घर पर सोलर सिस्टम लगाने चाहते हैं? यहाँ जानें कीमत, सब्सिडी और पूरी जानकारी

सोलर सिस्टम की स्थापना करने से पहले लोड की जानकारी का होना आवश्यक है, उसके बाद ही एक सही एवं कुशल क्षमता के सोलर सिस्टम को स्थापित किया जा सकता है।

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सोलर सिस्टम आज के समय में विज्ञान का सर्वश्रेष्ठ आविष्कार माना जाता है। क्योंकि सोलर सिस्टम पर्यावरण को सुरक्षित रखने में सहयोग करता है। सोलर सिस्टम लगाने वाले उपभोक्ता इलेक्ट्रिक ग्रिड बिजली के बिल में भारी छूट प्राप्त करते हैं। सोलर सिस्टम को लगाने से पहले उस से जुड़ी सामान्य जानकारी जैसे सोलर सिस्टम होता क्या है? घर के लिए किस प्रकार का सही रहेगा, स्थापना कैसे करते हैं? कितनी बिजली बनाएगा? कितना खर्चा आएगा? आदि का होना आवश्यक होता है। जानकारी होने पर ही सही सोलर सिस्टम का लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

घर पर सोलर सिस्टम लगाने चाहते हैं? यहाँ जानें कीमत, सब्सिडी और पूरी जानकारी
घर पर सोलर सिस्टम लगाने चाहते हैं?

सोलर सिस्टम में मुख्य उपकरणों में सोलर पैनल, सोलर इंवर्टर एवं सोलर बैटरी को स्थापित किया जाता है। एक सही क्षमता के, सही प्रकार के सोलर सिस्टम को स्थापित करने की जानकारी यहाँ जानें। सोलर सिस्टम के महत्व को समझते हुए सरकार द्वारा इसकी स्थापना के लिए उपभोक्ताओं को सब्सिडी द्वारा प्रोत्साहित भी किया जाता है। जिस से इसमें होने वाले प्राथमिक निवेश में उपभोक्ता छूट प्राप्त कर सकते हैं।

घर पर सोलर सिस्टम लगाने चाहते हैं? जानें सोलर सिस्टम क्या होता है?

सूर्य सौर ऊर्जा का एक प्राकृतिक भंडार है, जिससे प्राप्त होने वाली ऊर्जा से बिजली प्राप्त करने के लिए सोलर सिस्टम को स्थापित किया जाता है। सोलर सिस्टम में सोलर पैनल द्वारा सौर ऊर्जा से बिजली बनाई जाती है। सोलर पैनल में सोलर सेल (PV Cell फोटोवोल्टिक सेल) द्वारा यह ऊर्जा परिवर्तन का कार्य किया जाता है। सोलर पैनल दिष्ट धारा (DC) के रूप में बिजली का उत्पादन करते हैं। सोलर इंवर्टर के द्वारा DC के AC (प्रत्यावर्ती धारा) को प्राप्त किया जाता है, जिस से अधिकांश विद्युत उपकरण संचालित किए जाते हैं।

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सोलर बैटरी का प्रयोग सोलर सिस्टम में ऊर्जा संग्रहण के लिए किया जा सकता है। अर्थात सोलर पैनल से बनने वाली DC को स्टोर करने के लिए सोलर बैटरी सोलर सिस्टम में जोड़ी जाती है। जिसका प्रयोग नागरिक पावर बैकअप की आवश्यकता पड़ने पर कर सकते हैं। सोलर सिस्टम में इन मुख्य उपकरणों के अतिरिक्त भी बहुत से अन्य महत्वपूर्ण उपकरण प्रयोग किए जाते हैं। जिन्हें सोलर सिस्टम की स्थापना के अनुसार प्रयोग किया जाता है। ये अन्य उपकरण सोलर सिस्टम को सुरक्षा एवं मजबूती प्रदान करते हैं।

