सबसे कुशल सोलर पैनल 2024

सोलर पैनल दक्षता के अनुसार गई बिजली का उत्पादन करते हैं, भारत में टॉप सोलर पैनल की जानकारी इस लेख से प्राप्त कर सकते हैं।

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समय के साथ टेक्नोलॉजी भी बहुत तेजी से बढ़ रही है, टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर के कई प्रकार के लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं। ऐसे ही आज के समय में सोलर पैनल को विज्ञान का एक सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण आविष्कार माना जाता है। सोलर पैनल में लगे हुए सोलर सेल (फोटोवोल्टिक सेल PV Cell) के द्वारा सूर्य से प्राप्त होने वाली सौर ऊर्जा से बिजली का निर्माण किया जाता है। सोलर पैनल की दक्षता के अनुसार ही बिजली का उत्पादन होता है। इस लेख के द्वारा हम आपको भारत में सबसे कुशल सोलर पैनल की जानकारी प्रदान करेंगे। जिसमें आप सोलर पैनल की दक्षता से जुड़ी पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

सबसे कुशल सोलर पैनल 2024
सबसे कुशल सोलर पैनल

सोलर पैनल की दक्षता

सोलर पैनल की दक्षता को इस प्रकार समझा जा सकता है, कि सूर्य के प्रकाश या विकिरण की वह मात्रा जो सोलर पैनल द्वारा अवशोषित की जाती है, एवं उसके द्वारा जितनी बिजली का निर्माण किया जाता है। वह मात्रा ही सोलर पैनल की दक्षता होती है। किसी भी प्रकार के सोलर पैनल की दक्षता में सोलर सेल की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। आज के समय में कुछ सोलर पैनल की दक्षता 15% से बढ़कर 23% से भी अधिक हो गई है। सोलर पैनल की दक्षता पैनल की पावर रेटिंग एवं क्षमता पर निर्भर करती है।

किसी भी सोलर पैनल की दक्षता को फोटोवोल्टिक सेक की दक्षता और पैनल की दक्षता के अनुसार समझा जा सकता है। इसमें सोलर सेल की दक्षता सेल के सिलिकॉन एवं डिजाइन पर आधारित होती है, जबकि पैनल की दक्षता पैनल के आकार, सेल लेआउट एवं कॉन्फ़िगरेशन पर आधारित होती है। सोलर पैनल की दक्षता में सुधार करने के लिए उसका आकार बढ़ाया जाता है, जिससे वह अधिक मात्रा में सूर्य के प्रकाश को प्राप्त कर सकता है। सोलर पैनल की सेल दक्षता और पैनल दक्षता की जानकारी विस्तार से बताई गई है।

सेल दक्षता

सोलर सेल सिलिकॉन से बनाए जाते हैं जो p-टाइप और n-टाइप के होते हैं। n-टाइप के सेल अधिक कुशल होते हैं, सोलर सेल की दक्षता की गणना को फिल फेक्टर (FF) के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।1 अधिकतम संचालित वोल्टेज एवं करंट सेल की अधिकतम रूपांतरण दक्षता होती है, सोलर सेल की दक्षता और पैनल की दक्षता दोनों ही अलग-अलग होती है। पैनल की दक्षता आंतरिक सेल अंतराल एवं फ्रेम संरचना की गणना करने पर हमेशा कम होती है। पैनल दक्षता में सेल का डिजाइन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

उच्च शुद्धता वाले n-टाइप सिलिकॉन में सब्सट्रेट के प्रकार एवं बसबार शेडिंग से कोई नुकसान नहीं होता है, आज के समय में विकसित पैनल बाजारों में उपलब्ध हो गए हैं, जिसमें कुछ पैनल की दक्षता 23% से अधिक हो गई है। सोलर पैनल की सेल दक्षता को बढ़ाने में लगातार प्रयोग हो रहे हैं, आने वाले कुछ वर्षों के बाद सोलर पैनल में सेल की दक्षता 25% से अधिक हो जाएगी, जिस से बिजली बनने की मात्रा में भी वृद्धि होगी।

पैनल दक्षता

किसी सोलर पैनल की पैनल दक्षता को STC (Standard Test Conditions) में मापा जाता है, जिसमें 25 डिग्री सेल्सियस के सेल तापमान, 1000 W/m2 के सोलर विकिरण एवं 1.5 के वायु द्रव्यमान पर सोलर पैनल दक्षता को प्राप्त किया जाता है। सौर पैनल दक्षता की गणना कैसे की जाती है?

