सौर पैनल – सोलर पैनल क्या है?

Published By SOLAR DUKAN

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बिजली मानव जीवन का एक अभिन्न अंग है जिसके बिना अब जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इसका महत्व मानव जीवन में दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। रोजमर्रा के कार्यों में ऐसे बहुत से कार्य है जो बिजली पर ही निर्भर है। बिजली की खपत दुनिया में बड़े पैमाने पर है। बिजली की आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए प्रकृति को किसी प्रकार का नुकसान पहुँचाए बिना बिजली का उत्पादन हम सोलर पैनल द्वारा कर सकते हैं। सोलर पैनल (Solar Panel) सूर्य के आने वाली किरणों को अवशोषित करके उसको ऊर्जा में परिवर्तित करता है।

आज हम जानेंगे सौर पैनल – सोलर पैनल क्या है? सोलर पैनल के प्रकार, सोलर पैनल के लाभ। तो सभी जानकारी प्राप्त करने के लिए लेख को अंत तक पढ़े।

सौर पैनल - सोलर पैनल क्या है?
सोलर पैनल

सौर पैनल

सौर पैनल सोलर सेलों को जोड़कर बनाया जाता है। सोलर सेल अर्ध चालक (Semiconductor Solar Cell) मटेरियल के बने होते हैं। यह सूर्य के प्रकाश के फोटोन को अवशोषित करते हैं। सोलर सेल वह युक्ति है जो सूर्य की किरणों को विद्युत ऊर्जा में बदलती है। सोलर सेल अधिकतर सिलिकॉन अर्धचालक के बने होते है। सोलर पैनल में सोलर सेलों को इस प्रकार जोड़ा जाता है कि कुल विभवांतर ऊर्जा और कुल विद्युत ऊर्जा काफी बढ़ जाती है।

सोलर पैनल ऐसे क्षेत्रों के लिए बहुत उपयोगी हैं जहाँ बिजली नहीं है लेकिन सूर्य का प्रकाश तो हर क्षेत्र में उपलब्ध होता ही है। तो ऐसे क्षेत्रों में भी सोलर पैनल का उपयोग करके बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। सोलर पैनल से बिजली का उत्पादन करना हमारी प्रकृति के वातावरण को भी शुद्ध रखता है।

सोलर पैनल कैसे बने होते है

photovoltaic module

सोलर पैनल एक फोटोवोल्टिक मॉडल है जो सूरज से आने वाली ऊष्मीय ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है। ज्यादातर सोलर पैनल सिलिकॉन से बने होते थे। सोलर पैनल सूर्य से आने वाली किरणों को दिष्ट धारा (DC) में परिवर्तित करते हैं जिसके बाद हम उसको इन्वर्टर द्वारा प्रत्यावर्ती धारा (AC) में बदल कर प्रयोग करते हैं।

सोलर पैनल बहुत सारे फोटोवोल्टॉइक सेलों का समूह होता है। यह सेल एक श्रेणी में समान्तर क्रम में जोड़े जाते हैं। और एक प्लेट पर व्यवस्थित किये जाते हैं। सेलों के समूह की प्लेट के ऊपर वाली लेयर N टाइप होती है और नीचे वाली लेयर P टाइप होती है।

सोलर सेलों के समूह की प्लेट के ऊपर और नीचे इनकैपसुलैंट कोटिंग होती है जो उसको नमी से बचाता है। कोटिंग के ऊपर एक लेयर गिलास की होती है जिससे सूर्य से आने वाला प्रकाश केवल 5% तक ही प्रवर्तित होता है। सेल की नीचे वाली कोटिंग के नीचे एक बैकशीट लगा देते हैं और उसके नीचे जंक्शन बॉक्स लगा होता है। सभी परत को जोड़ने के लाये एक फ्रेम में कस दिया जाता है।

सोलर पैनल के टाइप

सौर पैनल मुख्य रूप से 4 प्रकार के होते है:

पोलीक्रिस्टलाइन सौर पैनल

poly panel

यह सोलर पैनल पुरानी तकनीक से बने होते है। Polycrystalline कुछ परिस्थितियों जैसे बारिश के मौसम, बादल होने या मौसम ख़राब होने पर सही से काम नहीं करते। ये अन्य प्रकार के पैनल की तुलना में सस्ता होता है।