सोलर सिस्टम की स्थापना के प्रकार

सोलर सिस्टम को तीन प्रकार से स्थापित किया जा सकता है, यह उपभोक्ता के स्थान पर एवं बजट पर निर्भर करता है। सोलर सिस्टम को ऑनग्रिड, ऑफग्रिड एवं हाइब्रिड प्रकार से स्थापित किया जाता है।

  • ऑनग्रिड सोलर सिस्टम– इस प्रकार के सोलर सिस्टम में सोलर पैनल से बनने वाली बिजली को इलेक्ट्रिक ग्रिड को भेजा जाता है। इसमें किसी प्रकार से बिजली को संग्रहीत कर के नहीं रखा जा सकता है। जिससे आप यह समझ सकते हैं कि इस सोलर सिस्टम में बैटरी का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसमें बिजली का प्रयोग इलेक्ट्रिक ग्रिड के समान ही किया जाता है। इस सोलर पैनल में शेयरिंग बिजली कि गणना के लिए नेट-मीटरिंग की जाती है।
  • ऑफग्रिड सोलर सिस्टम– इस सिस्टम को पावर बैकअप किया जा सकता है। जिसके लिए इसमें बैटरी को जोड़ा जाता है। यह सोलर सिस्टम मुख्यतः ऐसे स्थानों के लिए उपयुक्त कहा जाता है, जहां बिजली की कटौती अधिक होती है। ऑफग्रिड सोलर सिस्टम में नागरिक अपनी पावर बैकअप की आवश्यकताओं के अनुसार बैटरी का चयन कर सकते हैं। जिस से वह बिजली का प्रयोग जरूरत पड़ने पर कर सकते हैं। इस प्रकार के सोलर सिस्टम को स्वतंत्र व्यक्तिगत सोलर सिस्टम में कहा जाता है।
  • हाइब्रिड सोलर सिस्टम– यह आधुनिक प्रकार का सोलर सिस्टम है, इसमें इलेक्ट्रिक ग्रिड को भी बिजली भेजी जाती है, तथा बैटरी में भी बिजली को स्टोर किया जाता है। इस सोलर सिस्टम से बिजली के बिल को भी कम किया जा सकता है, एवं पावर बैकअप का प्रयोग भी किया जा सकता है।

सोलर पैनल से कितनी बिजली बनेगी?

सोलर पैनल द्वारा बनाई जाने वाली बिजली की गणना उसके स्थापना एवं क्षमता पर निर्भर करती है। सोलर पैनल सूर्य की स्थिति के अनुसार कार्य करते हैं जब सूर्य ठीक सामने होते है तो वह अपनी पूरी दक्षता से बिजली का उत्पादन करते हैं। सोलर पैनल से बनने वाली बिजली को आप एक आसान उदाहरण से समझ सकते हैं:-

उदाहरण: यदि 3 किलोवाट के सोलर पैनल स्थापित किए जाते हैं, एवं उसे 1 घंटे सूर्य की ऊर्जा प्राप्त होती है, तो वह उस एक घंटे में 3 यूनिट बिजली का निर्माण करेगा। यह इस बिजली का उत्पादन सूर्य के पीक पॉइंट पर आने पर करता है। सुबह और शाम को कोण के अनुसार यह कम बिजली का उत्पादन करता है।

सामान्यतः 1 किलोवाट क्षमता के सोलर पैनल से प्रतिवर्ष 1400 यूनिट बिजली प्राप्त की जा सकती है। यह मौसम जैसे कारकों द्वारा प्रभावित होने के बाद की गणना है। सोलर पैनल गर्मियों में अधिक बिजली एवं बरसात या बादल वाले मौसम में कम बिजली का उत्पादन करता है।

क्या ऑनग्रिड सिस्टम में पावर कट के बाद बिजली का प्रयोग किया जा सकता है?

