सबसे शक्तिशाली सोलर पैनल 2024, फायदे ही फायदे

आज के समय में सोलर तकनीक में बहुत तेजी से विकास हो रहा है, भारत में प्रयोग किए जाने वाले सबसे पावरफुल सोलर पैनल की जानकारी जानें।

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सबसे शक्तिशाली सोलर पैनल 2024, फायदे ही फायदे
सबसे शक्तिशाली सोलर पैनल

सौर ऊर्जा को भविष्य की ऊर्जा कहते हैं। सूर्य ऊर्जा के एक बहुत बड़ा प्राकृतिक स्रोत है। जो प्रचुर मात्रा में ऊर्जा प्रदान करता है। बिजली की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए सौर ऊर्जा का प्रयोग किया जा सकता है। सोलर पैनल द्वारा सूर्य से प्राप्त होने वाली सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करने का कार्य किया जाता है।

आज के समय में एडवांस तकनीक के सोलर पैनल विनिर्माताओं द्वारा बनाए जा रहे हैं। भारत के सबसे शक्तिशाली सोलर पैनल (Most powerful solar panel in India) का प्रयोग आप अपने सोलर सिस्टम में कर सकते हैं।

कोई भी सोलर पैनल कितना शक्तिशाली है यह उसकी क्षमता एवं दक्षता पर निर्भर करता है। भारत में सोलर पैनल का एक बहुत बड़ा बाजार हैं, जिसमें बड़े-बड़े नाम के निर्माता ब्रांड के सोलर उपकरण उपलब्ध रहते हैं। जिनके द्वारा सोलर पैनल की दक्षता एवं क्षमता बढ़ाने के लिए लगातार शोध किए जा रहे हैं। सोलर पैनल के प्रयोग से उपयोगकर्ता को अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं, और उसकी बिजली की जरूरतों को सोलर पैनल अपनी पूरी क्षमता के अनुसार पूरा कर सकता है।

सोलर पैनल का चयन स्थापना क्षेत्र के अनुसार

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यदि आप सोलर सिस्टम को स्थापित करना चाहते हैं तो उसके लिए आवश्यक है कि आप सोलर पैनल का चयन उसे स्थापित किए जाने वाले स्थान के अनुसार करें। ऐसे में सही सोलर सिस्टम को स्थापित किया जा सकता है। यदि सोलर पैनल को घर या आवासीय क्षेत्र के लिए लगाया जा रहा है, तो एडवांस तकनीक के कम क्षमता के सोलर पैनलों का प्रयोग भी सोलर सिस्टम में किया जा सकता है। सोलर सिस्टम को स्थापित करने से पूर्व लोड की जानकारी का होना आवश्यक होता है, जिससे सही क्षमता के सोलर सिस्टम का चयन किया जा सकता है।

यदि सोलर सिस्टम को औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित किया जाए तो ऐसे में एक बड़ा सोलर सिस्टम लग सकता है, जिसमें कम कीमत के सोलर पैनल का प्रयोग किया जा सकता है। भारत में सबसे अधिक पॉलीक्रिस्टलाइन तकनीक के सोलर पैनल का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार के सोलर पैनल की कीमत कम होती है, साथ ही भारत सरकार ऐसे सोलर पैनल पर सब्सिडी भी प्रदान करने का कार्य करती है, जिस से सोलर सिस्टम की स्थापना में होने वाले खर्चे को थोड़ा कम किया जा सकता है।

भारत में 575 वाट की पावर रेटिंग का सोलर पैनल

लूम सोलर भारत में सोलर पैनल निर्माण करने वाला एक बड़ा एवं प्रसिद्ध ब्रांड है। इस ब्रांड द्वारा उच्च दक्षता के सोलर पैनल का निर्माण किया जाता है। यह बाजार में 575 वाट की क्षमता के बाइफेशियल सोलर पैनल को प्रदान करता है। इस प्रकार के सोलर पैनल की दक्षता 22% से अधिक होती है। ऐसे सोलर पैनल पर 144 सोलर सेल लगे होते हैं।

