क्या आप जानते हैं इन्वर्टर बैटरी कैसे बनती है? जाने पूरी जानकारी Inverter Battery Manufacturing Process

क्या आपने कभी सोचा है कि जो इन्वर्टर बैटरी आपके घर को रोशन रखती है, वो आखिर बनती कैसे है? पिघली हुई सीसा, एसिड और हाईटेक प्रोसेस से तैयार होती है ये ताकत की मशीन! आज हम आपको दिखाएंगे इन्वर्टर बैटरी बनने की पूरी प्रक्रिया—कच्चे माल से लेकर पैकिंग तक, एक झलक में!

Published By SOLAR DUKAN

Published on

इन्वर्टर एक ऐसा विद्युत उपकरण है जिसकी सहायता से DC को AC में परिवर्तित कर अन्य विद्युत उपकरणों को संचालित किया जा सकता है। इन्वर्टर बैटरी इस प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके द्वारा ही विद्युत ऊर्जा को DC रूप में स्टोर किया जाता है। जिसका आवश्यकता पड़ने पर प्रयोग किया जाता है। इन्वर्टर बैटरी कैसे बनती है (inverter battery manufacturing) बैटरियों की निर्माण प्रक्रिया, इन्वर्टर बनाने में प्रयुक्त घटक क्या-क्या है आइए जानें:

क्या आप जानते हैं इन्वर्टर बैटरी कैसे बनती है? जाने पूरी जानकारी Inverter Battery Manufacturing Process
Inverter Battery Manufacturing Process

इन्वर्टर बैटरी का प्रयोग वर्तमान समय में बहुत तेजी से बढ़ रहा है। यदि आप भी इन्वर्टर बैटरी का प्रयोग करना चाहते हैं तो इन्वर्टर बैटरी के प्रकारों की जानकारी का लेख पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

इन्वर्टर बैटरी

मुख्य रूप से दिष्ट या डायरेक्ट धारा DC को संगृहीत करने का कार्य इन्वर्टर बैटरी द्वारा किया जाता है। बाजार में लेड एसिड बैटरी के प्रकार मुख्य रूप से सर्वाधिक उपलब्ध हैं एवं लेड एसिड बैटरी का प्रयोग ही बहुतायत में हो रहा है। दूसरी लिथियम बैटरी है। यह लेड एसिड बैटरी की तुलना में जितनी अच्छी है उतनी ही महंगी भी है। इन्वर्टर बैटरी की सहायता से ही बिजली कटौती होने पर भी उपभोक्ता बिजली का प्रयोग कर सकते हैं।

इन्वर्टर बैटरी के प्रकार

SolarDukan से अब व्हाट्सप्प पर जुड़ें, क्लिक करें WhatsApp

लेड एसिड बैटरियों में फ्लैट प्लेट बैटरी एवं ट्यूबलर बैटरी प्रचलित हैं। दोनों ही प्रकार की बैटरियों का आकार छोटा होता है। इसका प्रयोग घरों के अतिरिक्त गाड़ियों में जैसे ई-रिक्शा, कार आदि में भी होता है। लेड एसिड बैटरियों के अनेक आकार एवं डिजाइन बनाये जाते हैं। लेड एसिड बैटरियों में से लगभग 98% बैटरियां पुनर्चक्रण (Recycle) की जा सकती हैं। सभी प्रकार की इन्वर्टर बैटरियां मुख्य रूप से निम्न प्रकार की होती हैं:

  • फ्लैट प्लाट बैटरी
  • ट्यूबलर बैटरी

इन्वर्टर बैटरी के घटक

लेड एसिड इन्वर्टर बैटरियों के आकार और डिजाइन भिन्न-भिन्न हो सकते हैं, लेकिन इन बैटरियों के निर्माण में प्रयोग होने वाले सभी घटक सभी के लिए सामान रहते हैं। बैटरी के बाह्य एवं आंतरिक घटक होते हैं। भारतीय बैटरी का निर्माण करने वाली एमारोन की आधिकारिक वेबसाइट में देखें। बाह्य घटकों को देखा जा सकता है। किसी भी बैटरी में मुख्य रूप से निम्न घटक होते हैं:

  • कंटेनर
  • वेंट प्लग
  • टर्मिनल्स
  • प्लेट्स
  • विभाजक
  • सेल पैकेजिंग
  • एसिड