यदि ग्रिड की बिजली जाती है तो आप किसी प्रकार की बिजली का प्रयोग भी नहीं कर सकते हैं। इस सोलर सिस्टम से बिजली के बिल को कम किया जाता है। इसमें शेयर बिजली की गणना के लिए नेट-मीटर जोड़ा जाता है। इस सोलर सिस्टम को इस प्रकार स्थापित किया जाता है, कि यह ग्रिड के ऑन रहने पर ही बिजली का उत्पादन करता है। ग्रिड बिजली जाने पर सोलर पैनल स्वतः ही शट-डाउन हो जाता है। यह सुरक्षा की दृष्टि से बहुत अनिवार्य होता है। पावर कट के बाद सोलर पैनल कि बिजली का प्रयोग करने के लिए हाइब्रिड सोलर सिस्टम लगाया जा सकता है।

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सोलर पैनल लगाने से पूर्व के कारक

सोलर पैनल लगाने से पहले कुछ कारकों को देखा जाता है, जिस से सही क्षमता का चयन किया जाता है। सोलर सिस्टम को अपनी मर्जी का अनुसार अधिक क्षमता का नहीं लगाया जा सकता है। सोलर पैनल को लगाने से पहले निम्न कारकों की जानकारी देखी जाती है:-

  • घर में बिजली का लोड– Kw (किलोवाट) सोलर पैनल की क्षमता और शक्ति को प्रदर्शित करते हैं। सोलर पैनल द्वारा बनाई जाने वाली बिजली की गणना यूनिट में की जाती है। यूनिट को KWH (किलोवाट-घंटा) से देखा जा सकता है। सोलर सिस्टम को स्थापित करने से पूर्व घर में बिजली के औसतन लोड की गणना बिजली के बिल या मीटर से की जाती है। औसतन लोड के अनुसार ही सोलर पैनल की क्षमता का चयन किया जाता है।
    घर में बिजली का लोड
  • छत पर छाया रहित जगह की जानकारी– सोलर पैनल को ऐसे स्थान पर ही स्थापित किया जाता है, जहां छाया द्वारा उन्हें प्रभावित न किया जाए और उन तक सूर्य की रोशनी सीधी प्राप्त हो सके। सामान्यतः 1 किलोवाट के सोलर पैनल को 100 वर्ग-मीटर वाले स्थान में स्थापित किया जाता है।
  • बिजली बिल में सैंक्शन लोड (नियमित भार)– भारत में अधिकांश राज्यों में यह नियम है कि सोलर पैनल की क्षमता सैंक्शन लोड से अधिक नहीं होनी चाहिए। यदि आपका सैंक्शन लोड 3 किलोवाट है तो आप 5 किलोवाट का सोलर सिस्टम स्थापित नहीं कर सकते हैं। अधिक क्षमता का सोलर सिस्टम लगाने के लिए सैंक्शन लोड को बढ़ाना होता है, जिसे उपभोक्ता बिजली विभाग को आवेदन दे कर आसानी से कर सकते हैं।

इस प्रकार आप उपरोक्त कारकों की जानकारी प्राप्त कर के अपने घर पर कुशल एवं उचित क्षमता का सोलर सिस्टम स्थापित कर सकते हैं। सोलर सिस्टम की स्थापना करने से पहले अधिक से अधिक रिसर्च कर सकते हैं।

सोलर सिस्टम स्थापित करने की प्रक्रिया

सोलर सिस्टम को स्थापित करने वाले स्थान का पूर्ण निरीक्षण करने के बाद आप स्थापना में की जाने वाली प्रक्रिया की जानकारी देख सकते हैं। सोलर सिस्टम को सोलर निर्माता ब्रांड की इंस्टालेशन टीम या एक्सपर्ट कर्मचारी की सहायता से ही स्थापित करना चाहिए। सोलर सिस्टम को लगाने से पूर्व की पूरी रिसर्च करने के बाद निम्न प्रक्रिया से सोलर सिस्टम को स्थापित किया जाता है:

