सौर भट्टी क्या है? इसका प्रयोग क्यों होता है? पूरी जानकारी देखें

Published By News Desk

Published on

सौर भट्टी (Solar Furnace) का प्रयोग मुख्य रूप से तापमान बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह सूर्य से प्राप्त होने वाले प्रकाश की किरणों को एवं उनकी सांद्रता को एक बिन्दु पर केंद्रित करने के सरल सिद्धांत पर कार्य करता है, यह सिस्टम सौर संचालित ऊर्जा प्रणाली से जुड़ा होता है, इनका प्रयोग कर के जीवाश्म ईंधन से चलने वाली पारंपरिक भट्टियों के प्रयोग को खत्म किया जा सकता है, जिनसे भारी मात्रा में प्रदूषण उत्पन्न होता है।

सौर भट्टी क्या है? इसका प्रयोग क्यों होता है? पूरी जानकारी देखें
सौर भट्टी क्या है?

समृद्धि के साथ कई क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है। इन क्षेत्रों में सौर जल पास्चुरीकरण, कांच उत्पादन, सौर थर्मोकैमिस्ट्री, सोलर कुकर, सौर शवदाहगृह एवं सौर ऊर्जा से संचालित होने वाले बारबेक्यू सम्मिलित हैं। इनका प्रयोग कर के जीवाश्म ईंधन से चलने वाली पारंपरिक भट्टियों के प्रयोग को खत्म किया जा सकता है, इस लेख से हम आप सौर भट्टी की पूरी जानकारी प्रदान करेंगे।

सौर भट्टियों का इतिहास

Solar Furnace का इतिहास बहुत पुराना है, इनकी अवधारणा सबसे पहले प्राचीन यूनानियों के द्वारा की गई थी। प्राचीन यूनानी सूर्य की ऊर्जा को केंद्रित करने के लिए आवर्धन लेंस का प्रयोग करते थे, एवं इसका प्रयोग में आग जलाने के लिए किया करते थे। हेलिओकेमिनस (ग्रीक/लैटिन शब्द) का अर्थ सौर भट्ठी है।1 सौर भट्टी के निर्माण का श्रेय अनेक वैज्ञानिकों के अथक प्रयास को दिया जाता है। इसमें होने वाली प्रक्रियाओं की खोज के बाद ही एक विकसित सौर भट्टी को निर्मित किया गया। विश्व की पहली सौर भट्टी

SolarDukan से अब व्हाट्सप्प पर जुड़ें, क्लिक करें WhatsApp

Solar Furnace का निर्माण 19वीं सदी में हो गया था। सौर भट्टी के सौर सान्द्रक सिद्धांत पर सौर संचालित भाप इंजन को विकसित किया गया था। फ्रांसीसी वैज्ञानिक हेनरी बेकरेल2 द्वारा 1930 के दशक में एक सौर भट्टी का निर्माण किया गया था, जिसमें सौर ऊर्जा के एक बिन्दु पर केंद्रित करने के लिए परवलयिक परावर्तक का प्रयोग किया गया था। इस भट्टी के माध्यम से तापमान 3,000 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता था।

सौर भट्टियों का डिज़ाइन

सोलर भट्टियों में अनेक मुख्य घटकों का प्रयोग किया जाता है। जिनके मध्य से सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा से तापमान को बढ़ाया जाता है। ऐसे में सौर भट्टियों में परावर्तक, सान्द्रक एवं रिसीवर सम्मिलित होते हैं। प्राथमिक घटक के रूप में परावर्तक (Reflector) का प्रयोग होता है, यह सामान्यतः एल्युमीनियम या कांच से बनी परवलयिक डिश होती है, जो सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को ग्रहण कर एक बिन्दु पर केंद्रित करनेने का कार्य करती है। इसका आकार सौर भट्टी के अनुसार डिजाइन किया जाता है।

सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को सान्द्रक (concentrator) द्वारा रिसीवर पर केंद्रित किया जाता है। यह एक लेंस या दर्पण होता है, जिसके द्वारा रिफ्लेक्टर से प्रकाश को एक छोटे से क्षेत्र पर केंद्रित किया जाता है। एवं परावर्तक के फोकस पर इसे रखा जाता है। सूर्य द्वारा प्राप्त होने वाले सबसे तीव्र ऊर्जा इस पर पड़ती है।

सूर्य की ऊर्जा को अवशोषित रिसीवर के द्वारा किया जाता है। प्राप्त ऊर्जा को गर्मी में परिवर्तित करता है। यह एक धातु की छड़ या एक छोटा सा कक्ष होता है, जिसे सान्द्रक पर फोकस किया जाता है। सौर भट्टी द्वारा जनरेट होने वाले अत्यधिक तापमान का सामना करने के लिए रिसीवर में मोलिब्डेनम या टंगस्टन जैसी गर्मी प्रतिरोधी सामग्री का प्रयोग किया जाता है।

सौर भट्टी कैसे काम करती है?

सौर भट्टी में लेंस एवं हेलियोस्टैट्स नामक दर्पणों की एक सीरीज दी गई होती है। इन दर्पणों के एक ढलान पर स्थापित किया जाता है, जिसके द्वारा सूर्य से प्राप्त होने वाले प्रकाश को एक बिन्दु पर केंद्रित एवं एकत्रित करने का कार्य किया जाता है। इसके बाद सूर्य से प्राप्त ऊर्जा का प्रयोग कर के किसी तरल या ठोस पदार्थ को गर्म किया जाता है। इस गर्म पदार्थ द्वारा गर्मी को ऊष्मा परिवर्तक में भेजा जाता है। उसके बाद इस ऊष्मा का प्रयोगगर्म पानी या भाप का निर्माण करने के लिए किया जाता है। सौर भट्टी में तापमान लगभग 800 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक पहुँच जाता है।

सोलर भट्टियों में लगाए गए दर्पणों एवं लेंसों को सावधानीपूर्वक स्थापित किया जाता है, जिससे इनके द्वारा सूर्य की रोशनी से अधिकतम मात्रा में ऊर्जा को केंद्रित किया जा सकता है। इसमें कंप्यूटर-नियंत्रित ट्रैकिंग सिस्टम का प्रयोग किया जाता है। जिस से सूर्य की दिशा के अनुसार दर्पणों एवं लेंसों की दिशा एवं कोण को अपने आप ही स्थिर किया जा सकता है। सौर भट्टियाँ मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं: हेलियोस्टेट सौर भट्टी एवं डायरेक्ट सौर भट्टी। दोनों प्रकारों के संचालन सिद्धांत में ऊष्मा संग्रहण और तापमान वृद्धि के लिए दो दर्पणों का उपयोग करता है। दर्पण इस प्रकार होते हैं:-

SolarDukan से अब व्हाट्सप्प पर जुड़ें, क्लिक करें WhatsApp
  • समतल दर्पण- इस प्रकार के दर्पण को हेलियोस्टेट भी कहते हैं। इस पर के दर्पण से प्रकाश की समानांतर (Parallel) किरणों को परवलयिक दर्पण की ओर निर्देशित करने के लिए कोण बनाया जाता है।
  • परवलयिक (Parabolic) दर्पण- Parabolic दर्पण के द्वारा प्रकाश किरण को एक बिंदु पर केंद्रित किया जाता है।

सौर भट्टियों में प्रयोग होने वाले अवतल दर्पण सभी आपतित सौर विकिरण को केंद्रित करते हैं एवं इन्हें एक ही केंद्र बिंदु पर परावर्तित कर देते हैं। इस प्रकार एक बड़े क्षेत्र से प्राप्त सभी तापीय ऊर्जा को एक केंद्र बिंदु पर अवतल दर्पण के द्वारा केंद्रित किया जाता है। 

Solar Furnace में दर्पणों की संख्या बढ़ाने से तापमान बढ़ता है एवं बड़ी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न करना संभव हो जाता है। सौर भट्टियों से प्राप्त ऊर्जा एवं ताप स्तर का उपयोग भोजन पकाने, पानी उबालने और धातुओं को पिघलाने आदि कई प्रकार के कार्यों के लिए किया जाता है। भट्टियों द्वारा उत्पादित ऊर्जा की दक्षता एवं मात्रा, किरणों को केंद्रित करने के लिए स्थापित दर्पणों की सटीकता (Accuracy) पर आश्रित रहती है। एक बिंदु पर किरणों को केंद्रित करने की दर्पण की क्षमता दर्पण की सटीकता कहलाती है।

सौर भट्टी से बिजली का उत्पादन कैसे किया जाता है?