लूम सोलर द्वारा Shark सीरीज के अंतर्गत इस सोलर पैनल को रखा गया है। निर्माता ब्रांड द्वारा इस सोलर पैनल पर 10 वर्ष की उत्पाद वारंटी एवं 25 वर्ष की कार्य प्रदर्शन वारंटी प्रदान की जाती है। लूम सोलर की आधिकारिक वेबसाइट पर इस सोलर पैनल की कीमत लगभग 20,250 रुपये बताई गई है।1

Loom Solar Panel- SHARK 575Watt की विशेषताएं इस प्रकार हैं:-

सोलर उपकरण का नाम Loom Solar Panel- SHARK 575Watt
सोलर पैनल की टेक्नोलॉजी TOPCon
आउटपुट 570 वाट से 700 वाट
Vmp (अधिकतम शक्ति पर वोल्टेज) 43 वोल्ट
Lmp (अधिकतम शक्ति पर धारा) 13.38 Amp
Voc (ओपन सर्किट वोल्टेज) 50.50 वोल्ट
Isc (शॉर्ट सर्किट करंट) 14.30 Amp
सोलर सेल की संख्या 144
Dimensions L x W x H 2278 x 1134 x 30 mm (7.47 x 3.72 ft.)

भारत में सबसे शक्तिशाली सोलर पैनल

भारत में अनेक ब्रांड के सोलर पैनल बाजारों में उपलब्ध हैं, भारत के सबसे शक्तिशाली सोलर पैनल की सूची इस प्रकार है:-

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सोलर ब्रांड का नाम सीरीज का नाम सोलर पैनल की क्षमता सोलर पैनल का प्रकार सोलर पैनल की दक्षता
Loom Solar Shark 575 वाट बाइफेशियल 22%+
Spark Solar G12 MBB 680 वाट से 710 वाट  N-type TOPCon 20%+
Vikram Solar HYPERSOL 690 वाट से 715 वाट N-TOPCon Half cut 23.02%
Nexus Solar 580 वाट Mono PERC Half Cut Bifacial औसतन 15% से 20%
Navitas Solar N-Type TopCon Series 680 वाट से 710 वाट N-Type TopCon 22%+
Microtek Solar330 वाट से 390 वाट Monocrystalline PERC 22%
Waaree Solar 715 वाट Bifacial 22.88%

भारत में सौर ऊर्जा की स्थिति कैसी है?

सौर ऊर्जा के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के लिए भारत में सरकार द्वारा निरंतर ही प्रयास किए जा रहे हैं। सौर ऊर्जा के प्रयोग से जहां एक ओर उपयोगकर्ताओं को भारी बिजली के बिल से राहत प्राप्त होती हैं, पर्यावरण को स्वच्छ रखने का प्रयास किया जाता है, वही दूसरी ओर सोलर पैनल के अधिक से अधिक प्रयोग से देश की नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।

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ऐसा होने पर सबसे अधिक लाभ पर्यावरण को होगा, प्रदूषण को मात्रा को पूरी तरह से कम किया जा सकेगा। भारत में सौर ऊर्जा की स्थिति से जुड़े बिन्दु इस प्रकार हैं:-

  • भारत में 5 हजार लाख किलोवाट घंटा प्रति वर्गमीटर के समान सौर ऊर्जा प्राप्त होती है।
  • वर्ष 2022 के अंत में तक भारत में नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य 175 गीगावाट निर्धारित किया गया था। इसमें 100 गीगावाट सौर ऊर्जा को शामिल किया गया था। साथ ही अन्य स्रोतों को भी इसमें जोड़ा गया था।2
  • भारत में सौर ऊर्जा के उत्पादन में सबसे अधिक योगदान रुफटॉप सोलर एवं सोलर पार्क का रहता है। यह कुल योगदान का 80% होता है। भारत में सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन की क्षमता को बढ़ाने का लक्ष्य 60% तक रखा गया है।
  • भारत में वर्ष 2035 तक सौर ऊर्जा की मांग के 7 गुना बढ़ने की संभावनाएं हैं। यदि भारत सौर ऊर्जा के अपने सभी लक्ष्यों को प्राप्त करता है, तो ऐसे में भारत की जीडीपी बढ़ेगी और भारत विश्व के सुपरपावर देशों में सम्मिलित हो जाएगा।