सोलर पैनल की पैनल दक्षता को सेल का प्रकार, सेल के अंदर के अन्य कारकों द्वारा प्रभावित किया जाता है, साथ ही सोलर पैनल पर सुरक्षा के लिए लगाई गई बैकशीट का रंग भी पैनल दक्षता को प्रभावित करता है, सामान्यतः काली बैकशीट का प्रयोग करने पर यह गर्मी को अधिक अवशोषित करती हैं, जिससे सोलर पैनल में लगे सोलर सेल का तापमान उच्च होता है, ऐसे में प्रतिरोध बढ़ता है, और पैनल की दक्षता को यह कम करता है। इसलिए अधिकतम सोलर पैनल की बैकशीट सफेद रंग की होती है। सोलर पैनल में सेल की संख्या, सेल का डिजाइन एवं उसका विन्यास सभी पैनल की दक्षता को प्रभावित करने वाले कारक होते हैं।

भारत में टॉप सोलर ब्रांड के उच्चतम दक्षता के सोलर पैनल

भारत में अनेक सोलर ब्रांड के सोलर पैनल आज के समय में उपलब्ध हैं, जिनका प्रयोग उपभोक्ता अपने सोलर सिस्टम में करते हैं। भारत में टॉप सोलर पैनल निर्माता ब्रांड की जानकारी को निम्न सूची के माध्यम से समझा जा सकता है:-

सोलर निर्माता ब्रांड सोलर पैनल की क्षमता सोलर पैनल की दक्षता
Waaree Energies450 वाट17%-20%
Vikram Solar505 वाट18.34%-21.02%
Tata Power Solar330 वाट18%-22%
Adani Solar575 वाट21.4%-22.4%
Renewsys Solar590 वाट21.44%-23.30%

सोलर पैनल के प्रकार के अनुसार सबसे कुशल सोलर पैनल

भारत में मुख्यतः प्रयोग किये जाने वाले सोलर पैनल अलग-अलग प्रकार के होते हैं, जिनकी दक्षता की जानकारी इस प्रकार दी गई है:-

  • पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल– इन्हें मल्टीलेयर सोलर पैनल भी कहा जाता है, इस प्रकार के सोलर पैनल सिलिकॉन क्रिस्टल के बने होते हैं। पॉलीक्रिस्टलाइन प्रकार के सोलर पैनल का रंग नीला होता है, यह पारंपरिक प्रकार के सोलर पैनल होते हैं। पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल की औसतन दक्षता 16%-17% तक होती है। जो कि अन्य सोलर पैनल से कम है। इस प्रकार के सोलर पैनल कम कीमत के भी होते हैं। इसलिए इनका प्रयोग सबसे अधिक होता है।
  • मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल– इन्हें सिंगल क्रिस्टल सोलर पैनल भी कहा जाता है, इनमें बनाने में शुद्ध सिलिकॉन का प्रयोग होता है, मोनोक्रिस्टलाइन प्रकार के सोलर पैनल का रंग गहरा नीला अथवा काला होता है, इस प्रकार के सोलर पैनल अधिक बिजली उत्पादन करने के लिए जाने जाते हैं। मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल की औसतन दक्षता 22% से 25% तक होती है। इस प्रकार के सोलर पैनल खराब मौसम में भी बिजली का उत्पादन करने में सक्षम होते हैं।
  • बायफेशियल सोलर पैनल– यह सोलर पैनल की सबसे आधुनिक तकनीक से निर्मित सोलर पैनल होते हैं। इस प्रकार के सोलर पैनल के द्वारा दोनों ओर से बिजली का उत्पादन किया जा सकता है, बायफेशियल सोलर पैनल की दक्षता ने सोलर पैनल की तुलना में अधिक होती है, इस सोलर पैनल की औसतन दक्षता 27% से 30% तक होती है। इस प्रकार के सोलर पैनल की कीमत भी अन्य सोलर पैनल से अधिक होती है।

