहीं होता है। लेकिन लंबे समय तक इसका प्रयोग करने पर इसे बहुत नुकसान हो सकता है, सोलर सिस्टम में ओवरसाइजिंग करने से पहले अपने द्वारा लगाए जाने वाले MPPT सोलर चार्ज कंट्रोलर की पूरी जानकारी का होना आवश्यक होता है।

नोट: किसी भी सोलर सिस्टम में ओवरसाइजिंग करने से पूर्व सोलर एक्सपर्ट की सलाह अवश्य प्राप्त करनी चाहिए। क्योंकि सोलर चार्ज कंट्रोलर की Voc या अधिकतम इनपुट करंट रेटिंग से अधिक जाना खतरनाक हो सकता है।

निष्कर्ष

MPPT सोलर चार्ज कंट्रोलर एडवांस तकनीक से निर्मित सोलर चार्ज कंट्रोलर है। इसका प्रयोग कर के सोलर सिस्टम को सुरक्षित रूप से प्रयोग किया जा सकता है। बैटरी के खराब होने की संभावना को इस सोलर चार्ज कंट्रोलर द्वारा बिल्कुल कम किया जा सकता है। सोलर सिस्टम का प्रयोग कर के बिजली का बिल कम प्राप्त होता है। सोलर सिस्टम का प्रयोग कर जीवाश्म ईंधन की निर्भरता को खत्म किया जा सकता है। ऐसे में पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सकता है।

सोलर सिस्टम के अधिक प्रयोग से ही हरित भविष्य की कल्पना की जा सकती है। क्योंकि सोलर सिस्टम के प्रयोग से पर्यावरण में उपस्थित कार्बन फुटप्रिन्ट को कम किया जा सकता है। सोलर सिस्टम पर निवेश करना बुद्धिमानी का निवेश होता है। एक बार सही से सोलर सिस्टम में निवेश करने के बाद उसके द्वारा आने वाले 25 सालों से अधिक समय तक फ्री बिजली का लाभ उठाया जा सकता है।

  1. अधिक बिजली उत्पन्न करने के लिए सौर सारणी को ओवरसाइज़ करना सामान्य बात है। ↩︎

यह भी देखें:वर्टिकल बाइफेशियल सोलर पैनल: क्या हम सौर ऊर्जा को गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहे थे?

वर्टिकल बाइफेशियल सोलर पैनल: क्या हम सौर ऊर्जा को गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहे थे?

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