भारत का सबसे बड़ा सोलर पैनल

भारत में सबसे अधिक क्षमता के सोलर पैनल के रूप में Waaree 715watt Bifacial सोलर पैनल को जाना जाता है। वारी द्वारा वर्ष 2023 के REI (Greater Noida) में Plexus सीरीज के n-type heterojunction (HJT) तकनीक के सोलर पैनल को लांच किया गया। इस सोलर पैनल से जुड़ी विशेषताएं इस प्रकार हैं:-

  • Waaree 715 वाट बाइफेशियल सोलर पैनल की क्षमता 715 वाट है।
  • वारी के इस सोलर पैनल की दक्षता 22.88% बताई गई है।
  • इस सोलर पैनल का प्रयोग बड़े-बड़े सोलर प्लांटों में किया जा सकता है।
  • वारी की Plexus सीरीज में 685 वाट से 715 वाट तक की पावर रेटिंग के सोलर पैनल उपलब्ध रहते हैं।
  • यह सोलर पैनल दोनों ओर से बिजली का उत्पादन करने के साथ ही 30% अधिक बिजली उत्पादन का कार्य कर सकता है।
  • Plexus सीरीज के सोलर पैनलों में सोलर सेल की संख्या 132 होती है। इस सीरीज के सोलर पैनल पर निर्माता ब्रांड Waaree Solar द्वारा 30 वर्ष की कार्य प्रदर्शन वारंटी उपयोगकर्ता को प्रदान की जाएगी।

सोलर पैनल में TOPCon Cell Technology क्या है?

सोलर पैनल में आज के समय में TOPCon Cell Technology एक एडवांस टेक्नोलॉजी है। इसमें TOPCon सेल n-टाइप का सोलर सेल होता है। इसमें होने वाले अर्द्धचालक पदार्थ में फास्फोरस को मिलाया जाता है। जिससे वह ऋणात्मक आवेश प्रदान करता हाई। ऐसे सेल में उच्च दक्षता एवं सूर्य के कम प्रकाश में भी उच्च कार्य प्रदर्शन करने की क्षमता होती है।

TOPCon सेल की PERC तकनीक भी बाजारों में उपलब्ध है, इसमें सेल के पीछे के भाग को एल्युमिनियम ऑक्साइड (Al2O3) की लेयर से निष्क्रिय कर दिया जाता है। ऐसे में सेल की दक्षता में सुधार होता है।

जब TOPCon सेल में Al2O3 की लेयर के ऊपर SiO2 की एक अन्य पतली परत जमा होती है। तो परत एक टनलिंग जंक्शन का निर्माण करती है, जिससे इलेक्ट्रॉनों को p-टाइप एमिटर से n-टाइप सब्स्ट्रैट तक आसानी से भेजा जा सकता है। सामान्यतः TOPCon सेल को n-टाइप प्रकार में ही अधिक प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार के सोलर पैनल का प्रयोग लंबे समय तक किया जा सकता है।

भारत में प्रयोग होने वाले प्रमुख सोलर पैनल

भारत में लगभग सभी प्रकार के सोलर पैनल उपलब्ध होते हैं, अब मेड इन इंडिया सोलर पैनल भी भारत में उपलब्ध हैं। भारत में निम्न प्रकार के सोलर पैनलों का प्रयोग मुख्यतः किया जाता है:- सोलर पैनल दक्षता के अनुसार सोलर पैनल

  • पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल– भारत में सर्वाधिक मात्रा में पॉलीक्रिस्टलाइन प्रकार के सोलर पैनल का प्रयोग किया जाता है, इस प्रकार के सोलर पैनल की दक्षता कम होती है, इन सोलर पैनल की कीमत भी कम होती है। ऐसे सोलर पैनल को नीले रंग की सहायता से आसानी से पहचाना जा सकता है। भारत सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सब्सिडी इस प्रकार के सोलर पैनल पर ही दी जाती है।
  • मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल– इस प्रकार के सोलर पैनल को इनके गहरे नीले या काले रंग की सहायता से पहचाना जा सकता है। मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल की दक्षता अधिक होती है। इस प्रकार के सोलर पैनल की कीमत भी पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल से अधिक होती है, इन सोलर पैनलों का प्रयोग कर के एक मजबूत सोलर सिस्टम स्थापित किया जा सकता है।
  • बाइफेशियल सोलर पैनल– यह सोलर पैनलों की सबसे आधुनिक तकनीक होती है, इस प्रकार के सोलर पैनल सूर्य से प्राप्त होने वाले सीधे प्रकाश एवं टकराकर प्राप्त होने वाली Albedo lights के द्वारा भी बिजली का उत्पादन करने में सक्षम होते हैं। इस प्रकार के सोलर पैनल की कीमत अधिक होती है, इस सोलर पैनल के प्रयोग से उपयोगकर्ता को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। इन्हें कम स्थान में भी स्थापित किया जा सकता है। और अधिक बिजली का उत्पादन किया जा सकता है।
  • पतली फिल्म वाले सोलर पैनल– इस प्रकार के सोलर पैनल की दक्षता सबसे कम होती है, इनका प्रयोग छोटे-छोटे उपकरणों से लेकर घर की छतों के तक निर्माण में किया जा सकता है। Thin film सोलर पैनल की लाइफ-साइकिल भी बहुत कम होती है, ऐसे सोलर पैनल को बहुत अधिक रखरखाव की आवश्यकता होती है।

सोलर सिस्टम के प्रकार

सोलर पैनल का प्रयोग सभी प्रकार से लगाए जाने वाले सोलर सिस्टम में किया जाता है, मुख्य रूप से निम्न तीन प्रकार के सोलर सिस्टम को लगाया जा सकता है:-

  • ऑनग्रिड सोलर सिस्टम– ऐसे सोलर सिस्टम में सोलर पैनल से बनने वाली बिजली को इलेक्ट्रिक ग्रिड के साथ शेयर किया जाता है। शेयर की जाने वाली बिजली की गणना करने के लिए नेट-मीटर को सिस्टम में लगाया जाता है। ऐसे सोलर सिस्टम में किसी प्रकार से बिजली बैकअप के लिए बैटरी का प्रयोग नहीं किया जाता है, ऐसे सिस्टम में ग्रिड के अनुसार ही बिजली का प्रयोग किया जा सकता है, ऐसे सिस्टम को कम बिजली कटौती वाले स्थान में लगाया जा सकता है। इसमें सरकार सब्सिडी प्रदान करती है।
  • ऑफग्रिड सोलर सिस्टम– इस प्रकार के सोलर सिस्टम को अधिक बिजली कटौती वाले स्थान या ऐसे स्थान जहां ग्रिड की बिजली ही नहीं है, वहाँ के लिए उपयुक्त कहा जाता है। ऐसे सोलर सिस्टम में सोलर पैनल से बनने वाली बिजली को स्टोर करने के लिए बैटरी का प्रयोग किया जाता है। बैटरी में बिजली को DC (दिष्ट धारा) के रूप में जमा किया जा सकता है। जिसका प्रयोग उपयोगकर्ता अपनी बिजली की आवश्यकता के अनुसार कर कर सकते हैं।
  • हाइब्रिड सोलर सिस्टम– यह एक एडवांस सोलर सिस्टम होता है, इस सोलर सिस्टम में सोलर पैनल से बनने वाली बिजली को बैटरी में भी जमा किया जा सकता है और इलेक्ट्रिक ग्रिड के साथ भी साझा किया जा सकता है। इस प्रकार के सोलर सिस्टम की कीमत अधिक होती है।

