सोलर पैनल लगाने में होगा मात्र इतना खर्चा, मिलेगी तगड़ी सब्सिडी भी

क्या आप सोलर पैनल स्थापित करना चाहते हैं? सोलर सिस्टम पर बस एक बार निवेश करें और कई सालों तक लाभ उठायें।

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सोलर पैनल लगाने में होने वाला खर्चा सोलर सिस्टम के प्रकार एवं उसमें लगाए जाने वाले उपकरणों की क्षमता पर निर्भर करता है।
सोलर पैनल लगाने में होगा मात्र इतना खर्चा

आज के समय में टेक्नोलॉजी तेजी से विकसित हो रही है, जिसका प्रयोग करने से उपयोगकर्ता अनेक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। सोलर पैनल लगाने में होगा मात्र इतना खर्चा यहाँ जानें। सोलर सिस्टम को स्थापित करने से पहले उनसे संबंधित पूरी जानकारी पर रिसर्च आवश्यक होती है, सही स्थापना के माध्यम से ही सोलर पैनल के द्वारा उसकी दक्षता एवं क्षमता के अनुसार बिजली को प्राप्त किया जा सकता है। सोलर पैनल की स्थापना यदि सही से न की जाए तो वह कुछ वर्षों में ही अपनी दक्षता को खो सकता है।

सोलर सिस्टम क्या होता है?

एक पूरा सोलर सिस्टम सोलर पैनल, सोलर इंवर्टर, सोलर चार्ज कन्ट्रोलर, सोलर बैटरी जैसे मुख्य उपकरणों की सहायता से स्थापित किया जाता है। इन उपकरणों के अतिरिक्त सोलर सिस्टम की स्थापना में अन्य छोटे उपकरणों को भी जोड़ा जाता है। ऐसे उपकरण सोलर सिस्टम को मजबूती एवं सुरक्षा प्रदान करते हैं। सोलर पैनल एवं सोलर इंवर्टर सभी प्रकार के सिस्टम में प्रयोग होते हैं। सामान्यतः सोलर सिस्टम को निम्न दो प्रकार से जोड़ा जाता है:-

  • ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम: इस प्रकार के सोलर सिस्टम में बैटरी का प्रयोग नहीं किया जाता है। सोलर पैनल से बनने वाली बिजली को इलेक्ट्रिक ग्रिड के साथ शेयर किया जाता है, जिसमें शेयर होने वाली बिजली की गणना करने के लिए नेट-मीटर का प्रयोग होता है, इस प्रकार के सोलर सिस्टम से बिजली बिल को कम किया जा सकता है। सरकार द्वारा ऐसे सोलर सिस्टम पर सब्सिडी प्रदान की जाती है।
  • ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम: जिन स्थानों में बिजली की कटौती भारी मात्रा में होती है, ऐसे स्थानों के लिए ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम को उपयुक्त कहा जाता है। इस सोलर सिस्टम में पैनल से बनने वाली बिजली को सोलर बैटरी में स्टोर किया जाता है, जिसका प्रयोग उपयोगकर्ता अपनी आवश्यकता के अनुसार कर सकता है। इस सोलर सिस्टम को लगाने की कीमत ऑनग्रिड सोलर सिस्टम में अधिक होती है, क्योंकि इनमें प्रयोग होने वाली बैटरी की कीमत भी अधिक होती है।

सोलर पैनल लगाने में होगा मात्र इतना खर्चा

रुफटॉप सोलर से आप यह समझ सकते हैं कि घर या व्यावसायिक क्षेत्र की छत पर लगने वाले सोलर पैनल। सोलर पैनल को स्थापित करने से पहले स्थान की लोड की गणना की जाती है। साथ ही छत के एरिया को भी जांचा जाता है। लोड की जानकारी होने के बाद सोलर पैनल की क्षमता का चयन किया जा सकता है। जो सामान्यतः किलोवाट (KW) में होती है। लोड की गणना इलेक्ट्रिक ग्रिड के बिजली बिल से या मीटर से या संचालित किए जाने वाले उपकरणों के माध्यम से की जा सकती है।

