सामान्य इन्वर्टर को सोलर इन्वर्टर कैसे बनाएं, यहाँ देखें प्रक्रिया

क्या आप सोच रहे हैं कि सोलर इन्वर्टर खरीदने में मोटा खर्च होगा? अगर हाँ, तो ये खबर आपके लिए है! एक आसान प्रक्रिया अपनाकर आप अपने पुराने इन्वर्टर को ही सोलर इन्वर्टर में बदल सकते हैं। बिना ज्यादा खर्च और बिना तकनीकी झंझट के, घर बैठे सीखें वो तरीका जिससे आपकी बिजली बिल की टेंशन खत्म हो जाएगी।

Published By Rohit Kumar

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सामान्य इन्वर्टर को सोलर इन्वर्टर कैसे बनाएं, यहाँ देखें प्रक्रिया
सामान्य इन्वर्टर को सोलर इन्वर्टर कैसे बनाएं, यहाँ देखें प्रक्रिया

किसी भी इन्वर्टर का कार्य DC (दिष्ट धारा) को AC (प्रत्यावर्ती धारा) में परिवर्तित करना है। इसका प्रयोग सोलर पैनल या बैटरी से प्राप्त होने वाली DC (Direct Current) को AC (Alternative Current) में बदलने के लिए किया जाता है। जिसकी सहायता से AC से चलने वाले उपकरणों को संचालित किया जा सकता है। बैटरी का प्रयोग बिजली को संग्रहीत करने के लिए किया जाता है। जिसमें वह DC के रूप में संग्रहीत की जा सकती है।

इस आर्टिकल में हम आपको सामान्य इन्वर्टर को सोलर इन्वर्टर कैसे बनाएं की जानकारी प्रदान करेंगे। जिस से आप अपने घर में प्रयोग होने वाले सामान्य इन्वर्टर को सोलर सिस्टम से जोड़ कर सोलर इन्वर्टर में परिवर्तित कर सकते हैं। ऐसे कर के उपयोगकर्ता पूरे सोलर सिस्टम को नया न खरीद कर अपने पैसों की बचत कर सकता है। एवं सोलर सिस्टम का प्रयोग कर वह ग्रिड बिजली के बिल में छूट प्राप्त कर सकता है।

सामान्य इन्वर्टर को सोलर इन्वर्टर कैसे बनाएं

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किसी भी सामान्य इन्वर्टर को सोलर इन्वर्टर में परिवर्तित करने के लिए सोलर चार्ज कन्ट्रोलर का प्रयोग किया जाता है। सोलर चार्ज कन्ट्रोलर द्वारा सामान्यतः सोलर पैनल से प्राप्त होने वाली असमान करंट को नियंत्रित कर के प्रयोग किया जाता है। जिस से सोलर सिस्टम को सुरक्षा भी प्रदान हो जाती है। सोलर इंवर्टर मुख्य रूप से 2 तकनीक के होते हैं। PWM (Pulse Width Modulation) एवं MPPT (Maximum Power Point Tracking)

PWM तकनीक के सोलर चार्ज कन्ट्रोलर द्वारा करंट को नियंत्रित कर के इन्वर्टर में भेजा जाता है। MPPT तकनीक के सोलर चार्ज कन्ट्रोलर द्वारा करंट एवं वोल्टेज दोनों को नियंत्रित किया जाता है। MPPT तकनीक के सोलर चार्ज कन्ट्रोलर आधुनिक तकनीक के चार्ज कन्ट्रोलर होते हैं। इनकी कीमत PWM की तुलना में अधिक होती है। पर ये PWM तकनीक के सोलर चार्ज कन्ट्रोलर की तुलना में उच्च प्रदर्शन कर अनेक लाभ भी प्रदान करते हैं।

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सोलर चार्ज कन्ट्रोलर की कीमत

वर्तमान में बाजार में अनेकों ब्रांड के सोलर चार्ज कन्ट्रोलर उपलब्ध हैं। इस आर्टिकल में दिए गए सोलर चार्ज कन्ट्रोलर की कीमत ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म के आधार पर औसतन दी गई है, जो स्थान एवं समय के अनुसार कम या ज्यादा हो सकती है। जिनमें से कुछ प्रमुख सोलर चार्ज कन्ट्रोलर की कीमत एवं सामान्य विशिष्टताएं इस प्रकार हैं:

Solar Charge Controller (Model)TypeRating Price (Approx.)
ASHAPOWER NOVA50MPPT50 Amp/90 Volt₹ 7,000
UTL Solar Charge Controller Hybrid SMUPWM50 Amp₹ 4,000
ASHAPOWER NEON60MPPT60 Amp₹ 13,000
Smarten Prime+MPPT50 Amp₹ 6,000
Microtek M-Sun PWM30 Amp ₹ 3,000
Smarten 24V-48V/50 APWM50 Amp₹ 6,500

सोलर चार्ज कंट्रोलर के कनेक्शन कैसे करें

सोलर चार्ज कन्ट्रोलर द्वारा ही सामान्य इन्वर्टर को सोलर इन्वर्टर में परिवर्तित किया जा सकता है। आप निम्न प्रक्रिया के द्वारा इसे सोलर सिस्टम में जोड़ने की प्रक्रिया इस प्रकार है:

  • सबसे पहले बैटरी की वायर जो इन्वर्टर से जोड़ी गई है, उसके ही समांतर 2 वायर को जोड़ कर सोलर चार्ज कन्ट्रोलर के टर्मिनल से जोड़ देना है।
  • बैटरी के पाज़िटिव टर्मिनल से सोलर चार्ज कन्ट्रोलर का पाज़िटिव टर्मिनल ही जोड़ा जाए, एवं नेगेटिव टर्मिनल से नेगेटिव टर्मिनल ही जोड़ा जाए। यदि यह पैटर्न गतल स्थापित होता है तो ऐसे में सोलर चार्ज कन्ट्रोलर खराब हो सकता है।
  • आप अपने सोलर पैनल की वायर को सोलर चार्ज कन्ट्रोलर से जोड़ सकते हैं। जिसमें आपको पाज़िटिव वायर को पाज़िटिव टर्मिनल में एवं नेगेटिव वायर को नेगेटिव टर्मिनल में जोड़ना होता है।
    सोलर चार्ज कंट्रोलर के कनेक्शन कैसे करें
  • इनपुट वायर को सोलर चार्ज कन्ट्रोलर पर निर्दिष्ट इनपुट में प्लग करते हैं। एवं इन्वर्टर के मुख्य आउटपुट वायर को सोलर चार्ज कन्ट्रोलर के अवरुद्ध टर्मिनल से जोड़ते हैं।
  • इन्वर्टर में जोड़ने से पूर्व आपको इंवर्टर की रेटिंग की जांच करनी है, एवं जिस रेटिंग का आपका इन्वर्टर है उसी के समान ही रेटिंग का सोलर चार्ज कन्ट्रोलर उस पर स्थापित करना है।

इस प्रकार उपर्युक्त प्रक्रिया के द्वारा आप सोलर चार्ज कन्ट्रोलर को सोलर सिस्टम में जोड़ सकते हैं। सोलर चार्ज कन्ट्रोलर की कीमत उसके प्रकार के आधार पर अलग-अलग होती है। जिसे उपभोक्ता अपने सोलर सिस्टम की क्षमता एवं इन्वर्टर की रेटिंग के अनुसार ही प्रयोग करते हैं।

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