  • यदि आप छत पर सोलर पैनल स्थापित करते हैं तो उसके लिए पहले मचान (Scaffolding) को स्थापित किया जाता है।
  • जिसके बाद सोलर स्टैन्ड माउंट स्थापित करते हैं।
  • स्टैन्ड को माउंट करने के बाद सोलर पैनल लगाए जाते हैं। सोलर पैनल को सही दिशा एवं सही कोण में स्थापित किया जाना चाहिए, जिस से वे अपनी क्षमता के अनुसार बिजली का उत्पादन कर सकते हैं।
  • सोलर सिस्टम में प्रयोग होने वाले तारों को सुरक्षित करें, सोलर सिस्टम का प्रयोग लंबे समय तक करने के लिए तारों को टूटने या चूहों के काटने से बचाया जाना चाहिए।
  • सोलर सिस्टम में उपयुक्त रेटिंग के सोलर इन्वर्टर को कनेक्ट किया जाता है।
  • यदि आप ऑफग्रिड सोलर सिस्टम लगाते हैं तो आप इन्वर्टर को सोलर बैटरी से जोड़ें। यदि आप ऑनग्रिड सोलर सिस्टम लगाते हैं। इसमें नेट-मीटर से जोड़ा जाता है, और बिजली को ग्रिड को भेज दिया जाता है।
  • अब आप अपने सोलर सिस्टम में लगे सभी उपकरणों का निरीक्षण करें। जिस से आप इसका प्रयोग सही से कर सकते हैं।

सोलर सिस्टम से कितना बिल कम होगा?

भारत में औसतन 1 यूनिट बिजली का रेट 8 रुपये से 10 रुपये तक रहता है। बिजली के बिल को गर्मियों में अधिक और सर्दियों में कम देखा जाता है। यदि आप 3 किलोवाट के सोलर सिस्टम को लगाते हैं जो महीने में लगभग 350 यूनिट बिजली का उत्पादन करता है, तो आप इस से प्रतिमाह लगभग 3,000-3,500 रुपये तक बचा सकते हैं और सालाना आप 35,000-40,000 रुपये तक की बचत कर सकते हैं। लगभग 5 साल में आप अपने निवेश को प्राप्त कर सकते हैं, उसके बाद आप फ्री बिजली का लाभ उठाते हैं। सोलर सिस्टम से कितना बिल कम होगा?

ऑनग्रिड सोलर सिस्टम से बिजली बिल

सोलर सिस्टम पर किए गए निवेश को बुद्धिमानी का निवेश कहा जाता है, ऑनग्रिड सोलर सिस्टम में बिजली के बिल को कम प्राप्त किया जाता है, इसे आप इस प्रकार समझ सकते हैं, यदि आपके सोलर सिस्टम द्वारा 15 यूनिट बिजली बनाई गई एवं आपने 18 यूनिट बिजली का प्रयोग किया तो आप बस 3 यूनिट बिजली का ही बिल जमा करते हैं। एवं यदि 15 यूनिट बिजली उत्पादन के बाद आपने बस 10 यूनिट बिजली का ही प्रयोग किया तो 5 यूनिट को आपके अगले दिन के लोड में से घटा दिया जाता है।

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नागरिक सोलर सिस्टम में उत्पादित जितनी बिजली का उपभोग नहीं करता है, उतनी बिजली ग्रिड को भेज दी जाती है एवं उपभोक्ता को मासिक रोल ओवर बिल में इसका लाभ भी मिलता है। लेकिन 12 महीने के बाद, यह समाप्त हो जाता है। इसलिए सोलर पैनल को बिजली के वार्षिक खपत के आधार पर स्थापित किया जाता है। सोलर सिस्टम लगाने से पहले आप भविष्य में बढ़ने वाले बिजली के बिल की गणना कर सकते हैं, और सोलर सिस्टम को लगा कर बिल को आज से ही कम कर सकते हैं।

यदि आप यह आर्थिक लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से अधिक क्षमता का सोलर सिस्टम लगाते हैं तो आपको बता दें इलेक्ट्रिक ग्रिड आपके द्वारा भेजी गई बिजली को अधितं 2 से 3 रुपये में खरीदता है। सोलर सिस्टम स्थापित करने के बाद प्राप्त होने वाले बिल को सोलर बिल कहा जाता है। उपभोक्ता को प्राप्त होने वाले सोलर बिल को समझने के लिए सोलर सिस्टम से बनने वाली बिजली, ग्रिड को कितनी बिजली भेजी एवं ग्रिड से कितनी बिजली प्रयोग की जानकारी होनी चाहिए।