सोलर रुफटॉप को लगाने पर नागरिक सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सब्सिडी को प्राप्त कर सकता है। केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकार भी अपनी ओर से ऑनग्रिड सिस्टम के लिए सब्सिडी प्रदान करती है। इसमें 10 किलोवाट क्षमता तक के सोलर सिस्टम पर सब्सिडी दी जाती है, यह सब्सिडी केवल घरेलू प्लांट के लिए दी जाती है। यदि किसी स्थान में प्रति माह बिजली का बिल 2,000 से 5,000 रुपये तक है तो ऐसे में उस स्थान में 3 किलोवाट तक का सोलर सिस्टम स्थापित किया जा सकता है। सोलर सिस्टम की कीमत निम्न सारणी के माध्यम से आप देख सकते हैं:-

सोलर सिस्टम की क्षमता बिना सब्सिडी के कीमत सब्सिडी के साथ कीमत
1 किलोवाट60,000 रुपये42,000 रुपये (18,000 रुपये सब्सिडी)
2 किलोवाट1,20,000 रुपये84,000 रुपये (36,000 रुपये सब्सिडी)
3 किलोवाट1,80,000 रुपये1,26,000 रुपये (54,000 रुपये सब्सिडी)
4 किलोवाट2,24,000 रुपये1,61,000 रुपये (54,000+9,000 रुपये सब्सिडी)
5 किलोवाट3,00,000 रुपये2,28,000 रुपये (54,000+18,000 रुपये सब्सिडी)
6 किलोवाट3,60,000 रुपये2,55,000 रुपये (54,000+27,000 रुपये सब्सिडी)
7 किलोवाट4,20,000 रुपये3,52,000 रुपये (54,000+36,000 रुपये सब्सिडी)
8 किलोवाट4,80,000 रुपये3,81,000 रुपये (54,000+45,000 रुपये सब्सिडी)
9 किलोवाट5,40,000 रुपये4,32,000 रुपये (54,000+54,000 रुपये सब्सिडी)
10 किलोवाट6,00,000 रुपये4,83,000 रुपये (54,000+63,000 रुपये सब्सिडी)

नोट: उपरोक्त सारणी में दी गई कीमत औसतन है। यह खर्च स्थान के आधार पर कम या ज्यादा हो सकता है।

सोलर सब्सिडी देखें

यदि आप सोलर सब्सिडी अपने राज्य के अनुसार जाँचना चाहते हैं तो आप निम्न प्रक्रिया का पालन करें:-

  • सोलर रुफटॉप सब्सिडी कैलकुलेटर पर क्लिक करें।
  • सोलर रुफटॉप एरिया, सोलर पैनल की क्षमता या अपने बजट में से एक का चयन करें।
  • अपना राज्य एवं ग्राहक श्रेणी का चयन करें।
  • अपने राज्य में बिजली की यूनिट का औसतन रेट का चयन करें। अब कैलकुलेट करें पर क्लिक करें।
  • अब आपके सामने सब्सिडी, एवं बिना सब्सिडी के सोलर सिस्टम को लगाने में होने वाला खर्चा सम्मिलित हो जाता है। सोलर सब्सिडी देखें

PM सूर्य घर रुफटॉप सब्सिडी कैलकुलेटर का प्रयोग करने के लिए यहाँ क्लिक करें

सोलर सिस्टम में लगे उपकरणों की सामान्य जानकारी

सोलर सिस्टम में प्रयोग किए जाने वाले उपकरणों की सामान्य जानकारी इस प्रकार है:-

सोलर पैनल

सोलर पैनल को सोलर सिस्टम का प्राथमिक घटक कहा जाता है, सोलर पैनल के माध्यम से ही सूर्य से प्राप्त होने वाली सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। यह कार्य सोलर पैनल के अंदर लगे PV/सोलर सेल के द्वारा किया जाता है। सोलर पैनल मुख्यतः 3 प्रकार के भारत में सोलर सिस्टम में प्रयोग किए जाते हैं:- सौर पैनलों के प्रयोग से पर्यावरण पर प्रभाव

  • पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल– इस प्रकार के सोलर पैनल पर ही सब्सिडी प्रदान की जाती है, ये नीले रंग के सोलर पैनल सूर्य के प्रकाश के सम्मुख ही उत्कृष्ट कार्य-प्रदर्शन करते हैं। इस प्रकार के सोलर पैनल की कीमत लगभग 30 रुपये से 36 रुपये प्रतिवाट है। इस प्रकार के सोलर पैनल का प्रयोग कर कम कीमत में सोलर सिस्टम स्थापित किया जा सकता है।
  • मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल– ये सामान्यतः गहरे नीले या काले रंग के सोलर पैनल होते हैं, इनकी कीमत अधिक होती है। ये अधिक दक्षता के साथ बिजली का उत्पादन करने की क्षमता रखते हैं। इनकी कीमत लगभग 45 रुपये से 65 रुपये प्रतिवाट है। यदि 3 किलोवाट के सोलर सिस्टम में इस प्रकार के सोलर पैनल का प्रयोग किया जाए तो सिस्टम को स्थापित करने में लगभग कुल खर्च 2.50 लाख से 3.50 लाख रुपये तक का खर्च हो सकता है।
  • बाइफेशियल सोलर पैनल– ये आधुनिक तकनीक के एडवांस सोलर पैनल होते हैं। इनके माध्यम से दोनों ओर से बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। ये सूर्य के सीधे प्रकार एवं परावर्तित प्रकाश दोनों से ही बिजली का उत्पादन कर सकते हैं। इनकी कीमत अधिक होती है। ये सोलर पैनल लगभग 45 रुपये से 65 रुपये प्रतिवाट की कीमत से ही बाजारों में उपलब्ध रहते हैं।

सोलर पैनल की कीमत

यह भी देखें:सोलर पैनल बनाने वाली कंपनी की शानदार शुरुआत, निवेशकों को हुआ 300% का फायदा

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सोलर पैनल की कीमत उनके प्रकार, आकार, ब्रांड आदि पर निर्भर करती है। सोलर सिस्टम में किए जाने वाले निवेश को बुद्धिमानी का निवेश कहा जाता है, क्योंकि इसमें एक बार निवेश करने के बाद 20-25 सालों तक पैनल से प्राप्त होने वाली बिजली का लाभ प्राप्त किया जा सकता है। 1 किलोवाट क्षमता के सोलर पैनल की औसतन कीमत इस प्रकार रहती है:-

निम्नतम कीमत30,000 रुपये
उच्चतम कीमत50,000 रुपये
औसतन कीमत40,000 रुपये

सोलर इन्वर्टर 

सोलर इंवर्टर का प्रयोग कर के सोलर पैनल या बैटरी से प्राप्त होने वाली DC को AC में परिवर्तित किया जाता है। सोलर सिस्टम में सामान्य इंवर्टर का प्रयोग करने के लिए सोलर चार्ज कंट्रोलर का प्रयोग किया जाता है। सामान्यतः सोलर सिस्टम में PWM (Pulse Width Modulation) एवं MPPT (Maximum Power Point Tracking) तकनीक के सोलर इंवर्टर का प्रयोग किया जाता है। सोलर इंवर्टर का प्रयोग सोलर सिस्टम की क्षमता के अनुसार किया जाता है। भारत में अनेक सोलर विनिर्माता विकसित तकनीक के इंवर्टरों का निर्माण करते हैं।

सोलर बैटरी

सोलर पैनल के द्वारा सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली को DC रूप में निर्मित किया जाता है, DC को ही स्टोर कर के भी रखा जा सकता है। ऐसे में सिस्टम में बैटरी का प्रयोग किया जाता है। ऑफग्रिड या हायब्रिड सोलर सिस्टम में सोलर बैटरी का प्रयोग किया जाता है। सोलर पैनल की क्षमता का चयन उपभोक्ता अपनी पावर बैकअप की आवश्यकताओं के अनुसार कर सकते हैं। सोलर बैटरी में ट्यूबलर तकनीक की बैटरियाँ सबसे अधिक प्रयोग की जाती है। आज के समय में लिथियम आयन बैटरी भी बाजारों में उपलब्ध हैं।

अतिरिक्त उपकरण

सोलर सिस्टम में सोलर पैनल को स्थापित करने में पैनल स्टैन्ड का प्रयोग होता है, जिससे पैनल को तेज हवाओं, जानकारी आदि से सुरक्षित रखा जा सकता है। इनके द्वारा ही सोलर पैनल को सही कोण एवं दिशा में स्थापित किया जाता है। ACDB बॉक्स के द्वारा सोलर इंवर्टर को AC करंट के असुरक्षित प्रभाव से बचाया जाता है। इसका प्रयोग सामान्यतः ग्रिड-टाई इंवर्टर के साथ किया जाता है। DCDB बॉक्स द्वारा DC करंट से सुरक्षा की जाती है, इसका प्रयोग ऑफग्रिड सोलर सिस्टम में लगे इंवर्टर के साथ किया जाता है।