Solar Furnace के माध्यम से बिजली का उत्पादन भी किया जाता है।3 जिसके लिए निम्न प्रक्रिया की जाती है:-

  • सौर भट्टी के माध्यम से विद्युत उत्पादन प्रक्रिया में ताप बढ़ाने के लिए भट्टी में पिघट हुआ नमक (Molten Salt) डाला जाता है।
  • इस प्रक्रिया में Molten Salt भट्टी के भंडारण टैंक में पहुंचता है। एवं भाप जनरेटर में प्रवेश करता है।
  • भाप जनरेटर में इस पानी को गरम किया जाता है, एवं जब यह भाप छोड़ने लगता है तो टरबाइन चलने लगती है।
  • इसके बाद ठंडा Molten Salt पुनः भंडारण टैंक में भेज दिया जाता है। भाप के माध्यम से भाप टरबाइन की ब्लेड से गुजरते हुए उसे घुमाती है।
  • टरबाइन पर एक अल्टरनेटर को गियरबॉक्स के माध्यम से जोड़ा जाता है। इसके बाद एक कंडेनसर भाप को संघनित/गाढ़ा करता है। एवं जनरेटर के माध्यम से बिजली उत्पन्न होती है।
  • इस प्रक्रिया में वापस भाप जनरेटर में पंप की जाती है एवं वापस भाप में परिवर्तित होते रहती है।

सौर भट्टी से बिजली का उत्पादन प्रमुख घटक

Solar Furnace के माध्यम से बिजली का उत्पादन करने के लिए निम्न घटकों (Components) का प्रयोग किया जाता है:-

यह भी देखें:क्या घर पर लगे सोलर पैनल से बिजली का खर्चा बिल्कुल खत्म हो जाता है? यहाँ जानें

क्या घर पर लगे सोलर पैनल से बिजली का खर्चा बिल्कुल खत्म हो जाता है? यहाँ जानें

  • हेलियोस्टैट्स (Heliostats)
  • परवलयिक दर्पण
  • टावर
  • भट्टी
  • वाष्प टरबाइन (Steam Turbine)
  • नमक भंडारण टैंक (Salt Storage Tanks)
  • विद्युत ट्रांसफार्मर
  • पंप्स
  • वाष्प जेनरेटर