ऑनग्रिड सोलर सिस्टम में प्रयोग होने वाले घटक

एक ऑनग्रिड सोलर सिस्टम में सोलर पैनल का प्रयोग सूर्य के प्रकाश से बिजली प्राप्त करने के लिए किया जाता है, पैनल से बनने वाली DC को AC में बदलने के लिए इंवर्टर का प्रयोग किया जाता है। इंवर्टर को सोलर सिस्टम का मस्तिष्क भी कहा जाता है। ऑनग्रिड सिस्टम में ग्रिड से शेयर होने वाली बिजली की यूनिट के लिए नेट-मीटर लगाया जाता है। सोलर सिस्टम में अन्य बहुत से छोटे एवं महत्वपूर्ण उपकरणों का प्रयोग किया जाता है।

सोलर सिस्टम की संरचना (Structure) महत्वपूर्ण उपकरण होता है। यह संरचना जिंक (जस्ता) से बनी गेलव्नाइज धातु की होनी चाहिए, जिस से यह जंग नहीं पकड़ती है। तभी आप लंबे समय तक सोलर सिस्टम का प्रयोग कर सकते हैं। सोलर सिस्टम में कनेक्शन स्थापित करने के लिए उच्च गुणवत्ता की केबल का प्रयोग किया जाता है। After Sale Service (AMC) को सोलर सिस्टम के रखरखाव के लिए प्राप्त किया जाता है। यह किसी प्रकार का उपकरण नहीं होता है। आप अपने सोलर सिस्टम को स्थापित करने वाले ब्रांड से प्राप्त कर सकते हैं।

भारत में उपलब्ध सोलर पैनल के प्रकार

आज के समय में सोलर पैनल एडवांस तकनीक के उपलब्ध हैं। जिनका प्रयोग कर आप अपने घर में सोलर सिस्टम स्थापित कर सकते हैं। भारत में मुख्यतः निम्न प्रकार के सोलर पैनल उपलब्ध रहते हैं:-

  • पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल– इस प्रकार के सोलर पैनल सामान्यतः नीले रंग के होते हैं। भारत में बने पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल पर ही उपभोक्ताओं को सरकार सब्सिडी प्रदान करती है। इस प्रकार के सोलर पैनलों का प्रयोग बहुत अधिक सोलर प्रोजेक्ट में किया जाता है।
  • मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल– इस प्रकार के सोलर पैनल सामान्यतः काले रंग के होते हैं। इस तकनीक के भारत में निर्मित अभी कम ब्रांड हैं। इनकी दक्षता अधिक होती है। ये सोलर पैनल पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल से महंगे होते हैं। इस प्रकार के सोलर पैनल में हाफ-कट, PERC आदि प्रकार के पैनल उपलब्ध रहते हैं।
  • बाइफेशियल सोलर पैनल– यह सोलर पैनल की सबसे आधुनिक तकनीक कही जाती है। इस प्रकार के सोलर पैनल बहुत कम मात्रा में भारत में उपलब्ध हैं। यह सोलर पैनल दोनों ओर से बिजली का उत्पादन करने में सक्षम होते हैं। सामने की ओर से यह सूर्य से प्राप्त होने वाले प्रकाश से एवं पीछे की ओर से Albedo Lights से बिजली का निर्माण करने का कार्य करते हैं।

ऊपर दिए गए इन तीन सोलर पैनलों के अतिरिक्त पतली फिल्म वाले सोलर पैनल भी होते हैं, जिनकी दक्षता भी कम होती हैं एवं ये बहुत कमजोर होते हैं। जिनका प्रयोग आपको घरों में कम ही करना चाहिए।

