भारत की पहली सोलर सिटी का खुलासा! यहां बिजली का बिल है लगभग ZERO

क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसी सिटी है जो पूरी तरह से सोलर पावर पर चलती है? यहां के घर, स्कूल और दफ्तर सब कुछ सूरज की रोशनी से चलता है! जानें कौन-सी है ये 'सोलर सिटी', कितनी बचत होती है यहां, और कैसे ये बन रही है पूरे देश के लिए मिसाल।

Published By Rohit Kumar

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नवीकरणीय ऊर्जा आज के समय में बहुत तेजी से प्रयोग की जा रही है। जिसके लिए अनेक प्रकार के आधुनिक उपकरणों का प्रयोग किया जा रहा हैं। भारत आबादी और क्षेत्रफल दोनों के ही अनुसार एक बहुत बड़ा देश है। जिसके अनेक शहर अपनी-अपनी विशिष्टताओं के लिए विश्व में प्रसिद्ध हैं। और कुछ शहर अपनी विशिष्ट पहचान बनाने के लिए विकासशील हैं। ऐसे ही एक प्रसिद्ध शहर भारत की पहली सोलर सिटी (India’s First Solar City) के रूप में विकसित हुआ है, सौर ऊर्जा का प्रयोग कर बिजली बनाने के लिए सोलर पैनल का प्रयोग किया जाता है। सौर ऊर्जा प्रचुर मात्रा में प्राप्त होती है।

भारत की पहली सोलर सिटी का खुलासा! यहां बिजली का बिल है लगभग ZERO
भारत की पहली सोलर सिटी का खुलासा

सौर ऊर्जा के प्रयोग के लिए बाजारों में अनेक ब्रांड के आधुनिक से आधुनिक सोलर उपकरण उपलब्ध रहते हैं। केंद्र सरकार द्वारा भी लगातार नागरिकों को इसके प्रयोग के लिए प्रेरित किया जाता रहा है। सौर ऊर्जा पर निर्भर होने से देश की नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता में भी वृद्धि की जा सकती है। और पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त किया जा सकता है। इस लेख में भारत की पहली सोलर सिटी सांची की जानकारी विस्तार में दी गई है।

भारत की पहली सोलर सिटी

भारत की पहली सोलर सिटी मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में स्थित सांची है। सांची में हाल ही में सौर ऊर्जा संयत्र स्थापित किया गया है। सांची देश की एक खूबसूरत जगहों में से एक है। सांची की निकटवर्ती क्षेत्र नागौर में एक सोलर इनर्जी प्रोजेक्ट लगाया गया है, जिस के द्वारा कुल 3 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। साथ ही इस शहर के स्कूल, कॉलेज, रेलवे स्टेशन, पोस्ट-ऑफिस एवं अन्य सरकारी कार्यालयों की छतों पर सोलर पैनल स्थापित किये गए हैं। सांची शहर में अधिक से अधिक स्ट्रीट लाइट को भी सोलर पैनल से कनेक्ट किया गया है। जिस से इनके द्वारा अधिक मात्रा में सौर ऊर्जा का प्रयोग किया जाता है।

शहर में लिया है 10 हजार नागरिकों ने संकल्प

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विश्व धरोहर सांची अपने ऐतिहासित स्तूपों के लिए प्रसिद्ध है। यह यूनेस्को में शामिल है। यहाँ लगभग 10 हजार नागरिकों ने सौर ऊर्जा के अधिक से अधिक प्रयोग कर संकल्प लिया है, जिसके लिए शहर में अधिक से अधिक नागरिक अपने घर की छतों पर सोलर पैनल स्थापित कर रहे हैं। ऐसा करने से जीवाश्म ईंधन की निर्भरता को खत्म किया जा सकता है, और इलेक्ट्रिक ग्रिड बिजली की निर्भरता को कम किया जा सकता है। अधिक से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा पर आश्रित बिजली का प्रयोग करना नागरिकों का लक्ष्य है। सांची की यह उपलब्धि यह भी बताती है कि प्राचीनता एवं आधुनिकता का मेल कितना सुंदर हो सकता है।

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सौर ऊर्जा के अधिक से अधिक प्रयोग से नागरिकों के जीवन को अधिक सुगम एवं हरित बनाया जा सकता है। नागरिकों को सौर ऊर्जा के प्रयोग करने के लिए सरकार भी निरंतर सब्सिडी योजनाओं के माध्यम से प्रोत्साहित कर रही है, जिससे नागरिक आसानी से अपनी बिजली की जरूरतों को पूरा कर सकें एवं पर्यावरण के प्रति भी जागरूक रह सकें। सांची शहर की यह उपलब्धि न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक प्रेरणा है। जिस से यह प्रेरणा ली जा सकती है कि कैसे सौर ऊर्जा का प्रयोग कर के हरित भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं।

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