किसी भी बैटरी में टर्मिनल्स, वेंट प्लग एवं कंटेनर बाह्य घटक होते हैं।

इन्वर्टर बैटरी कैसे बनती है

इन्वर्टर बैटरी के सभी घटकों के निर्माण के बाद इन्वर्टर बैटरी को बनाने के लिए अनेक भागों की अलग निर्माण प्रक्रियाएं होती हैं। जो इस प्रकार हैं:

लेड की सिल्लियां बनाने की प्रक्रिया

किसी भी लेड एसिड बैटरी में शीशा/लेड एक महत्वपूर्ण घटक होता है। जिसे पुरानी प्रयोग की जा चुकी बैटरियों से प्राप्त किया जाता है। या अन्य किसी स्रोत से निकाला जाता है। एवं उपलब्ध लेड को पिघलाकर सिल्लियां बनाई जाती हैं। इनमें बहुत सी अशुद्धियाँ मिली रहती हैं जिन्हें पुनः पिघलाकर शुद्ध किया जाता है। फिर इसे सिल्ली का आकर देने के लिए डाई में पिघलाया जाता है, सिल्ली रूप प्राप्त करने पर इनका स्पेक्ट्रो मशीन में परीक्षण किया जाता है। जिसके द्वारा इनमें उपलब्ध अशुद्धि की गणना की जा सकती है।

ऑक्साइड एवं ग्रिड उत्पादन प्रक्रिया

लेड ऑक्साइड को मिलिंग या बॉर्टन पॉट प्रक्रिया द्वारा भट्टियों में पिघलाकर सीसे के द्रव्यमान द्वारा प्राप्त किया जाता है। बैटरी ग्रिड का निर्माण करने के लिए कास्टिंग एवं स्टम्पिंग प्रक्रियाओं का प्रयोग किया जाता है। कास्टिंग विधि में सीसे की मिश्र धातु को मेल्टिंग पॉप में पिघलाया जाता है। एवं पिघले हुए सीसे को बैटरी ग्रिड के पैटर्न में बनाया जाता है। इसके बाद ग्रिड को ठंडा किया जाता है और ट्रिमिंग मशीन में भेज दिया जाता है। जिसमें ग्रिड के किनारों एवं गेटों को ट्रिम करते हैं। इन्वर्टर बैटरी ऑक्साइड एवं ग्रिड उत्पादन प्रक्रिया

SolarDukan से अब व्हाट्सप्प पर जुड़ें, क्लिक करें WhatsApp
यह भी देखें:अब 1500 KM बिना चार्जिंग! आ गई Aluminium Air Battery वाली EV – पेट्रोल-डीजल भूल जाएंगे

अब 1500 KM बिना चार्जिंग! आ गई Aluminium Air Battery वाली EV – पेट्रोल-डीजल भूल जाएंगे

बैटरी ग्रिड चिपकाने की प्रक्रिया

बैटरी के निर्माण में जब ग्रिड बन जाता है तब ग्रिडों पर लगाए गए लेड, लिथार्ज, लाल सीसा एवं पानी के ऑक्साइड आदि से बनाये गए पेस्ट द्वारा इसे चिपकाया जाता है। इन पेस्टों की सहायता से ग्रिडों को भरा जाता है। अलग-अलग तत्वों के कारण ग्रिडों में पॉजिटिव एवं नेगेटिव की प्लेट बन जाती है। जिन्हें रंग के द्वारा पहचाना जाता है। नकारात्मक प्लेट का रंग ग्रे होता है जबकि पॉजिटिव प्लेट का रंग भूरा होता है। सामान्यतः किसी भी प्रकार की बैटरी निर्माता कंपनी ग्रिड को चिपकाने की प्रक्रिया की जानकारी सांझा नहीं करती है।

लेड एसिड बैटरी के भागों को एकत्रित करने की प्रक्रिया

बैटरी के सभी भाग के निर्मित हो जाने पर उन्हें एकत्रित कर एक व्यवस्थित ढंग से कंटेनर/बैटरी केस में रखा जाता है, एक कंटेनर में 6 सेल श्रृंखला क्रम में रखे जाते हैं, जिनमें प्रति सेल 2 वोल्ट का होता है, एक 12 वोल्ट की बैटरी में 6 सेल होते हैं। कंटेनर में रखी गयी इन प्लेट्स को वेल्ड कर दिया जाता है। एवं उन्हें प्लास्टिक मोल्डिंग प्लांट से कवर किया जाता है। कवर एवं कंटेनर के बीच के स्थान को रिसावरोधी बनाने के लिए सीलिंग कंपाउंड का प्रयोग किया जाता है।