वैश्विक स्तर पर सोलर पैनल की दक्षता

  1. पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल – 15% से 18%
  2. मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल – 16.5% से 19.5%
  3. मोनोक्रिस्टलाइन PERC – 17.5% से 20%
  4. मोनोक्रिस्टलाइन n-टाइप – 19% से 20.5%
  5. मोनोक्रिस्टलाइन n-टाइप TOP con – 21% से 22.6%
  6. मोनोक्रिस्टलाइन n-टाइप HJT – 21.2% से 23.0%
  7. मोनोक्रिस्टलाइन n-टाइप IBC – 21.8% से 23.8%

सोलर पैनल में दक्षता क्यों मायने रखती है?

सोलर पैनल की दक्षता की जानकारी प्राप्त करने के बाद ही उसका चयन किया जा सकता है, लेकिन अधिक कुशल सोलर पैनल बेहतर गुणवत्ता वाले सोलर पैनल के समान नहीं होता होते हैं। सोलर पैनल का चयन करने में दक्षता को एक महत्वपूर्ण मापदंड माना जा सकता है, सोलर पैनल की दक्षता जरूरी होने की जानकारी कुछ कारकों के अनुसार देखी जा सकती है, जो इस प्रकार है:-

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  • सोलर पैनल की बढ़ी हुई दक्षता– एक सोलर पनले कम समय में में कितनी अवशोषित ऊर्जा का भुगतान करता है, इसे बढ़ी हुई दक्षता के रूप में जाना जाता है। इसमें सोलर पैनल को बनाने में प्रयोग की जाने वाली धातु की जानकारी भी प्राप्त होती है। सोलर पैनल को बनाने में मुख्य रूप से सिलिकॉन प्रमुख धातु होता है। ज्यादातर सिलिकॉन से बने सोलर पैनल स्थान के आधार पर 2 वर्षों के अंदर सन्निहित ऊर्जा का भुगतान करते हैं। यदि सोलर पैनल की दक्षता 22% से अधिक बढ़ी है, तो ऐसे में कई स्थानों में भुगतान का समय 1.5 वर्ष से भी कम हो जाता है,

सोलर पैनल की बढ़ी हुई दक्षता का अर्थ होता है कि सोलर सिस्टम में एक सोलर पैनल के द्वारा औसतन 20 वर्ष से अधिक समय तक बिजली का निर्माण किया जा सकेगा, इससे उसकी कीमत को कुछ ही वर्षों के प्रयोग से वापस प्राप्त किया जा सकता है, ऐसे में सोलर पैनल के निवेश को बुद्धिमानी का निवेश कहा जाता है, क्योंकि यह लंबे समय तक के लिए लाभ प्रदान करता है।

  • लंबा जीवन एवं कम गिरावट– अधिकांश अधिक दक्षता वाले सोलर पैनल तापमान गुणांक एवं समय के साथ-साथ कम बिजली गिरावट प्रदान करते हैं, ऐसे सोलर पैनल में उच्च कोटी के n-टाइप सिलिकॉन सेल का प्रयोग किया जाता है। n-टाइप सोलर सेल का प्रयोग करने वाले एडवांस सोलर पैनल में LID (प्रकाश-परीरित गिरावट) की कम दर होती है, जो इसका एक लाभ है, जिसमें प्रतिवर्ष 0.25% बिजली की हानि होती है, ऐसे में सोलर पैनल के जीवन काल को 25 से 30 वर्षों तक के लिए उपयुक्त माना जाता है,