घर के लिए सोलर पैनल

घर के लिए बेस्ट सोलर पैनल का प्रयोग किया जा सकता है। क्योंकि सोलर पैनल पर एक बार निवेश करने के बाद उन से आने वाले 25 सालों से भी अधिक समय तक बिजली का लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इसलिए ही सोलर पैनल पर किए गए निवेश को बुद्धिमानी का निवेश कहा जाता है, घर के लिए सोलर पैनल खरीदने एवं प्रयोग करने से पहले निम्न जानकारी का होना आवश्यक होता है:-

  • आवासीय क्षेत्र अर्थात घरों में सोलर पैनल लगाने से पहले घर में चलने वाले बिजली के लोड की पूरी जानकारी होनी चाहिए। लोड की जानकारी को बिजली के बिल या इलेक्ट्रिक मीटर के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। 12 महीनों का औसतन लोड गर्मियों एवं सर्दियों में प्रयोग की जाने वाली बिजली के अनुसार निकालना चाहिए।
  • घर में यदि कम स्थान हो तो ऐसे में मोनोक्रिस्टलाइन या बाइफेशियल सोलर पैनल का प्रयोग किया जा सकता है, क्योंकि इस प्रकार के सोलर पैनल कम स्थान में स्थापित किए जा सकते हैं।
  • यदि सोलर सिस्टम लगाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी का लाभ प्राप्त करना चाहते हैं तो ऐसे में पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल पर ही सब्सिडी प्राप्त की जा सकती है। जिसे राज्य के विद्युत वितरक डिस्कॉम में पंजीकृत विक्रेता द्वारा खरीदना एवं स्थापित करना चाहिए।
  • सोलर पैनल को केवल ऐसे निर्माता ब्रांड से ही खरीदना चाहिए जो विश्वसनीय हो, किसी भी ब्रांड के सोलर उपकरण खरीदने से पहले निर्माता ब्रांड की अधिक से अधिक जानकारी को प्राप्त करना चाहिए। जिस से आप लंबे समय तक सोलर उपकरणों का प्रयोग कर सकते हैं।
  • सोलर सिस्टम की स्थापना करने के बाद उसका लाभ लंबे समय तक प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि सभी उपकरणों का रखरखाव किया जाए। ऐसे में सोलर सिस्टम को स्थापित करने वाले प्रसिद्ध ब्रांड से AMC को किया जा सकता है। सोलर पैनल की सफाई समय-समय पर करते रहनी चाहिए, जिस से उनके द्वारा प्राप्त होने वाली बिजली को उनकी दक्षता के अनुसार प्राप्त किया जा सकता है।

निष्कर्ष

आज के समय में विज्ञान के क्षेत्र में हर दिन प्रगति हो रही है। सोलर पैनल विज्ञान का एक महत्वपूर्ण आविष्कार है। इस लेख के माध्यम से आप भारत में सबसे शक्तिशाली सोलर पैनल की जानकारी को प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे सोलर पैनल का प्रयोग कर के कम स्थान में भी अपनी आवश्यकता के अनुसार बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। सोलर सोलर पैनल के प्रयोग से जीवाश्म ईंधन की निर्भरता को खत्म किया जा सकता है। ये पर्यावरण के अनुकूल बिजली का उत्पादन करने के लिए जाने जाते हैं।

  1. Loom Solar Panel – SHARK 575 Watt | N-Type TOPCon Bifacial 16 BB ↩︎
  2. पवन ऊर्जा से 60 गीगावाट, सौर ऊर्जा से 100 गीगावाट, बायोमास ऊर्जा से 10 गीगावाट और लघु जलविद्युत परियोजनाओं से 5 गीगावॉट शामिल है। ↩︎

यह भी देखें:

सोलर पैनल लगाने से पहले इन बातों का रखें ध्यान, नहीं तो होगा भारी नुकसान

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