सौर भट्टी के लाभ

Solar Furnace से होने वाले लाभ इस प्रकार हैं:-

  • सौर भट्टी के माध्यम से जीवाश्म ईंधन से संचालित होने वाली भट्टियों के प्रयोग को खत्म किया जा सकता है। जीवाश्म ईंधन से कहने वाली भट्टियाँ भारी मात्रा में प्रदूषण उत्पन्न करती है। सौर भट्टियों से पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सकता है। इनके द्वारा किसी प्रकार का हानिकारक उत्सर्जन नहीं किया जाता है।
  • सौर भट्टियाँ उच्च दक्षता की होती है, इनके द्वारा सूर्य से लगभग 85% ऊर्जा ग्रहण की जाती है, यह अधिक ऊर्जा कुशल होती हैं। सौर भट्टियों के द्वारा अधिक गर्मी एवं बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। जिसका प्रयोग कर के ऊर्जा के बिल को कम किया जा सकता है। सौर भट्टी का प्रयोग कर समय एवं पैसे दोनों की बचत की जा सकती है।
  • सौर भट्टियों को स्थापी करने में प्राथमिक निवेश अधिक हो सकता है, लेकिन इनका प्रयोग कर लंबे समय तक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इनमें किसी प्रकार के अतिरिक्त जीवाश्म ईंधन (तेल या प्राकृतिक गैस, कोयला आदि) की आवश्यकता नहीं होती है।
  • Solar Furnace के माध्यम से सूर्य के विकिरण को एक केंद्र बिंदु पर केंद्रित करने के बाद तापमान लगभग 3600-4000 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ाया जा सकता है।
  • सौर भट्टियों का रखरखाव आसानी से किया जा सकता है। इनमें कम रखरखाव की आवश्यकता होती है। सोलर भट्टियों से उनकी क्षमता के अनुसार कार्य प्राप्त करने के लिए इनकी सफाई की जा सकती है।
  • सौर भट्टियों का प्रयोग कर अनेक उद्देश्यों एवं क्षेत्रों में किया जाता है। इनका प्रयोग गर्मी बढ़ाने, पानी गरम करने बिजली उत्पादन, अंतरिक्ष हीटिंग आदि में किया जाता है। इन्हें मुख्यतः आवसीय क्षेत्रों, व्यावसायिक, वाणिज्यिक क्षेत्रों एवं औद्योगिक क्षेत्रों में प्रयोग किया जाता है।

सौर भट्टी की कमियाँ

Solar Furnace से प्राप्त होने वाले लाभ के बाद अब आप सौर भट्टियों की कमियों को देखें, जो इस प्रकार रहती हैं:-

  • सौर भट्टियों को स्थापित करने में उच्च प्रारम्भिक लागत लगती है। जिस कारण इसकी स्थापना कम ही नागरिक कर सकते हैं। एक ही बार में इस पर अधिक खर्चा हो सकता है, लेकिन स्थापना के बाद लंबे समय तक इसका प्रयोग नागरिक कर सकता है।
  • यदि बादल वाला मौसम हो या खराब मौसम हो तो ऐसे में सौर भट्टी के माध्यम से किसी प्रकार का लाभ प्राप्त नहीं किया जा सकता है। इसका लाभ प्राप्त करने के लिए मौसम पर निर्भर रहना पड़ता है। यह सौर भट्टी की एक मुख्य कमी है।
  • सौर भट्टी को स्थापित करने के लिए एक बहुत बड़े स्थान की आवश्यकता होती है, क्योंकि इसमें दर्पणों एवं लेंसों के साथ-साथ रिसीवर टावर को स्थापित किया जाता है। इसलिए इन्हें सीमित स्थान वाले नागरिक स्थापित नहीं कर सकते हैं।

सौर भट्टियों के अनुप्रयोग

सौर भट्टियों के अनुप्रयोग इस प्रकार होते हैं:-

  • सौर भट्टियों के द्वारा स्टील एवं एल्युमिनियम जैसी धातुओं को कास्टिंग एवं उत्पादन के उद्देश्य से पिघलाया जाता है। सौर भट्टियों द्वारा उत्पन्न होने वाले उच्च तापमान से अधिक ताप पर पिघलने वाली दुर्दम्य धातुएं जैसे टंगस्टन एवं मोलिब्डेनम को भी आसानी से पिघलाया जा सकता है।
  • सौर भट्टियों का प्रयोग उच्च गुणवत्ता वाले ग्लास (ऑप्टिकल ग्लास, सोलर पैनल ग्लास आदि) का निर्माण करने वाले क्षेत्र में भी किया जाता है। सौर भट्टी द्वारा निर्मित होने वाले उच्च तापमान से ग्लास का निर्माण आसानी से किया जा सकता है।
  • सौर भट्टियों का उपयोग सोलर थर्मोकैमिस्ट्री में किया जाता है, यह एक अनुसंधान अध्ययन का क्षेत्र हैं, जिसमें सौर ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करने का अध्ययन किया जाता है। थर्मोडायनामिक्स एवं बलगति विज्ञान (Kinetics) का अध्ययन करने के लिए एवं नवीकरणीय स्रोतों से ईंधन और रसायनों के उत्पादन के लिए नई तकनीक विकसित करने के लिए शोधकर्ता (Researchers) सौर भट्टियों का उपयोग करते हैं।
  • सौर भट्टियों का प्रयोग विज्ञान के अनेक क्षेत्रों में किया जाता है। प्लाज्मा भौतिकी (Plasma Physics) एवं अन्य वैज्ञानिकी प्रयोगों में सौर भट्टी का प्रयोग किया जाता है। सौर भट्टी से उत्पन्न उच्च तापमान के द्वारा वैज्ञानिक प्रयोगों में अध्ययन करने में आसानी होती है।