आज के समय में उच्च दक्षता का निर्माण करने वाले कई सोलर ब्रांड उपभोक्ताओं को लंबे समय की वारंटी प्रदान करते हैं, इसमें उनके द्वारा बताया जाता है, कि उनके सोलर पैनल द्वारा वारंटी खत्म होने वाले वर्ष के दौरान भी कम से कम 80% से 90% तक बिजली का उत्पादन किया जाएगा। शुद्ध n-टाइप सेल में कम दोष होने के साथ ही अधिक सहनशीलता होती है, जिससे ये उच्च प्रदर्शन करते हैं और समग्र दक्षता बढ़ जाती है।

  • सोलर पैनल की स्थापना का स्थान– यदि सोलर पैनल की स्थापना आवश्यक स्थान के अनुरूप की जाए तो ऐसे में दक्षता की मात्रा में बहुत बड़ा अंतर देखा जा सकता है, उच्च दक्षता वाले सोलर पैनल प्रतिवर्ग मीटर अधिक ऊर्जा उत्पन्न करते हैं, यदि सीमित क्षमता के सोलर सिस्टम को स्थापित किया जाए तो ऐसे में छत पर सोलर पैनल लगाए जा सकते हैं। जैसे 22.5 % की दक्षता वाले 440 वाट के 12 सोलर पैनल या 17.5% की कम दक्षता के 330 वाट के 12 सोलर पैनल की तुलना में लगभग 1.2 किलोवाट की कुल सोलर क्षमता को प्रदान करते हैं। इसे इस प्रकार दर्शाया जा सकता है:-
    • 22.5% दक्षता पर 12 x 440 W पैनल = 5,280 W
    • 17.5% दक्षता पर 12 x 300 W पैनल = 3,600 W

सोलर पैनल की वास्तविक दक्षता को प्रभावित करने वाले कारक

जब सोलर पैनल का प्रयोग किया जाता है, तो ऐसे में पैनल की संचालन दक्षता को कई बाह्य कारकों पर निर्भर रहती है, सोलर पैनल की स्थापना की स्थानीय पर्यावरणीय परिस्थतियों के आधार पर अलग-अलग कारक पैनल दक्षता को कम कर सकते हैं, जिस से सोलर पैनल की कार्य प्रदर्शन क्षमता भी कम हो जाती है, सोलर पैनल की दक्षता को निम्न कारकों द्वारा प्रभावित किया जाता है:-

  • पैनल पर पड़ने वाली छाया (Shading)– यदि सोलर पैनल पर पूरी तरह से छाया पड़ती हो तो ऐसे में न्यूनतम बिजली का उत्पादन होता है। आंशिक रूप से छाया पड़ने पर भी पैनल पूरी दक्षता के साथ बिजली का उत्पादन नहीं करता है। अधिकांश सोलर पैनल को सीरीज में जोड़ा जाता है, इसलिए यह कम मात्रा में बिजली का उत्पादन ऐसी परिस्थिति में करते हैं, इसलिए सोलर पैनल को बिना छाया वाले स्थान पर स्थापित करने की सलाह दी जाती है।
  • पैनल का अभिविन्यास (Panel orientation)
  • तापमान (Temperature)– सोलर पैनल में तापमान परिवेशी हवा के तापमान, हवा की गति, सोलर विकिरण एवं दिन के समय पर निर्भर करता है, धूप के समय में सोलर पैनल का आंतरिक तापमान बाहर के तापमान से लगभग 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तक अधिक होता है, ऐसे में सोलर पैनल कम कार्य प्रदर्शन करता है। जब तापमान ठंडा होता है, तब बिजली का उत्पादन बढ़ जाता है, क्योंकि STC (25 डिग्री सेल्सियस) के नीचे तापमान होने पर सेल वोल्टेज बढ़ जाती है।
  • स्थापना के स्थान का अक्षांश (latitude)
  • सोलर विकिरण (Solar Irradiance W/m2)– इसे वाट प्रति वर्ग मीटर में मापा जाता है, यह वायुमंडलीय कारकों जैसे बादल, धूल, अक्षांश आदि से प्रभावित होता है। जमीनी स्तर ओर साल भर में औसतन सोलर विकिरण लगभग 1000W/m2 रहता है, पृथ्वी के वायुमंडल के बाहर औसतन सोलर विकिरण लगभग 1360 W/m2 हैं। इसका परीक्षण मानक परिस्थितियों में किया जाता है, गर्मियों के समय में यह अधिक होता है, एवं सर्दियों के समय में यह कम हो जाता है।
  • मौसम (वर्ष, आंधी, बर्फ)
  • गंदगी एवं धूल