चार्जिंग एवं डिस्चार्जिंग प्रक्रिया (टेस्टिंग)

बैटरी के सभी भागों को एकत्रित करने के बाद कंटेनर में एक वेंट ट्यूब या फिलिंग ट्यूब की सहायता से आवश्यक मात्रा में इलेक्ट्रोलाइट को भरा जाता है। यह सल्फ्यूरिक एसिड होता है, इसके बाद ही यह अपनी पहली चार्जिंग को तैयार रहता है। इस चार्जिंग को नियोजित कर के किया जाता है यह एक दिन से लेकर अनेक दिनों तक चार्ज हो सकती है। इसके बाद यदि उसमें किसी प्रकार की समस्या होती है तो उसमें पुनः से नया एसिड मिलाया जाता है।

जब बैटरी को अंतिम चार्ज पर भेजते हैं तो उसमें रहने वाले किसी भी प्रकार के दोष को सही करते हैं। टेस्टिंग प्रक्रिया में बैटरी का उच्च दर डिस्चार्ज टेस्ट भी किया जाता है। अंत में कुछ अन्य परीक्षणों (वोल्टेज, करंट) के सफल होने पर ही इसके बाद ही बैटरी बनाने वाली कंपनी द्वारा बैटरी पर सीरियल नंबर एवं अन्य जानकारी दर्ज की जाती है। फिर इसे बाजारों में उतारा जाता है।

इन्वर्टर बैटरी कैसे बनती है से सम्बंधित प्रश्न एवं उत्तर

इन्वर्टर बैटरी कैसे बनती है?

इन्वर्टर बैटरी के मुख्य घटक कंटेनर, वेंट प्लग, टर्मिनल्स, प्लेट्स, विभाजक, सेल पैकेजिंग, एसिड के निर्माण द्वारा ही इन्वर्टर बैटरी को अनेक प्रक्रियाओं के माध्यम से बनाया जाता है।

इन्वर्टर बैटरी में इलेक्ट्रोलाइट के रूप में सामान्यतः किसका प्रयोग किया जाता है?

इन्वर्टर बैटरी में इलेक्ट्रोलाइट के रूप में सामान्यतः सल्फ्यूरिक एसिड या डिस्टिल्ड वाटर का प्रयोग किया जाता है।

इन्वर्टर बैटरी में प्लेटों के पॉजिटिव एवं नेगेटिव होने का पता कैसे चलता है?

इन्वर्टर बैटरी में प्लेटों के पॉजिटिव एवं नेगेटिव होने का पता प्लेटों के निर्माण के समय ही पता चलता है। ग्रे रंग की प्लेट ऋणात्मक एवं भूरे रंग की प्लेट धनात्मक होती है।

एक 24 वोल्ट की बैटरी में कितने सेल होते हैं?

एक 24 वोल्ट की बैटरी में 12 सेल होते हैं जिनमें से प्रत्येक 2 वोल्ट का होता है एवं उन्हें श्रृंखला क्रम में जोड़ा जाता है।

इन्वर्टर बैटरी क्या कार्य करती है?

इन्वर्टर बैटरी दिष्ट धारा DC को संगृहीत करने का कार्य करती है एवं जिसका प्रयोग बिजली कटौती होने पर इन्वर्टर द्वारा किया जाता है जो संगृहीत DC को AC में परिवर्तित कर उपकरणों को संचालित करने में सहायता करती है।

यह भी देखें:LIVFAST 200Ah सोलर बैटरी, रातभर फुल बिजली सपोर्ट – अब बिजली कटौती में भी घर रहेगा रौशन

LIVFAST 200Ah सोलर बैटरी, रातभर फुल बिजली सपोर्ट – अब बिजली कटौती में भी घर रहेगा रौशन

0 thoughts on “क्या आप जानते हैं इन्वर्टर बैटरी कैसे बनती है? जाने पूरी जानकारी Inverter Battery Manufacturing Process”

Leave a Comment

हमारे Whatsaap ग्रुप से जुड़ें