LA (Lighting Arrester) का प्रयोग खराब मौसम से सोलर पैनल को सुरक्षित करने के लिए किया जाता है। सोलर सिस्टम में कनेक्शन स्थापित करने के लिए DC वायर एवं AC वायर दोनों ही प्रकार के तारों का प्रयोग किया जाता है। MC4 कनेक्टर्स द्वारा DC वायर को सोलर पैनल से कनेक्ट किया जाता है। वायर थिम्बल से तार (AC/Dc वायर) सही से कसते हैं। यह धातु सामग्री से निर्मित होते हैं। इन उपकरणों के साथ ही हथौड़ा, स्पैनर, गोटी सेट, फ़ार्मा, सरौता, टेस्टर, स्क्रू ड्राइवर, ग्राइंडर, ड्रिल मशीन, पाउचिंग मशीन, स्टिल वायर, क्लैंप मीटर, मापन टेप, जल स्तर, विद्युत टेप, सीढ़ी, केबल टाई, पीवीसी पाइप, थिम्बल्स, तार का कटर आदि का प्रयोग होता है।

अतिरिक्त शुल्क

सोलर सिस्टम की सुरक्षा एवं उसके रखरखाव के लिए अतिरिक्त शुल्क का भुगतान स्थापना के प्रारंभ में ही करना चाहिए, इसके लिए आवश्यक है कि उपभोक्ता सही एवं विश्वसनीय ब्रांड के उपकरणों का प्रयोग करे। सोलर सिस्टम में की गई आंतरिक वायरिंग कनेक्शन के लिए 1500 रुपये से 2,000 रुपये AMC (Annual Maintenance Contract) करना चाहिए।1 जो वार्षिक करने पर आपको 10,000 रुपये तक भुगतान करना होता है। सोलर सिस्टम की AMC करने पर सोलर पैनल की समय-समय पर सफाई की जा सकती है, जिस से वे अपनी दक्षता के अनुसार बिजली का उत्पादन कर सकते हैं।

सोलर उपकरणों की वारंटी

सोलर सिस्टम में लगे उपकरणों पर एक बार निवेश करने के बाद इनका प्रयोग लंबे समय तक किया जा सकता है, इसमें प्रयोग होने वाले उपकरणों पर निर्माता ब्रांड अलग-अलग वारंटी प्रदान करते हैं। इसलिए आवश्यक है कि सोलर उपकरणों को विश्वसनीय ब्रांड से ही खरीदा जाए, इनमें प्रदान होने वाली औसतन वारंटी इस प्रकार रहती है:-

  • सोलर पैनल पर लगभग 10 वर्ष की प्रोडक्ट वारंटी एवं 25 वर्ष की कार्य-प्रदर्शन वारंटी प्रदान की जाती है।
  • सोलर इंवर्टर पर 5 वर्ष से 10 वर्ष तक की वारंटी निर्माता ब्रांड द्वारा दी जाती है।
  • सोलर बैटरी पर 2 वर्ष तक की वारंटी प्रदान की जाती है।

निष्कर्ष

सोलर सिस्टम का प्रयोग करने से बिजली के बिल को कम किया जा सकता है। साथ ही इसका प्रयोग करने से अनेक लाभ उपयोगकर्ता को प्राप्त होते हैं। आज के समय में सोलर पैनल का प्रयोग लगभग सभी क्षेत्रों में किया जा रहा है। सौर ऊर्जा को भविष्य की ऊर्जा भी कहा जाता है क्योंकि इसका प्रयोग कर के पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सकता है। एवं कार्बन फुटप्रिन्ट को कम किया जा सकता है। जिस से हरित भविष्य की कल्पना की जा सकती है।

इस लेख के माध्यम से आप सोलर पैनल लगाने में होगा मात्र इतना खर्चा की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। सोलर पैनल पर एक बार निवेश करने के बाद आपकी बिजली की अनेक आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सकती है। एवं लंबे समय तक इनके माध्यम से बिजली का लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इसलिए सोलर सिस्टम को एक्सपर्ट कर्मचारी की सहायता से ही स्थापित करना चाहिए।

  1. AMC के द्वारा सोलर सिस्टम का रखरखाव किया जा सकता है। ↩︎

यह भी देखें:पहले का लगा है बिना सब्सिडी वाला सोलर सिस्टम क्या अपग्रेड करने में सब्सिडी मिलेगी, जानें

पहले का लगा है बिना सब्सिडी वाला सोलर सिस्टम क्या अपग्रेड करने में सब्सिडी मिलेगी, जानें

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