शक्ति तापमान गुणांक Power Temperature Coefficient क्या है?

किसी सोलर पैनल का पावर तापमान गुणांक STC तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से ऊपर या नीचे प्रति डिग्री के लिए एक विशिष्ट राशि से बिजली उत्पादन को कम या अधिक प्राप्त किया जाता है। पावर तापमान गुणांक को %/ ° C में मापा जाता है। पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल में यह -0.40% / ° C से थोड़ा अधिक एवं मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल में यह औसत तापमान गुणांक -0.38% / ° C तक हो सकता है। n-टाइप के मोनोक्रिस्टलाइन सेल में शक्ति तापमान गुणांक लगभग -0.30% / ° C होता है। कम ही अधिक कुशल होता है। निम्न सेल में शक्ति तापमान गुणांक इस प्रकार रहता है:-

  • पॉलीक्रिस्टलाइन p-टाइप सेल- 0.39 से 0.43% / ° C
  • मोनोक्रिस्टलाइन p-टाइप सेल- 0.35 से 0.40% / ° C
  • मोनोक्रिस्टलाइन n-टाइप TOP con – 0.29 से 0.32 % / ° C
  • मोनोक्रिस्टलाइन n-टाइप आईबीसी सेल- 0.29 से 0.31% / ° C
  • मोनोक्रिस्टलाइन n-टाइप एचजेटी सेल- 0.25 से 0.27% / ° C

सोलर पैनल की कीमत दक्षता के अनुसार

भारत में अनेक ब्रांड निर्माता सोलर पैनल का निर्माण करते हैं, सोलर पैनल की दक्षता के अनुसार सोलर पैनल की कीमत बढ़ती है। अब यह इस पर भी निर्भर करता है कि किस प्रकार के सोलर पैनल का प्रयोग किया जा रहा है, सामान्यतः n-टाइप सेल वाले 21% से अधिक कुशल पैनल आम तौर पर बहुत अधिक महंगे होते हैं। भारत में सोलर पैनल की कीमत प्रतिवाट में रहती है। सोलर पैनल की भारत में औसतन कीमत इस प्रकार रहती है:-

कंपनीसोलर पैनल का प्रकारकीमत प्रति वाट
Tata Solarमोनोक्रिस्टलाइन/पॉलीक्रिस्टलाइन₹40-₹50
Loom सोलरमोनोक्रिस्टलाइन/पॉलीक्रिस्टलाइन₹40-₹50
वॉरेन्टी एनर्जीमोनोक्रिस्टलाइन/पॉलीक्रिस्टलाइन₹40-₹50
एडवांस सोलरमोनोक्रिस्टलाइन/पॉलीक्रिस्टलाइन₹40-₹50
ल्युमिनस सोलरमोनोक्रिस्टलाइन/पॉलीक्रिस्टलाइन₹40-₹50
विक्रम सोलरमोनोक्रिस्टलाइन/पॉलीक्रिस्टलाइन₹40-₹50
जिंदल सोलरमोनोक्रिस्टलाइन/पॉलीक्रिस्टलाइन₹40-₹50
ONGC सोलरमोनोक्रिस्टलाइन/पॉलीक्रिस्टलाइन₹40-₹50
KMS सोलरमोनोक्रिस्टलाइन/पॉलीक्रिस्टलाइन₹40-₹50

