Solar Rooftop: जानिए क्या है सोलर पैनल स्टैंडर्ड एंड लेबलिंग प्रोग्राम?

सोलर पैनल स्टैंडर्ड एंड लेबलिंग प्रोग्राम को BEE द्वारा शुरू किया गया है, इस प्रोग्राम से उच्च गुणवता के उपकरणों का प्रयोग सोलर सिस्टम में होगा।

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सोलर पैनल के महत्व को समझते हुए सरकार द्वारा नागरिकों को इन्हें लगाने के लिए अनेक सब्सिडी योजनाएं शुरू की गई हैं। सोलर पैनल सूर्य से प्राप्त होने वाली सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने का काम करते हैं। सोलर पैनल पर्यावरण के अनुकूल रहकर बिजली का उत्पादन करते हैं। और इलेक्ट्रिक ग्रिड से प्राप्त होने वाले भारी बिजली बिल से राहत प्रदान करने का कार्य करता है। सोलर रुफटॉप योजना में लगाए जाने वाले सोलर पैनल की कार्यक्षमता की गुणवत्ता के लिए ही सोलर पैनल स्टैंडर्ड एंड लेबलिंग प्रोग्राम शुरू किया गया है। यहाँ हम आपको पूरी जानकारी प्रदान करेंगे।

Solar Rooftop: जानिए क्या है सोलर पैनल स्टैंडर्ड एंड लेबलिंग प्रोग्राम?
सोलर पैनल स्टैंडर्ड एंड लेबलिंग प्रोग्राम

क्या है सोलर पैनल स्टैंडर्ड एंड लेबलिंग प्रोग्राम?

BEE (Bureau of Energy Efficiency) द्वारा सोलर पैनल स्टैंडर्ड एंड लेबलिंग प्रोग्राम के अंतर्गत सोलर सिस्टम में एक ग्रिड से जुड़ा हुआ सोलर इंवर्टर जोड़ा गया है, जिससे उपभोक्ता को अपने घर की छत पर लगे सोलर सिस्टम के सभी उपकरणों के उपयोग से उच्च गुणवत्ता का कार्य-प्रदर्शन प्राप्त हो सकता है। और साथ ही वह यह जानकारी भी प्राप्त कर सकता है कि उसके सोलर सिस्टम में लगे उपकरणों में किसकी दक्षता क्या है? सोलर पैनल स्टैंडर्ड एंड लेबलिंग प्रोग्राम का उद्देश्य सोलर सिस्टम में प्रयोग किये जाने वाले उपकरणों की कीमत, उनकी प्रभावशीलता एवं उनके कार्य प्रदर्शन को प्रस्तुत करना है।

केंद्र के ऊर्जा मंत्रालय द्वारा यह बयान दिया गया है कि उनके द्वारा बिजली की खपत की गणना करने और हरित ग्रह का निर्माण करने में योगदान दिया जाएगा। इस प्रकार के प्रोग्राम के माध्यम से सोलर सिस्टम में टॉप क्वालिटी के इंवर्टर का प्रयोग किया जा सकता है, यह सोलर इंवर्टर भी सोलर रुफटॉप योजना के अंतर्गत लगे सिस्टम में प्रयोग किया जाएगा। केंद्र की सब्सिडी योजनाओं में ऑनग्रिड सोलर सिस्टम स्थापित किया जाता है। जिसमें बैटरी का प्रयोग नहीं होता है, और सोलर पैनल द्वारा बनाई जाने वाली बिजली को ग्रिड के साथ शेयर किया जाता है।

प्रदूषण को घटाया जाएगा

केंद्र के ऊर्जा मंत्रालय के BEE द्वारा शुरू किये गए सोलर पैनल स्टैंडर्ड एंड लेबलिंग प्रोग्राम द्वारा डाइऑक्साइड उत्सर्जन में प्रति वर्ष 60 मिलियन टन की कमी आएगी। ये प्रोग्राम प्रदूषण को भारी मात्रा में कम करने में सहायक होगा। साथ ही साथ उपभोक्ता सुरक्षित की गई ऊर्जा से आर्थिक बचत भी कर सकते हैं। इस प्रोग्राम से पर्यावरण एवं उपयोगकर्ता दोनों को ही लाभ प्रदान हो सकता है। BEE की परफॉर्म अचीव ट्रेड योजना के बारे में यूनियन पावर एंड न्यू एंड रिन्युएबल एनर्जी मिनिस्टर आर के सिंह ने बताया कि इस योजना से प्रतिवर्ष लगभग 110 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी आएगी।

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प्रीमियम गुणवत्ता के उत्पाद

BEE द्वारा शुरू किये गए सोलर पैनल स्टैंडर्ड एंड लेबलिंग प्रोग्राम में प्रीमियम क्वालिटी के उपकरणों का प्रयोग किया जाएगा, पहले ऐसे उपकरण भारत में नहीं बनते थे, तो विदेशी उपकरणों का प्रयोग होता था, लेकिन आज के समय में भारत में ही उच्च गुणवत्ता के उपकरणों का निर्माण होने लग गया है। ऐसे मेड इन इंडिया उपकरणों का प्रयोग करने से देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में भी योगदान दिया जा सकता है। साथ ही सोलर सिस्टम में उच्च दक्षता के उपकरणों का प्रयोग किया जाएगा।

निष्कर्ष

सोलर पैनल का प्रयोग कर के देश की नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता को बढ़ाने में आम नागरिक भी अपना योगदान दे सकता है, साथ ही प्रदूषण के कम होने से ही हरित भविष्य की कल्पना की जा सकती है। सोलर सिस्टम पर किये जाने वाले निवेश को बुद्धिमानी का निवेश कहते हैं, एक बार पूरी तरह से निवेश करने के बाद लंबे समय तक बिजली का लाभ इससे प्राप्त किया जा सकता है। सोलर सिस्टम में किये गए भुगतान को आप कुछ ही सालों में प्राप्त कर लेते हैं।

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