सोलर सिस्टम को लगाने में होने वाला खर्च एवं सब्सिडी

सोलर सिस्टम को स्थापित करने में होने वाला खर्च कुछ कारकों पर निर्भर करता है। जिनमें सोलर पैनल के प्रकार, इंवर्टर के प्रकार, स्ट्रक्चर के प्रकार, उपकरणों के ब्रांड आदि प्रमुख होते हैं। भारत में 1 किलोवाट सोलर सिस्टम को लगाने की औसतन कीमत लगभग 45,000 रुपये से 60,000 रुपये तक है। भारत सरकार ऑनग्रिड सोलर सिस्टम को स्थापित करने पर सब्सिडी प्रदान करती है। जिसे आप भारत में निर्मित पॉलीक्रिस्टलाइन प्रकार के सोलर पैनल लगा कर प्राप्त कर सकते हैं। सोलर सब्सिडी से आप सोलर सिस्टम को कम कीमत में लगा सकता हैं। सोलर सिस्टम को लगाने में होने वाला खर्च एवं सब्सिडी

सोलर सब्सिडी में 1 किलोवाट से 3 किलोवाट तक 40% एवं 3 किलोवाट से अधिक 10 किलोवाट क्षमता के सोलर सिस्टम पर 20% की सब्सिडी सरकार प्रदान करती है। इसके साथ ही राज्य सरकार भी सोलर सब्सिडी प्रदान करती है। सोलर सब्सिडी की सहायता से आप 3 किलोवाट क्षमता के ऑनग्रिड सोलर सिस्टम को लगभग 1.30 लाख रुपये में आसानी से स्थापित कर सकते हैं। यदि आपका बजट अधिक है तो आप मोनोक्रिस्टलाइन तकनीक के एंडवास सोलर पैनल का प्रयोग करते हैं तो इसमें आपको सब्सिडी नहीं दी जाती है।

ईएमआई पर सोलर पैनल कैसे खरीदें

अधिकांश नागरिक सोलर सिस्टम में होने वाले प्राथमिक निवेश को एक साथ देने में असमर्थ होते हैं। जिसके लिए अब उपभोक्ता EMI पर भी सोलर पैनल को खरीद सकते हैं। केंद्र सरकार द्वारा सभी बैंकों को सोलर सिस्टम के लिए लोन प्रदान करने के आदेश दिए गए है। अपने घर पर सोलर सिस्टम लगाने के लिए आप निम्न प्रक्रिया द्वारा लोन प्राप्त कर सकते हैं:

  • सबसे पहले आपको अपने घर में लगने वाले सोलर सिस्टम की क्षमता की जानकारी के लिए कोटेशन बनानी होगी।
  • सोलर सिस्टम की कोटेशन को आपको फाइनैन्स कंपनी या बैंक में जमा करना होता है। कोटेशन में सोलर सिस्टम की क्षमता, सोलर उपकरण के ब्रांड एवं उपकरणों की कीमत की जानकारी को दर्ज करना होता है।
  • सोलर सिस्टम की कोटेशन को आप अपने नजदीकी सोलर कंपनी के डीलर, इन्स्टॉलर से प्राप्त किया जा सकता है। इस आधार पर आपको प्रदान होने वाले लोन की जानकारी आप बैंक से प्राप्त कर सकते हैं।
  • बैंक या फाइनेंस कंपनी द्वारा उपभोक्ता के निम्न दस्तावेजों की जांच की जांच की जाती है:-
    • ITR (Income Tax Return)
    • प्रॉपर्टी के कागज
    • उपभोक्ता का लोन सिविल स्कोर
    • आधार कार्ड
    • आय प्रमाण पत्र
    • PAN कार्ड
  • लोन प्राप्त करने के लिए 20% फाइनेंस कंपनी द्वारा सिक्योरिटी (सेफ़्टी) डिपोजिट किया जाता है। जिसे लोन पूरा होने के बाद 5% ब्याज के साथ उपभोक्ता को वापस कर दिया जाता है।
  • उपभोक्ता द्वारा जमा किए जाने बिजली के एवं उपरोक्त दस्तावेजों के आधार पर नागरिक को EMI पर सोलर पैनल प्रदान किए जाते हैं।
  • फाइनेंस कंपनी द्वारा दिए जाने वाले लोन पर लगभग 8% से 15% तक का ब्याज लगता है। यदि आप बैंक से लोड लेते हैं तो यह कम हो सकता है।
  • उपभोक्ता अपने सोलर सिस्टम कि क्षमता के अनुसार कम से कम 1 लाख से 20 लाख रुपये तक का लोन प्राप्त कर सकते हैं। 10 किलोवाट तक के सोलर सिस्टम पर आप लोन प्राप्त कर सकते हैं।

क्या सोलर सिस्टम 25 साल तक बराबर बिजली बनाता है?