सौर भट्टी का उपयोग 

Solar Furnace को विभिन्न प्रकार के उपयोगों में प्रयोग किया जाता है:-

  • सौर भट्टियों का प्रयोग ऐसी सामग्रियों के प्रतिरोध का परीक्षण करने के लिए किया जाता है। जिन्हें अत्यधिक गर्मी के लिए निर्मित किया जाता है।
  • Solar Furnace का प्रयोग कर के सौर ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है, ऐसे में इंजन ताप स्रोत के रूप में सौर भट्टी का प्रयोग किया जाता है।
  • सौर भट्टी का प्रयोग कर के बिजली का उत्पादन भी किया जाता है, इसमें ऊष्मा ऊर्जा को पूरा कर सकते हैं। थर्मल पावर प्लांट में सौर भट्टी से प्राप्त होने वाली ऊष्मा को बिजली में परिवर्तित करने का कार्य किया जाता है। सोलर भट्टी से बिजली उत्पादन करने वाले संयंत्रों में 300-1000 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान को प्राप्त किया जा सकता है।
  • वाटर टरबाइन द्वारा बिजली उत्पादन करने के लिए भी सौर भट्टियों का प्रयोग किया जा सकता है।
  • घर में संचालित होने वाले ओवन को पारंपरिक ओवन में परिवर्तित कर खाना बनाया जा सकता है, ऐसे में खाना बनाने के लिए भी सौर भट्टियों का प्रयोग किया जा सकता है।
  • सौर भट्टियों का प्रयोग कर के पानी से हाइड्रोजन ईंधन का निर्माण किया जा सकता है। साथ ही सौर भट्टियों का प्रयोग एयरोस्पेस, रक्षा एवं इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे प्रीमियम क्षेत्रों में भी किया जा सकता है। 
  • कृषि क्षेत्रों में आधुनिक कृषि तकनीक का प्रयोग कर सौर भट्टियों द्वारा कृषि उत्पादों को सुखाया साथ ही मीट उद्योग में उनका ऊष्मायन किया जा सकता है।
  • वैज्ञानिक एवं शोधकर्ता सौर भट्टियों के अधिक अनुप्रयोगों को विकसित कर रहे हैं, जिनके माध्यम से जीवाश्म ईंधन जैसे गैर-नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता को खत्म करने में सहायता कर सकते हैं। 
  • प्लास्टिक एवं पेंट के परीक्षण के लिए सौर भट्टियों से प्राप्त होने वाली गर्मी का प्रयोग किया जा सकता है।
  • मेटल वेल्डिंग जैसे अनेक उद्योगों में सौर भट्टियों का प्रयोग किया जा सकता है। सौर भट्टियों का प्रयोग शोधकार्यों एवं अनुसंधान में किया जा सकता है, ऐसे में प्रदूषण उत्पन्न किए बिना ही उच्च तापमान को प्राप्त किया जा सकता है।

सौर भट्टी की कीमत

Solar Furnace की प्राथमिक कीमत सामान्यतः अधिक होती है। इसकी कीमत लगभग 10 लाख रुपये से 15 लाख रुपये तक हो सकती है। जिसे उपयोगकर्ता आने वाले एक या दो वर्ष में पूरी तरह से सौर भट्टी का प्रयोग कर प्राप्त कर सकता है। सौर भट्टी की कीमत उसकी क्षमता एवं प्रकार पर निर्भर करती है। इसमें सौर भट्टी में प्रयोग होने वाले उपकरणों एवं उनकी स्थापना की कीमत होती है। यह स्थान के अनुसार अलग-अलग हो सकती है।