सोलर पैनल के आकार के अनुसार दक्षता

सोलर पैनल की पावर रेटिंग की गणना कुल पैनल क्षेत्र से विभाजित कर के प्राप्त की जाती है, इसलिए बड़े आकार का सोलर पैनल होना हमेशा उच्च दक्षता के समान नहीं होता है। बड़े आकार के सेल का प्रयोग कर के सोलर पैनल की समग्र दक्षता को बढ़ाया जा सकता है। सामान्यतः घरों में प्रयोग होने वाले सोलर पैनल 156 mm2 होते हैं जिनमें 60 सोलर सेल का प्रयोग किया जाता है, औद्योगिक या वाणिज्यिक क्षेत्रों में प्रयोग होने वाले सोलर पैनल पर 72 सेल होते हैं। सामान्यतः सोलर पैनल का आकार इस प्रकार होता है:-

  • 60 सेल पैनल (120 Half Cut): 0.98m x 1.65m
  • 72 सेल पैनल (144 Half Cut): 1.0m x 2.0m
  • 96/104 सेल पैनल: 1.05m x 1.75m
  • 66 सेल पैनल (132 Half Cut) – 1.10m x 1.85m
  • 78 सेल पैनल (156 Half Cut): 1.30m x 2.4m

60 सेल वाले सोलर पैनल की पावर रेटिंग लगभग 300-330 वाट तक होती है, इस प्रकार के सोलर पैनल की दक्षता 18% से 20% तक होती है। 390 वाट से 440 वाट तक की पावर रेटिंग के सोलर पैनल की दक्षता लगभग 22.8% तक होती है। हाफ-कट सोलर पैनलों का प्रयोग भी तेजी से बढ़ रहा है। सोलर सिस्टम की क्षमता के अनुसार ही सोलर पैनल का प्रयोग होता है। जिस से सोलर पैनल को सही और आवश्यक स्थान पर भी स्थापित किया जा सकता है।

निष्कर्ष

भारत में नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में निरंतर ही तकनीकी में विकास हो रहा है, सभी सोलर विनिर्माता ब्रांड अपने सोलर पैनलों को और अधिक कुशल बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। साथ ही उनके द्वारा सोलर पैनलों की दक्षता को बढ़ाने के लिए प्रयोग किये जा रहे हैं। घरों में कम दक्षता वाले सोलर पैनलों का भी प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन अधिक दक्षता के सोलर पैनल से अच्छा आउटपुट प्राप्त होता है। साथ ही उच्च दक्षता के सोलर पैनल अधिक बिजली भी प्रदान करने में सक्षम होते हैं।

इस लेख के द्वारा आप भारत में सबसे कुशल सोलर पैनल की जानकारी को प्राप्त कर सकते हैं। सोलर पैनल पर किये गए निवेश को बुद्धिमानी का निवेश कहा जाता है, क्योंकि सोलर पैनल पर एक बार निवेश करने के बाद लंबे समय तक बिजली का लाभ उससे प्राप्त किया जा सकता है, साथ ही सोलर पैनल का सबसे बड़ा लाभ पर्यावरण को होता है, क्योंकि सोलर पैनल बिना किसी प्रदूषण को उत्पन्न किये ही बिजली का उत्पादन करते हैं, जिससे कार्बन फुटप्रिन्ट को कम किया जा सकता है।

  1. फिल फैक्टर- शॉर्ट सर्किट करंट और ओपन-सर्किट वोल्टेज क्रमशः सौर सेल से अधिकतम करंट और वोल्टेज हैं। हालाँकि, इन दोनों ऑपरेटिंग पॉइंट पर, सौर सेल से बिजली शून्य होती है। ↩︎

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