सोलर सिस्टम लगाने से पूर्व अधिकतर ब्रांड 25 साल तक कार्य प्रदर्शन की जानकारी देते हैं। ऐसे में आपको यह पता होना चाहिए कि सोलर पैनल की कार्य क्षमता प्रतिवर्ष 0.5% से 0.7% घटती है। जो कि एक बहुत कम मात्रा होती है। 25 साल पर भी सोलर पैनल 80% तक बिजली उत्पादन करने का कार्य करते हैं एवं उसके बाद भी आप इनसे बिजली प्राप्त कर सकते हैं। सोलर सिस्टम पर बस एक बार निवेश कर के आप कई सालों तक फ्री बिजली का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

अतः आप यह समझ सकते हैं कि सोलर पैनल लंबे समय तक लाभ प्रदान करने वाली एक एडवास तकनीक है। उपभोक्ता को विश्वसनीय एवं प्रसिद्ध ब्रांड के ही सोलर पैनल से सोलर सिस्टम स्थापित करना चाहिए। ऐसे ब्रांड आपको 10 वर्ष की प्रोडक्ट वारंटी एवं 25 वर्ष की कार्य प्रदर्शन वारंटी प्रदान करते हैं। इंवर्टर पर भी निर्माता ब्रांड द्वारा 5 से 10 साल तक की वारंटी प्रदान की जाती है। ऐसे सोलर ब्रांड के उपकरणों का ही आपको प्रयोग करना चाहिए, जो आपके सोलर सिस्टम को रखरखाव की सुविधा भी प्रदान करती हो।

सोलर सिस्टम का रखरखाव

25 साल तक सोलर सिस्टम का लाभ प्राप्त करने के लिए रखरखाव करना बहुत आवश्यक होता है। सोलर सिस्टम स्थापित करते समय आपको सोलर ब्रांड से AMC की मांग करनी चाहिए। जिसमें सोलर सिस्टम को निवारक, तकनीकी एवं यांत्रिकी प्रकार के सर्विसिंग की आवश्यकता होती है। यदि आप AMC प्राप्त करते हैं तो आपके सोलर ब्रांड द्वारा कुछ महीनों में आपके सोलर सिस्टम का रखरखाव किया जाएगा। सोलर पैनल पर जमा गंदगी को साफ करने के लिए उचित तकनीशियन एवं एक विशेषज्ञ ब्रश की आवश्यकता है ताकि आप अपने सोलर पैनल को बिना खरोंच के साफ कर सकते हैं। घर पर सोलर सिस्टम स्थापित करने के लिए आप सोलर स्कायर कंपनी से संपर्क कर सकते हैं।1

निष्कर्ष

सोलर सिस्टम को स्थापित करने से पहले सामान्य जानकारी का होना आवश्यक है, आज के समय में बाजार में अनेक सोलर ब्रांड उपलब्ध हो गए हैं, इसलिए आवश्यक है कि उपभोक्ता सिर्फ ऐसे ही सोलर ब्रांड के उपकरण का प्रयोग करें जो लंबे समय तक के लिए सोलर उपकरणों पर ही कार्य कर सकती है। सोलर सिस्टम के द्वारा उपभोक्ता बचत के साथ ही पर्यावरण को सुरक्षा भी प्रदान करता है। इनके प्रयोग से पर्यावरण में कार्बन फुटप्रिन्ट को कम किया जा सकता है। जिस से हरित भविष्य की ओर बढ़ा जा सकता है। इस लेख से आप घर पर सोलर सिस्टम लगाने चाहते हैं? की पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

  1. Rooftop Solar Panel for Home in India ↩︎

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