यदि हाइब्रिड भट्टियों का प्रयोग कर से समय का प्रबंधन किया जा सकता है। ऐसे में जब सूर्य का प्रकाश उपलब्ध नहीं रहता है तो हाइब्रिड भट्टियाँ ऑटोमेटिक ही गैस बर्नर की सहायता से संचालित हो जाती हैं। इसलिए यदि हाइब्रिड भट्टियों का प्रयोग किया जाए तो कम सौर ऊर्जा के समय गैस तापन शुरू हो जाता है। एक हाइब्रिड सौर भट्टी की कीमत लगभग 5 लाख रुपये तक हो सकती है।

सौर भट्टी से संबंधित प्रश्न एवं उत्तर

सौर भट्टी में किस प्रकार के दर्पण (Mirror) का प्रयोग किया जाता है?

सौर भट्टी में अवतल दर्पण का प्रयोग किया जाता है, क्योंकि अवतल तर्पण सूर्य से प्राप्त होने वाली समानांतर किरणों को एक बिन्दु पर एकत्रित करने का कार्य करते हैं।

विश्व की सबसे बड़ी सौर भट्टी (World’s Biggest Solar Furnace) कौन सी है?

विश्व की सबसे बड़ी सौर भट्टी फ्रांस के पाइरेनीस-ओरिएंटेल्स में ओडेइलो में स्थित है। यह सौर भट्टी 1970 में स्थापित की गई थी, इस सौर भट्टी में सूर्य की किरणों को इकट्ठा करने एवं उन्हें एक बड़े घुमावदार दर्पण पर प्रतिबिंबित करने के लिए 63 हेलियोस्टैट्स को नियोजित किया गया था।

सौर भट्टियों का क्या महत्व है?

सौर भट्टियों का महत्व अनेक वैज्ञानिक अनुसंधानों एवं शोधों को आगे बढ़ाने, नवीकरणीय ऊर्जा को विकसित करने एवं पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने में है।

सौर भट्टी में कितना अधिक तापमान हो सकता है?

सौर भट्टी 10 सेमी व्यास में 10 किलोवाट तक सौर विकिरण को केंद्रित कर सकता है, इसके द्वारा 1800°C का तापमान प्राप्त किया जा सकता है, यह विकसित तकनीक की सौर भट्टी में तापमान 3000°C तक बढ़ सकता है।

Solar Furnace विज्ञान का एक विकसित आविष्कार है, जिसका प्रयोग उच्च तापमान प्राप्त करने के लिए किया किया जाता है। यह सूर्य के प्रकाश पर निर्भर रहता है। एवं आवश्यकता तक के तापमान को आसानी से प्राप्त कर सकता है। सौर भट्टियों का प्रयोग कर अनेक क्षेत्रों को प्रदूषण मुक्त बनाया जा सकता है। क्योंकि सौर भट्टियों के अधिक प्रयोग से ही जीवाश्म ईंधन से चलने वाली भट्टी के प्रयोग को खत्म किया जा सकता है। सौर भट्टी पर्यावरण को सुरक्षित रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भविष्य में एडवांस सौर भट्टी का प्रयोग किया जाएगा, जो विकसित तकनीक में निर्मित होने के साथ अनेक लाभ प्रदान करने में सक्षम होंगी।

  1. heliocaminus शाब्दिक अर्थ है सौर भट्ठी ↩︎
  2. रेडियोएक्टिविटी की खोज के लिए बेकरेल-क्यूरी को 1903 में भौतिकी के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया था। ↩︎
  3. विद्युत उत्पादन के लिए सौर भट्टी का उपयोग किया जाता है। ↩︎

यह भी देखें:थर्मोसिफॉन (Thermosiphon) क्या है? यहाँ जानें

थर्मोसिफॉन (Thermosiphon) क्या है? यहाँ जानें

Leave a Comment

हमारे Whatsaap ग्रुप से जुड़ें