यदि आप राजस्थान जैसे राज्य में रहते है तो आप इस प्रकार के सौर पैनल का चुनाव कर सकते हैं। क्योंकि बिजली बनाने के लिए एक दम साफ़ और सूर्य की धूप की जरूरत होती है। यह नीले रंग के होते हैं। इसकी एफिशिएंसी लगभग 16% से 17% तक होती है।

मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल

mono panel

यह सिलिकॉन के सबसे शुद्ध रूप से बने होते हैं जिसके कारण इनका रंग गहरा काला आता है। Monocrystalline एक सिंगल क्रिस्टल के बने होते हैं इसलिए इनको single layer crystal panel भी कहते हैं। इस पैनल की दक्षता अच्छी होती है। इनका प्राइस पॉली की तुलना में अधिक होता है।

उत्तराखंड, हिमाचल जैसे ठन्डे राज्यों में भी ये पैनल सकुशल कार्य करते है। इस पैनल में अधिकतर सोलर सेल गोल आकार के होते है चारों साइड से कटे होते हैं। इनकी एफिशिएंसी लगभग 19% से 20% तक होती है।

बाईफिसल सौर पैनल

Bifacial solar panel

अन्य पैनल की तुलना में बाईफिसल सोलर पैनल कई एडवांटेज के साथ आता है। इस सोलर पैनल के दोनों तरफ से बिजली उत्पन्न की जा सकती है। सामान्य बिजली की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इन पैनलों की संख्या कम ही उपयोग होती है। यह अधिक टिकाऊ होते हैं।

क्योंकि इनके दोनों तरफ से UV रेसिस्टेंट होते हैं। जब इन पैनल को हाइली रिफ्लेक्टिव सरफेस एरिया पर इंस्टॉल किया जाता है तो वे 30% तक अधिक बिजली का उत्पादन कर सकते हैं।

हाफ कट सौर पैनल

हाफ कट सोलर पैनल नयी टेक्नोलॉजी का हाई परफॉरमेंस वाला पैनल है। ये सोलर पैनल बीच में से कट होते हैं एक पैनल दो हिस्सों में विभाजित होता है।

अन्य प्रकार के पैनल पर यदि किसी हिस्से पर छाया आ जाती है तो वो पूरा पैनल ही बिजली का उत्पादन बंद कर देता है। लेकिन यदि हाफ कट सोलर पैनल के एक हिस्से पर छाया आ भी जाये थे दूसरा हिस्सा बराबर से विद्युत का निर्माण करता रहेगा।

प्राइस

यहाँ पर आपको सौर पैनल का एक अनुमानित प्राइस बताया जा रह है। जो कंपनी और क्वालिटी के आधार पर भिन्न हो सकता है। सभी राज्यों में भी सोलर पैनल के मुख्य में भिन्नता पायी जा सकती है।

पोलीक्रिस्टलाइन 28/- से 30/- रुपए प्रति वाट
मोनोक्रिस्टलाइन 30/- से 35/- रुपए प्रति वाट
बाइफिसिअल 35/- से 38/- रुपए प्रति वाट
हाफ कट 38/- से 42/- रुपए प्रति वाट

सोलर पैनल के लाभ

  • सौर पैनल का प्रमुख लाभ है कि इनमें किसी भी प्रकार का गतिमान पुर्जा नहीं होता।
  • इनका रखरखाव आसान होता है।
  • ये बिना किसी फॉक्सन युक्ति के संतोषजनक कार्य करते है।
  • पर्यावरण के अनुकूल कार्य करते है।
  • सोलर पैनल को आप छत पर आसानी से लगवा सकते है।
  • पारिवारिक उपयोग के लिए लगाए गए सोलर पैनल पर सरकार द्वारा सब्सिडी भी दी जाती है।
  • सोलर पैनल का उपयोग बहुत से वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए किया जाता है।

सोलर पैनल से सम्बंधित कुछ प्रश्न उत्तर

सोलर पैनल का आविष्कार किसने किया था?

एलेक्जेंडर एडमंड बैकेलल ने 1839 में किया था।

सौर पैनल क्या है ?

सोलर पैनल पास सटे अनेक सेलो का समूह है।

सिलिकॉन का एटॉमिक नंबर क्या है ?

सिलिकन का एटॉमिक नंबर 14 है।

भारत का प्रथम कौन सा एयरपोर्ट है जो पूर्णतः सोलर सिस्टम पर कार्य करता है ?

भारत में केरल राज्य का कोची एयरपोर्ट एक ऐसा एयरपोर्ट है जो पूर्णतः सोलर सिस्टम से उत्पादित बिजली पर चलता है।

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